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ऑटो यूनियन और किसान यूनियन लोक शक्ति ने मांगों को लेकर एआरटीओ ऑफिस पर किया प्रदर्शन

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गौतम बुद्ध नगर, 6 नवंबर (Udaipur Kiran) . नोएडा के सेक्टर- 33 स्थित उप संभागीय परिवहन विभाग कार्यालय परिसर (एआरटीओ) के बाहर कई ऑटो एसोसिएशन और Indian किसान यूनियन लोकशक्ति ने संयुक्त रूप से अपनी मांगों को लेकर में महापंचायत की. सैकड़ों ऑटो रिक्शा चालको की मौजूदगी के कारण पूरे कार्यालय को घेर लिया गया, जिसके कारण ट्रैफिक और परिवहन विभाग संबंधी कार्य बाधित रहे. लगभग पूरे दिन चले आंदोलन के बाद, विभाग द्वारा एक माह के भीतर कार्रवाई के आश्वासन पर महापंचायत समाप्त हुई.

सेक्टर-32 स्थित एआरटीओ कार्यालय के बाहर हुई इस महापंचायत की अगुवाई कर रहे अध्यक्ष ओम प्रकाश गुर्जर ने बताया कि संगठन ने आठ प्रमुख मांगें रखी हैं. पहली मांग, ई-ऑटो और ई-रिक्शा के नए पंजीकरण पर रोक लगे. दूसरी, निजी वाहनों, विशेषकर दोपहिया वाहनों के बढ़ते कमर्शियल उपयोग पर कार्रवाई की जाए. तीसरी, विभाग और ट्रैफिक पुलिस द्वारा जब्त किए गए वाहनों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए. चौथी, लाइसेंस और फिटनेस प्रक्रियाओं को निजी हाथों में न सौंपा जाए, क्योंकि इससे रुपये मांगने जैसी शिकायतें बढ़ रही हैं. इसके अलावा दिल्ली की तर्ज पर नोएडा में भी एक ही परमिट व्यवस्था लागू करने, एआरटीओ की जगह आरटीओ कार्यालय स्थापित करने और शहर में पिक-एंड-ड्रॉप के लिए नए ऑटो स्टैंड बनाए जाने की मांग भी रखी गई.

महापंचायत में विभाग और ट्रैफिक पुलिस ने आश्वासन दिया कि अगले एक माह तक कमर्शियल गतिविधियों में उपयोग हो रहे ऐसे निजी वाहनों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. इसी माह से इसका असर दिखाई देना शुरू होगा. आश्वासन मिलने के बाद प्रदर्शन खत्म कर दिया गया. सुबह शुरू हुई महापंचायत के दौरान एआरटीओ कार्यालय के मुख्य द्वार बंद कर दिए गए. हालांकि अधिकारी और कर्मचारी कार्यालय में मौजूद रहे, लेकिन अधिकांश शहरवासी अपने कार्य नहीं करा सके. कई लोग द्वार बंद मिलने पर वापस लौट गए, जबकि कुछ लोग अन्य मार्गों से प्रवेश कर किसी तरह अपना कार्य करा पाए.

सितंबर तक जिले में ई-रिक्शा की संख्या 26,143 हो गई है, जबकि सभी प्रकार के ऑटो की संख्या 27,102 है. ऑटो चालकों का कहना है कि ई-रिक्शा चालकों के लिए न नियम तय हैं और न ही मानक, फिर भी उनका पंजीकरण लगातार बढ़ रहा है. दूसरी ओर, ऑटो चालकों को फिटनेस सहित तमाम प्रक्रियाओं से गुजरने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है. सितंबर तक जिले में केवल 3,055 दोपहिया वाहन ही व्यावसायिक श्रेणी में पंजीकृत हैं, जबकि निजी दोपहिया वाहन 3,60,745 हैं. यानी लगभग 12 गुना अधिक. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि इनमें से बड़ी संख्या में निजी वाहन कमर्शियल गतिविधियों में इस्तेमाल हो रहे हैं, जिन पर कड़ी कार्रवाई की जरूरत है.

इस मामले में सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी नंदकुमार ने बताया कि समस्त ऑटो यूनियन की ओर से कुछ मांगें रखी गई हैं, जिन पर महीने भर में असर देखने को मिलेगा, निजी वाहनों के कमर्शियल उपयोग पर विभाग और ट्रैफिक पुलिस संयुक्त रूप से शिकंजा कसेगी.

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हिन्दुस्थान/सुरेश

(Udaipur Kiran) / सुरेश चौधरी

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