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कोलकाता हाई कोर्ट के निर्देश के बाद बर्खास्त शिक्षकों ने किया, मंच का निर्माण नये स्थान पर

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कोलकाता 25 मई कोलकाता हाई कोर्ट के निर्देश के बाद रविवार को प्रदर्शनकारी बर्खास्त शिक्षकों के लिए नए स्थान पर मंच का निर्माण शुरू हुआ. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा संचालित और सहायता प्राप्त स्कूलों के शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों की नौकरियां रद्द कर दी गई थी जो लगातार अपनी मांग को लेकर विकास भवन और एससी प्रांगण में प्रदर्शन कर रहे थे .उनके सार्वजनिक सुविधा के मद्देनजर धरना स्थल को बदलने का आदेश कोलकाता हाई कोर्ट द्वारा दिया गया है.

राज्य प्रशासन द्वारा साल्ट लेक सेंट्रल पार्क के पास एक बांस का ढांचा तैयार किया जा रहा है. कोर्ट के आदेश के बाद प्रदर्शनकारी जो पहले विधान भवन के बाहर सड़क पर बैठे थे, जिनकी वजह ट्रैफिक जाम हो जा रही थी, ट्रैफिक को सुचारू रूप से चलने देने के लिए सेंट्रल पार्क के पास के फुटपाथ पर स्थानांतरित कर दिया गया है.

डिजर्विंग टीचर्स राइट्स फार्म के नेताओं ने कहा कि वे केवल तभी निर्धारित स्थल पर जाएंगे जब वह यह पूरी तरह सुनिश्चित कर लेंगे कि वहां पानी और शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध होगी.

शुक्रवार को कोलकाता हाई कोर्ट ने प्रदर्शन कर रहे शिक्षकों को निर्देश दिया कि वह अपना अनिश्चितकालीन धरना विधान भवन से लगभग 20 मीटर दूर सेंट्रल पार्क में स्थानांतरित करें ताकि जो दैनिक यात्री और कार्यालय जाने वाले लोग हैं उनको असुविधा न हो पाए. यह आदेश डिजर्विंग टीचर्स राइट्स फॉर्म और और राज्य सरकार द्वारा दायर यशिकाओं के सुनाई के दौरान जस्टिस तीर्थंकर घोष ने किया. उन्होंने प्रदर्शन कार्यों को राज्य शिक्षा विभाग मुख्यालय विधान भवन के सामने स्थित सेंट्रल पार्क में स्थानांतरित होने का आदेश दिया. इसके साथ ही कोर्ट ने बिधाननगर नगर निगम को नए धरने स्थल पर पीने का पानी और शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए निर्देश दिया और राज्य सरकार को सलाह दी कि वह मानवीय दृष्टि को अपने और संभव हो तो गर्मी से बचने के लिए अस्थाई आश्रय के साथ-साथ पानी और शौचालय की व्यवस्था करें. कोर्ट कोर्ट ने यह भी कहा कि पुलिस प्रदर्शन कार्यों के खिलाफ कोई जबरदस्ती की कार्रवाई न करें.

उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा प्रायोजित और सहायता प्राप्त स्कूलों के लगभग 26,000 शिक्षा और गैर शिक्षक कर्मचारियों की नौकरी चली गई है.

/ अनिता राय

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