नई दिल्ली : पीएम-किसान योजना के तहत लाभ पाने वाले किसानों की संख्या में देश में सबसे ज़्यादा गिरावट पंजाब में आई है। पिछले पांच सालों में लाभार्थियों की संख्या में लगभग 49 प्रतिशत की गिरावट आई है।दिसंबर 2019 से मार्च 2020 के बीच पंजाब के लगभग 23.01 लाख किसानों को 466.47 करोड़ रुपये का लाभ मिला। लेकिन अप्रैल से जुलाई 2025 तक यह संख्या घटकर केवल 11.34 लाख रह गई, जिन्हें 387.76 करोड़ रुपये मिले।हाल ही में संसद में केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने बताया कि सरकार ने 2025-26 के लिए पीएम-किसान योजना के लिए 63,500 करोड़ रुपये निर्धारित किए हैं। उन्होंने बताया कि 2 अगस्त, 2025 को जारी इस योजना की 20वीं किस्त से देशभर के 9.71 करोड़ किसानों को 20,500 करोड़ रुपये की मदद मिली है। पंजाब में 11.34 लाख किसानों को इस किस्त से 387.76 करोड़ रुपये मिले।केंद्र ने कहा कि आधार, भूमि रिकॉर्ड और ई-केवाईसी जैसी नई डिजिटल जाँच व्यवस्थाएँ यह सुनिश्चित करने के लिए शुरू की गईं कि लाभ केवल वास्तविक किसानों तक ही पहुँचें और दुरुपयोग को रोका जा सके। 2019 से अब तक, सरकार 20 किश्तों में 3.90 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि वितरित कर चुकी है।पीएम-किसान में पंजाब की समयरेखापहली किस्त (दिसंबर 2018-मार्च 2019): 11.81 लाख किसानों को 236.39 करोड़ रुपयेदूसरी किस्त (अप्रैल-जुलाई 2019): 14.11 लाख किसानों को 312.85 करोड़ रुपयेतीसरी किस्त: 22.21 लाख किसानों को 483.42 करोड़ रुपयेचौथी किस्त (दिसंबर 2019-मार्च 2020): अब तक की सर्वाधिक - 23.01 लाख किसानों को 466.47 करोड़ रुपये5वीं किस्त (अप्रैल-जुलाई 2020): 19.01 लाख किसानों को 417.89 करोड़ रुपये दिए गए11वीं किस्त (अप्रैल-जुलाई 2022): 16.97 लाख किसानों को 340.95 करोड़ रुपये12वीं किस्त (अगस्त-नवंबर 2022): सबसे बड़ी गिरावट - केवल 2.07 लाख किसान, 41.87 करोड़ रुपये19वीं किस्त (दिसंबर 2024–मार्च 2025): 10.58 लाख किसानों को 373.04 करोड़ रुपये20वीं किस्त (अप्रैल-जुलाई 2025): 11.34 लाख किसानों को 387.76 करोड़ रुपयेसंख्या में गिरावट क्यों आई?सरकार ने बताया कि भूमि रिकॉर्ड लिंकिंग, आधार-आधारित भुगतान और ई-केवाईसी जैसे नियम 2022 के बाद अनिवार्य हो जाएँगे। कई किसानों ने ये कदम नहीं उठाए, इसलिए उनका भुगतान अस्थायी रूप से रोक दिया गया। रिकॉर्ड अपडेट करने के बाद, उन्हें लंबित भुगतान भी मिल जाएगा।मंत्रालय ने कहा कि इन बदलावों का उद्देश्य पारदर्शिता लाना, फर्जी लाभार्थियों से बचना तथा यह सुनिश्चित करना है कि पैसा सही लोगों तक पहुंचे।
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