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ये है दुनिया का सबसे अजीबोगरीब स्कूल जहां टेंशन होने पर बच्चों को टीचर भेज देते हैं सिगरेट पीने

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स्कूलों को बच्चों की शिक्षा और अनुशासन की नींव माना जाता है। घर के बाद वही स्थान है, जहाँ बच्चे अच्छे संस्कार, सामाजिक शिष्टाचार और जीवन जीने के मूल मंत्र सीखते हैं। लेकिन सोचिए, अगर वही स्कूल बच्चों को ऐसी आदत सिखाने लगे जो उनकी सेहत और भविष्य दोनों के लिए घातक हो, तो इसे आप क्या कहेंगे?

ऐसा ही हैरान करने वाला मामला ऑस्ट्रेलिया से सामने आया है। क्वींसलैंड के अरेथुसा कॉलेज (Arethusa College) में बच्चों को पढ़ाई के बीच बाकायदा ‘स्मोक ब्रेक’ दिया जा रहा है। इस दौरान छात्र न केवल सिगरेट, बल्कि वेप (Vape) का भी इस्तेमाल करते हैं।

छात्रों को दी जा रही खुली छूट

डेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार, इस कॉलेज में लगभग 50 छात्रों को स्मोक ब्रेक की अनुमति है। इन छात्रों के लिए स्कूल परिसर में एक विशेष क्षेत्र बनाया गया है, जहाँ वे पढ़ाई के बीच जाकर धूम्रपान या वेप कर सकते हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि यह अनुमति हर उम्र के छात्रों को दी जा रही है।

पहला स्कूल नहीं, पहले से चल रही है प्रथा

रिपोर्ट्स बताती हैं कि अरेथुसा कॉलेज ऐसा पहला स्कूल नहीं है। ब्रिस्बेन के कई स्कूलों में भी यह ‘अजीब नियम’ पहले से लागू है। करीब एक साल पहले ऐसे स्कूलों ने बच्चों को ‘स्मोक ब्रेक’ देना शुरू किया था।

स्कूल का पक्ष

स्कूल प्रशासन का कहना है कि वे पब्लिक हेल्थ अथॉरिटी के साथ मिलकर यह खुली और पारदर्शी नीति अपना रहे हैं। उनका तर्क है कि कई बच्चे पहले से ही निकोटीन की लत के साथ स्कूल आते हैं। अगर उन्हें धूम्रपान से रोका जाता है तो वे पढ़ाई पर ध्यान नहीं लगा पाते। इसलिए उन्हें बिना जज किए यह छूट दे दी गई है ताकि वे बेहतर तरीके से पढ़ाई कर सकें।

स्कूल ने यह भी स्पष्ट किया है कि वह बच्चों को सिगरेट या वेप उपलब्ध नहीं कराता। केवल माता-पिता की अनुमति मिलने पर छात्रों को यह छूट दी जाती है।

माता-पिता की राय बंटी

इस नीति पर अभिभावकों की राय बंटी हुई है। कुछ का कहना है कि अगर बच्चे को धूम्रपान की आदत है, तो वह कहीं न कहीं करेगा ही। ऐसे में बेहतर है कि वह इसे सुरक्षित माहौल में करे। लेकिन कई अभिभावक इससे सख्त नाराज हैं और इसे बच्चों के भविष्य के लिए बेहद खतरनाक मानते हैं।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चेतावनी

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि छोटी उम्र में धूम्रपान और वेपिंग की आदत बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है। यह न केवल फेफड़ों की बीमारियों और कैंसर का खतरा बढ़ाता है, बल्कि लंबे समय में यह लत बच्चों की शिक्षा और करियर दोनों को प्रभावित कर सकती है।

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