इस्लामाबाद: पहले जेहादी एजेंडा चलाना और फिर बाद में खुलेआम झूठ बोलकर उसे नकार देने में पाकिस्तान का कोई मुकाबला नहीं है। पाकिस्तान ने पहले तो गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व के मौके पर ननकाना साहिब जाने की इच्छा रखने वाले हिंदुओं को धर्म के आधार पर बॉर्डर पार करने से रोक दिया। अब पाकिस्तान बेशर्मी से खुलेआम झूठ बोलने पर उतर आया है और उसने उन रिपोर्टों का खंडन किया है जिसमें कहा गया है कि हिंदू समुदाय के सदस्यों को धार्मिक आधार पर प्रवेश से रोका जा रहा है।
भारत से जाने वाले श्रद्धालुओं ने बताया था कि उनके पास सारे वैध दस्तावेज होने के बावजूद पाकिस्तानी अधिकारियों ने यह कहकर एंट्री देने से मना कर दिया कि उनके कागजात पर धर्म की जगह सिख नहीं लिखा है। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने इन आरोपों को गलत बताया है। विदेश कार्यालय के प्रवक्ता ताहिर हुसैन अंद्राबी ने एक बयान में कहा, पाकिस्तान हिंदू समुदाय के सदस्यों को अपने क्षेत्र में प्रवेश से वंचित करने के निराधार और भ्रामक आरोपों को स्पष्ट रूप से खारिज करता है।
पाकिस्तान ने बताया बेबुनियाद आरोप
पाकिस्तान मीडिया आउटलेट जियो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने आगे कहा कि ये दावे पूरी तरह से निराधार हैं और तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करने और एक ऐसे मामले को राजनीतिकरण करने का प्रयास है जो पूरी तरह के प्रशासनिक प्रकृति का था। अंद्राबी ने बताया कि नई दिल्ली स्थित पाकिस्तान उच्चायोग ने बाबा गुरु नानक देव जी की जयंती समारोह में भाग लेने के लिए भारत से 2400 से अधिक सिख तीर्थयात्रियों को वीजा जारी किया था।
श्रद्धालुओं को वापस लौटाने की मानी बात
4 नवंवबर को कुल 1932 तीर्थयात्रियों ने अटारी-वाघा सीमा के माध्यम से सफलतापूर्वक पाकिस्तान में प्रवेश किया। लगभग 300 वीजा धारकों को सीमा पार करने से रोक दिया गया था। अंद्राबी ने कहा कि पाकिस्तान की ओर से पूरी आव्रजन प्रक्रिया सुचारू और बिना किसी बाधा के हुई। उन्होंने आगे कहा कि बहुत कम संख्या में लोगों के पास अधूरे दस्तावेज पाए गए और वे आव्रजन विभाग को संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। इसके चलते मानक प्रक्रिया के अनुसार उनसे भारतीय सीमा में लौटने का अनुरोध किया गया।
बताया प्रशासनिक कार्रवाई
पाकिस्तानी विदेश कार्यालय के प्रवक्ता ने इस मामले में की गई रिपोर्टिंग को पूरी तरह से 'गलत और शरारतपूर्ण' बताया। हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि किस आधार पर लोगों को लौटाया गया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की कार्रवाई पूरी तरह से प्रशासनिक थी, जो पाकिस्तान के अपने क्षेत्र में प्रवेश को विनियमित करने के संप्रभु अधिकार के अनुरूप हैं। इस मुद्दे को सांप्रदायिक या राजनीतिक रंग देने का कोई भी प्रयास खेदजनक है।
भारत से जाने वाले श्रद्धालुओं ने बताया था कि उनके पास सारे वैध दस्तावेज होने के बावजूद पाकिस्तानी अधिकारियों ने यह कहकर एंट्री देने से मना कर दिया कि उनके कागजात पर धर्म की जगह सिख नहीं लिखा है। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने इन आरोपों को गलत बताया है। विदेश कार्यालय के प्रवक्ता ताहिर हुसैन अंद्राबी ने एक बयान में कहा, पाकिस्तान हिंदू समुदाय के सदस्यों को अपने क्षेत्र में प्रवेश से वंचित करने के निराधार और भ्रामक आरोपों को स्पष्ट रूप से खारिज करता है।
पाकिस्तान ने बताया बेबुनियाद आरोप
पाकिस्तान मीडिया आउटलेट जियो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने आगे कहा कि ये दावे पूरी तरह से निराधार हैं और तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करने और एक ऐसे मामले को राजनीतिकरण करने का प्रयास है जो पूरी तरह के प्रशासनिक प्रकृति का था। अंद्राबी ने बताया कि नई दिल्ली स्थित पाकिस्तान उच्चायोग ने बाबा गुरु नानक देव जी की जयंती समारोह में भाग लेने के लिए भारत से 2400 से अधिक सिख तीर्थयात्रियों को वीजा जारी किया था।
श्रद्धालुओं को वापस लौटाने की मानी बात
4 नवंवबर को कुल 1932 तीर्थयात्रियों ने अटारी-वाघा सीमा के माध्यम से सफलतापूर्वक पाकिस्तान में प्रवेश किया। लगभग 300 वीजा धारकों को सीमा पार करने से रोक दिया गया था। अंद्राबी ने कहा कि पाकिस्तान की ओर से पूरी आव्रजन प्रक्रिया सुचारू और बिना किसी बाधा के हुई। उन्होंने आगे कहा कि बहुत कम संख्या में लोगों के पास अधूरे दस्तावेज पाए गए और वे आव्रजन विभाग को संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। इसके चलते मानक प्रक्रिया के अनुसार उनसे भारतीय सीमा में लौटने का अनुरोध किया गया।
बताया प्रशासनिक कार्रवाई
पाकिस्तानी विदेश कार्यालय के प्रवक्ता ने इस मामले में की गई रिपोर्टिंग को पूरी तरह से 'गलत और शरारतपूर्ण' बताया। हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि किस आधार पर लोगों को लौटाया गया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की कार्रवाई पूरी तरह से प्रशासनिक थी, जो पाकिस्तान के अपने क्षेत्र में प्रवेश को विनियमित करने के संप्रभु अधिकार के अनुरूप हैं। इस मुद्दे को सांप्रदायिक या राजनीतिक रंग देने का कोई भी प्रयास खेदजनक है।
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