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पहले ड्रोन, फिर मिसाइल लॉन्चर पोत और अब बख्तरबंद वाहन... क्या युद्ध की तैयारी कर रहा मालदीव?

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माले: मालदीव ने हाल में ही संयुक्त अरब अमीरात से AJBAN 442A बख्तरबंद सैन्य वाहन खरीदे हैं। यह खरीद गोपनीय तरीके से की गई है। इस डील का पता तब चला, जब बख्तरबंद वाहनों को हुलहुले द्वीप पर उतारते हुए देखा गया। इसे मालदीव के सैन्य तैयारियों में एक नया कदम माना जा रहा है। इससे पहले मालदीव को तुर्की से एक मिसाइल लॉन्चर पोत दान में मिला था। इसके अलावा मालदीव ने दो साल पहले तुर्की से ही 37 मिलियन डॉलर में बायरकटर TB2 ड्रोन की खरीद की थी। मालदीव की ये सैन्य तैयारियां मोहम्मद मुइज्जू के राष्ट्रपति बनने के बाद तेज हुई हैं। मुइज्जू के कार्यकाल में भारत-मालदीव संबंधों में गिरावट आई है। श्रीलंका से मालदीव पहुंचे बख्तरबंद वाहनअधाधु की रिपोर्ट के अनुसार, इन बख्तरबंद वाहनों को मालदीव राष्ट्रीय रक्षा बल (MNDF) के लिए खरीदा गया है। इन वाहनों को यूएई से पहले श्रीलंका ले जाया गया था और 9 अप्रैल को मालदीव स्टेट शिपिंग (एमएसएस) द्वारा मालदीव भेजा गया। बख्तरबंद वाहनों को पहले हुलहुले में एमएनडीएफ मुख्यालय ले जाया गया और शुक्रवार को उन्हें राजधानी माले भेजा गया। एक वीडियो में पांच टैंकरों को सिनामाले ब्रिज पार करते हुए दिखाया गया है। यूएई के EDGE Group ने बनाया है यह वाहनअजबान 442ए बख्तरबंद वाहनों का आधिकारिक तौर पर शनिवार को माले में एमएनडीएफ की 133वीं वर्षगांठ परेड के दौरान अनावरण किया गया। यूएई के एज ग्रुप द्वारा निर्मित इन बख्तरबंद वाहनों को सामरिक संचालन के लिए डिजाइन किया गया है और इनकी अनुमानित कीमत 54 मिलियन एमवीआर है। EDGE Group, UAE स्थित सरकारी स्वामित्व वाला रक्षा समूह और उन्नत प्रौद्योगिकी समूह है। इसकी स्थापना 2019 में हुई थी और इसमें 25 से ज़्यादा संस्थाएं शामिल हैं जो रक्षा उपकरणों को विकसित करने और उनका उत्पादन करने का काम करती है। मालदीव ने खरीद पर साधी चुप्पीमालदीव में आयात किए गए वाहनों में बदलाव किए गए हैं। इसमें एक रिमोट हथियार स्टेशन, अतिरिक्त कवच प्लेटिंग, एक छत हैच और अतिरिक्त हथियार प्रणाली शामिल हैं। विशेषज्ञों और EDGE समूह की कीमतों के विश्लेषण के आधार पर, संशोधनों के साथ प्रत्येक वाहन की कीमत 700,000 अमेरिकी डॉलर होने की उम्मीद है। मालदीव ने सैन्य उपयोग के लिए पांच बख्तरबंद वाहनों का आयात किया है। मालदीव की सरकार ने यह नहीं बताया है कि यह गाड़ियां उन्हें मुफ्त मिली हैं या इसे खरीदने के लिए बजट की व्यवस्था कैसे की गई।
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