भारत के कई शहरों के नामों में ‘पुर’, ‘आबाद/बाद’ और ‘गंज’ जैसे सफिक्स मिलते हैं, जिनकी जड़ें संस्कृत, फ़ारसी और प्राचीन इंडो-ईरानियन भाषाओं में हैं और ये शहरों की उत्पत्ति, बसावट और बाज़ार संस्कृति को दर्शाते हैं।
‘पुर’ का मतलब और इतिहास‘पुर’ संस्कृत शब्द ‘पुर/पुरा’ से आया है, जिसका अर्थ किला, नगर या बसावट माना गया है और इसका उल्लेख ऋग्वेद जैसे प्राचीन ग्रंथों में मिलता है । महाभारत काल से लेकर मध्यकाल तक शहरों के नामों में ‘पुर’ जोड़ने की परंपरा रही, जैसे हस्तिनापुर प्राचीन संदर्भ है और जयसिंह द्वारा बसाए गए जयपुर जैसे उदाहरण मध्यकालीन राज-संस्कृति को दिखाते हैं । कानपुर जैसे नामों में भी शासकों और स्थानीय परंपराओं का प्रभाव दिखता है, जहां नामकरण देव-वंश पर आधारित श्रद्धा से जोड़ा गया बताया जाता है।
‘आबाद/बाद’ का अर्थ और फ़ारसी प्रभाव‘आबाद’ फ़ारसी मूल का शब्द है, जिसमें ‘आब’ का अर्थ पानी माना जाता है और समग्र रूप में इसका आशय रहने योग्य, खेती योग्य और समृद्ध बसावट से जोड़ा गया है । मुरादाबाद (रामगंगा के किनारे) और इलाहाबाद/अलाहाबाद (गंगा तट) जैसे उदाहरण पानी की निकटता और बसावट की उपयुक्तता को रेखांकित करते हैं । मुगल काल में शासकों ने अपने नाम के साथ ‘आबाद’ जोड़कर नए शहर बसाए, जैसे फिरोजाबाद का नाम फिरोज शाह से जोड़ा गया, जो शाही पहचान और सांस्कृतिक छाप को दर्शाता है।
‘गंज’ कैसे बना बाज़ार का पर्याय‘गंज’ का शुरुआती अर्थ इंडो-ईरानियन भाषाई परंपरा (मीडियन) में खजाना रखने की जगह से जुड़ा बताया गया है, जो समय के साथ बाज़ार/मंडी के अर्थ में विकसित हुआ । संस्कृत में ‘गंज’ को ‘गज्ज’ से निकला माना जाता है और आगे चलकर यह भीड़भाड़, व्यापार और मंडी वाले इलाकों का सूचक बन गया, जैसे लखनऊ का हजरतगंज और दिल्ली के दरियागंज, डिप्टीगंज जैसे इलाकों की ऐतिहासिक बाज़ार पहचान। पुराने समय में जहां नियमित हाट-बाज़ार लगते थे, उन स्थानों के नाम में ‘गंज’ जुड़कर स्थायी भौगोलिक-बाज़ार ब्रांडिंग बन गई।
सांस्कृतिक-भौगोलिक पहचान के संकेत‘पुर’ प्राचीन नगर-राज्य और किलेबंदी की परंपरा को दर्शाता है, ‘आबाद’ पानी और समृद्धि-आधारित मध्यकालीन बसावट का संकेत देता है, जबकि ‘गंज’ व्यापारिक गलियारों और शहरी बाज़ार संस्कृति की पहचान बनकर उभरा । इन तीनों प्रत्ययों से भारतीय शहरों का नामकरण समय, सत्ता, संसाधन और व्यापार की परतों में ऐतिहासिक विकास को समेटे दिखता है।
उदाहरणों की झलकजयपुर: राजा जयसिंह द्वारा बसाया गया, ‘पुर’ परंपरा का जीवंत उदाहरण।
मुरादाबाद: रामगंगा किनारे बसी बसावट, ‘आबाद’ का जल-स्रोत से संबंध दर्शाती है।
दरियागंज: यमुना किनारे का पुराना बाज़ार, ‘गंज’ का मंडी-बाज़ार अर्थ सुदृढ़ करता है।
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