जम्मू, 17 अगस्त (Udaipur Kiran) । वरिष्ठ भाजपा नेता एवं पूर्व मंत्री बाली भगत ने कश्मीर के पूर्व राजनीतिक नेतृत्व पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) और पीडीपी के नेताओं ने अपने शासनकाल में डबल रोल निभाया और हालात को कभी सामान्य होने नहीं दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि इन्हीं नेताओं की नाकामी, दोहरी नीति और अलगाववादियों व आतंकवादियों के प्रति नरम रुख के कारण जम्मू-कश्मीर को अशांति का सामना करना पड़ा और अंततः राज्य का दर्जा खोना पड़ा।
बाली भगत ने कहा कि 1990 से 2018 तक फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, मुफ्ती मोहम्मद सईद और महबूबा मुफ्ती के शासनकाल में बंद और अशांति आम बात थी। उन्होंने याद दिलाया कि जून से सितंबर 2010 के बीच उमर अब्दुल्ला सरकार के दौरान हिंसक प्रदर्शन हुए, जिनमें 117 लोगों की मौत हुई। वहीं, 2016 में आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद महबूबा मुफ्ती सरकार के दौरान फिर से घाटी हिंसा की चपेट में आई, जिसमें सौ से अधिक मौतें हुईं और कई युवाओं ने पैलेट गन से अपनी आंखों की रोशनी खो दी। अंततः 2018 में सुरक्षा हालात बिगड़ने पर पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार गिर गई।
कांग्रेस नेताओं सैफुद्दीन सोज़ और तारिक हमीद कर्रा को भी बाली भगत ने निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि इन नेताओं ने पाकिस्तान के समर्थन में बयान दिए और यहां तक कि सोज़ ने तो यह भी कहा कि यदि पाकिस्तान पठानकोट हमले में शामिल होने से इनकार करता है तो भारत को उसकी बात मान लेनी चाहिए। भगत ने कहा कि अनुच्छेद 370 और 35-ए हटाए जाने तथा जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के बाद हालात पूरी तरह बदले। पथराव, बंद और आतंकी घटनाओं में भारी गिरावट आई और आम जनजीवन सामान्य हुआ है। उन्होंने दावा किया कि निर्णायक मोदी सरकार की नीतियों से ही शांति और स्थिरता लौट सकी है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस, एनसी और पीडीपी ने कश्मीर को नर्क बनाया था, लेकिन मोदी सरकार ने इसे शांति और विकास की राह पर आगे बढ़ाया।
(Udaipur Kiran) / राहुल शर्मा
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