उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसने समाज और कानून को दोनों को झकझोर कर रख दिया। जहां आज बेटा-बेटी में फर्क मिटने की बातें आम हो गई हैं, वहीं बदायूं का यह मामला बताता है कि कुछ लोग अभी भी पुरानी सोच और हेट की जड़ें नहीं छोड़ पाए हैं। यहां एक पिता ने अपनी गर्भवती पत्नी के पेट पर इस कदर हमला किया कि उसकी जान बचाना भी मुश्किल हो गया। चार साल पहले हुए इस हादसे का फैसला अब अदालत में आ पहुंचा है, जहां वहशी पिता को उम्र कैद की सजा सुनाई गई है।
बेटा चाहिए था, बेटी से नफरत ने किया ऐसा कांडमामला सितंबर 2020 का है, जब बदायूं के पन्ना लाल ने अपनी आठ महीने की गर्भवती पत्नी अनीता पर हंसिया से जानलेवा हमला किया। पन्ना लाल के पांच बेटियां थीं, लेकिन उसकी इच्छा थी कि उसकी पत्नी इस बार बेटे को जन्म दे। लगातार बेटे की चाह में मियां-बीवी के बीच झगड़े होते रहते थे। पन्ना लाल इतना दबाव बनाता था कि अनीता को तलाक तक देने की धमकी देता था ताकि वह कोई ऐसी पत्नी लेकर आए जो बेटे की खुशी दे सके।
अनीता पर हुए इस बर्बर हमले के पीछे इसी डर और वहम का प्रभाव था कि कहीं गर्भ में पल रहा बच्चा लड़की न निकले। पन्ना लाल ने हंसिया से अनीता के पेट को इस कदर चीर दिया कि उसका गर्भ फट गया और आंतें बाहर आ गईं। इस दर्दनाक घटना ने न सिर्फ पुलिस बल्कि डॉक्टरों और अदालत को भी झकझोर कर रख दिया।
दर्दनाक घटना का हालअनीता ने कोर्ट में बयान दिया कि पन्ना लाल ने उसे मारने के लिए जानबूझकर हंसिया से पेट पर हमला किया। पेट की गहराई इतनी थी कि उसकी आंतें बाहर आ गईं। दर्द और खून से लथपथ अनीता घर से भागकर सड़क पर पहुंची, जहां उसने मदद के लिए चीख-पुकार की। उसकी चीख सुनकर उसका भाई मौके पर पहुंचा और आसपास के लोगों की मदद से उसे अस्पताल ले जाया गया।
डॉक्टरों ने बड़ी मुश्किल से अनीता को बचाया, लेकिन गर्भ में पल रहे बच्चे को बचाना संभव नहीं हो पाया। बाद में जांच में पता चला कि वह बच्चा लड़का ही था, जिसे पन्ना लाल देखने के लिए इतना क्रूर कदम उठा बैठा।
आरोपी की दबंगई और अदालत में बचावपन्ना लाल को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया, लेकिन कोर्ट में उसने खुद को निर्दोष बताने की कोशिश की। उसने दावा किया कि अनीता ने अपने भाइयों के साथ प्रॉपर्टी विवाद के चलते खुद को चोट पहुंचाई है और उस पर झूठा केस लगाया गया है। उसकी यह दलील अदालत के सामने शातिराना बचाव साबित हुई।
अदालत ने सुनाई कड़ी सजाबदायूं की अदालत ने पन्ना लाल के खतरनाक मानसिकता और जघन्य अपराध को देखते हुए उसे उम्र कैद की सजा सुनाई है। जज ने कहा कि बेटे-बेटी में भेदभाव और महिला हिंसा को समाज में रोकना जरूरी है, और इस तरह के अपराधों को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अदालत ने यह भी कहा कि पन्ना लाल जैसी मानसिकता को सबक सिखाना बेहद आवश्यक है ताकि अन्य लोग इससे सबक लें।
बेटी-बेटी का फर्क मिटा चुका है समाज, लेकिन सोच अभी भी पीछेआज के समय में बेटा और बेटी के बीच का फर्क धीरे-धीरे खत्म हो रहा है, लड़कियां हर क्षेत्र में पुरूषों से पीछे नहीं हैं। लेकिन बदायूं का यह मामला हमें याद दिलाता है कि हमारे समाज में अभी भी कुछ लोग बेटा पाने की चाह में अपनी पत्नी को जान से मारने तक गिर सकते हैं।
निष्कर्षयह कहानी सिर्फ बदायूं का नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक चेतावनी है कि बेटा-बेटी में भेदभाव जैसी कुरीतियां खत्म होनी चाहिए। महिला के प्रति हिंसा और उसके अधिकारों का उल्लंघन कभी बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। सरकार, समाज और न्याय प्रणाली को मिलकर ऐसे मामलों पर सख्त कदम उठाने होंगे ताकि महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
इस फैसले के बाद उम्मीद की जानी चाहिए कि समाज में बेटियों की बराबरी का एहसास और अधिक मजबूत होगा और बेटा-बेटी की सोच के नाम पर कोई भी निर्दोष जीवन की बलि नहीं देगा।
इस प्रकार की घटनाएं हमें यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि बेटियों को भी बराबरी का अधिकार मिले, उनका सम्मान हो और कोई भी इस तरह के अपराध का शिकार न बने। पन्ना लाल जैसे दोषियों को कठोर सजा मिलने से निश्चित रूप से समाज में सकारात्मक संदेश जाएगा।
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