PC: Medical News Today
आपने ये कहावत लंबे समय से सुनी होगी कि "रोजाना एक सेब खाने से आपको डॉक्टर के पास जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी" और यह संयोग नहीं है। सेब दुनिया में सबसे ज़्यादा खाया जाने वाला है और इसके स्वास्थ्य लाभों के बारे में बार-बार बताया गया है। एक सेब प्रतिदिन खाने से आपके स्वास्थ्य को बहुत फ़ायदा हो सकता है, यहाँ तक कि यह आपकी पुरानी बीमारी के जोखिम या समग्र स्वास्थ्य को भी कम कर सकता है। आइए देखें कि एक सेब प्रतिदिन खाने से आपको किस तरह से फ़ायदा हो सकता है।
एक सेब प्रतिदिन खाने से डॉक्टर दूर रहते हैं। इसके पाँच अच्छे कारण इस प्रकार हैं:
1. पाचन स्वास्थ्य को बढ़ाता है: सेब आहार फाइबर का एक बेहतरीन स्रोत है और आहार फाइबर को स्वस्थ बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सेब में मौजूद फाइबर मल त्याग को नियमित रखता है, जिससे कब्ज से बचा जा सकता है और फ्रेंडली गट- बैक्टीरिया के विकास में सहायता मिलती है। एक हेल्दी गट माइक्रोबायोम एक प्रभावी प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए महत्वपूर्ण है और सेब इसमें सहायता कर सकता है।
2. पुरानी बीमारियों का कम जोखिम: सेब में क्वेरसेटिन और कैटेचिन जैसे एंटीऑक्सीडेंट्स की एक मजबूत मात्रा होती है, जो हृदय रोग, मधुमेह और विशिष्ट कैंसर जैसी पुरानी बीमारियों के जोखिम को कम करने के लिए जाने जाते हैं। सेब में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट कोशिकाओं को मुक्त कणों से होने वाले नुकसान से बचाते हैं जो इन बीमारियों का कारण बन सकते हैं।
3. मजबूत हड्डियाँ: सेब में कैल्शियम, मैग्नीशियम और बोरॉन जैसे कई खनिज भी होते हैं जो स्वस्थ हड्डियों के लिए महत्वपूर्ण हैं। रोजाना एक सेब खाने से आपकी हड्डियाँ स्वस्थ रहती हैं और ऑस्टियोपोरोसिस और फ्रैक्चर का जोखिम कम होता है।
4. स्वस्थ वजन को बढ़ावा देता है: सेब न केवल कम कैलोरी वाले होते हैं बल्कि उनमें उच्च फाइबर भी होता है, और इसलिए कोई भी व्यक्ति वेट मैनेजमेंट के लिए इसे एक बेहतरीन नाश्ते के रूप में खा सकता है। सेब का फाइबर आपको लंबे समय तक भरा रखेगा, जिससे आप अनावश्यक भोजन के सेवन से बचेंगे और इस तरह स्वस्थ वेट कंट्रोल को बढ़ावा देंगे।
5. ब्रेन हेल्थ को सपोर्ट करता है: सेब में क्वेरसेटिन नामक एक बहुत मजबूत एंटीऑक्सीडेंट होता है जो न्यूरोप्रोटेक्टिव होता है। क्वेरसेटिन मस्तिष्क में ऑक्सीडेटिव तनाव और सूजन से सुरक्षा को बढ़ावा दे सकता है और साथ ही अल्जाइमर और पार्किंसंस जैसे न्यूरोडीजेनेरेटिव रोगों के जोखिम को भी कम कर सकता है।
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