धमतरी, 6 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) . जिले के ग्राम शंकरदाह और सेहराडबरी के 200 एकड़ से अधिक खेतों में हर साल बरसात आते ही पानी लबालब भर जाता है, जिससे किसानों की मेहनत पानी में बह जाती है. इस गंभीर समस्या को लेकर इलाके के सैकड़ों किसान एकजुट होकर बरसाती पानी की स्थायी निकासी व्यवस्था की मांग कर रहे हैं. व्यवस्थित निकासी की मांग को लेकर आज साेमवार को दोनों गांव के ग्रामीण समूह में कलेक्ट्रेट पहुंचे. ग्रामीणों ने जिला प्रशासन को अपनी समस्या से अवगत कराया.
शंकरदाह के ग्रामीण किशन कुमार, ठाकुर राम, खेम सिंह, दुलारी बाई, मनीषा बाई, आशीष कुमार ने बताया कि ग्राम शंकरदाह से ग्राम सेहराडबरी की ओर जाने वाली मुख्य नहर से होकर पानी बोड़रा माइनर नाली में पहुंचता है. इसके लिए दो नंबर नाली और अन्य कच्ची नालियों के जरिये जल निकासी की व्यवस्था की गई है, लेकिन आज ये व्यवस्था किसानों के लिए मुसीबत बन चुकी है. कई किसानों ने कहा कि यदि निकासी के लिए ज़मीन चाहिए, तो पूरी ज़मीन ले लो, लेकिन बदले में अन्यत्र जमीन दी जाए. कुछेक किसान भी इस बात को लेकर दुविधा में हैं कि उनके खेतों से पानी निकासी हो और उनका नुकसान भी न हो.
जानकारी के अनुसार कुल 219 एकड़ क्षेत्र का बरसाती पानी अब केवल दो खसरा से होकर गुजरता है. पहले यह पानी सेहराडबरी खार के कई खसरा नंबरों से होकर निकलता था, जिससे पानी आसानी से बाहर चला जाता था. कृषि विज्ञान केंद्र सेहराडबरी की स्थापना के बाद निकासी मार्ग सीमित हो गया है. किसानों की मांग है कि मौके की जांच बरसात के समय ही की जाए, ताकि अधिकारी स्वयं देख सकें कि पानी कहां और कितना भरता है, किस रास्ते से निकलता है, और कहां पर निकासी बाधित हो रही है. जांच के दो दिन पूर्व सभी किसानों को सूचना देने की भी मांग की गई है.
किसानों का आरोप है कि क्षेत्र के एक खेत मालिक द्वारा निकासी द्वार को अक्सर बंद रखा जाता है. जब अन्य किसान उसे खोलने की कोशिश करते हैं, तो विवाद और गाली-गलौच की नौबत आ जाती है. इससे शंकरदाह और सेहराडबरी के कई किसानों के खेतों में पानी भर जाता है, जिससे धान की फसल सड़ जाती है और दो से तीन बार दुबारा बीज डालने की मजबूरी हो जाती है.
-200 से अधिक किसान प्रभावित
किसान रामशंकर, लोकेश्वर, रामलाल, मदन, परमानंद, रुक्मणी के अनुसार इस समस्या से ग्राम शंकरदाह और सेहराडबरी के 200 से अधिक किसान प्रभावित हैं. किसानों का कहना है कि जब कृषि विज्ञान केंद्र अस्तित्व में नहीं था, तब पानी की निकासी में कोई दिक्कत नहीं थी. आज बारिश की मात्रा कम होने के बावजूद जलभराव की समस्या विकराल हो गई है. किसान मनोज कुमार, हीरालाल, सरिता बाई, विष्णु राम, अरुण कुमार, देवनारायण सहित अन्य किसान इस समस्या से परेशान हैं और लगातार प्रशासन से समाधान की गुहार लगा रहे हैं.
(Udaipur Kiran) / रोशन सिन्हा
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