गीत
मन प्रवाहित चेतना के आधार हो
गुरुवर आप धर्म अवतार हो।
धर्म अध्यात्म तेज संवाहित सरल।
योग निष्ठित नियम सामर्थ्य बल।
नयनों में नेह सबके लिए।
भेद सब आपने विस्मृत किए।
गुरु के नाम से भव पार हो
गुरुवर आप धर्म अवतार हो।
धर्म पथ पर नित कर्मठ चले।
ब्रह्म विद्या योग विद्या साथ ले।
मनस की सामर्थ्य का कर निर्वहन।
उच्च सद्गुण वृतियों का संचरण।
आत्मबल के शुद्धतम विस्तार हो
गुरुवर आप धर्म अवतार हो।
है अहिंसा नित धर्म सबका
सत्य राह की दिखलाई है।
जियो और जीने दो शिक्षा
महावीर ने सिखलाई है।
जैन धर्म ध्वजा का आधार हो
गुरुवर आप धर्म अवतार हो।
*महावीर जयंती पर आप सभी को हार्दिक मंगलकामनाएं।*
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