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ढूंढ लीजिए इन 13 में से कोई एक दस्तावेज, SIR में आधार से नहीं चलेगा काम, जुड़ गया एक और डॉक्यूमेंट

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नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने एसआईआर के लिए 12 दस्तावेजों में एक और दस्तावेज को मान्यता दे दी है। अब बिहार एसआईआर-2025 वोटर लिस्ट भी देश भर के लिए होने वाले एसआईआर में मान्य होगी। यानी अब मान्य दस्तावेजों की लिस्ट में 13 दस्तावेज हो गए हैं।

हालांकि, 12वें दस्तावेज के रूप में मान्य किए गए आधार को लेकर मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने स्पष्ट किया कि आधार ना तो जन्म प्रमाण पत्र का आधार है और ना ही निवास का। यह नागरिकता साबित करने वाला दस्तावेज नहीं है। यह केवल पहचान है। मुख्य चुनाव आयुक्त ने एनबीटी के सवाल पर आधार को लेकर देशभर में बन रही भ्रम की स्थिति को स्पष्ट करते हुए यह जवाब दिया।

इनमें से कोई न कोई प्रूफ देना होगासीईसी ज्ञानेश कुमार ने कहा कि नए युवा वोटर और ऐसे वोटर्स जिन्हें अपनी डेट ऑफ बर्थ और बर्थ प्लेस से संबंधित दस्तावेज जमा कराना है। अगर वह एनुमरेशन फार्म के साथ केवल आधार की कॉपी जमा कराते हैं तो ऐसे फार्म मान्य नहीं होंगे। वोटर को अपनी डेट ऑफ बर्थ और बर्थ प्लेस को प्रमाणित करने के लिए आधार के अलावा मान्य किए गए अन्य दस्तावेजों में से कोई ना कोई देना होगा। इसके अलावा आयोग ने यह भी बताया कि ऐसे वोटर, जो अपने माता-पिता वाले घर से कहीं और शिफ्ट हो गए हैं। उन्हें उस ऑर्डिनरी रेजिडेंट के लिए भी कोई ना कोई प्रूफ देना होगा।

जमा कराना होगा जन्म प्रमाण पत्रहां, अगर वह अपने पैतृक घर में ही रह रहे हैं और उनके माता-पिता का नाम एसआईआर वाली लिस्ट में है तो उन्हें केवल अपना जन्म प्रमाण पत्र जमा कराना होगा, इसके अलावा कुछ नहीं। जबकि उनका खुद का नाम अंतिम एसआईआर वाली वोटर लिस्ट में है तो उन्हें एक भी दस्तावेज जमा कराने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

चुनाव आयोग ने कहा कि अब चूंकि बिहार में एसआईआर प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। ऐसे में बिहार की एसआईआर-2025 वोटर लिस्ट को भी 13वें दस्तावेज के रूप में मान्यता दे दी गई है। इसका फायदा उन वोटरों पर पड़ेगा, जो बिहार से किसी दूसरे राज्य में शिफ्ट हो गए हैं। ऐसे में उनके माता-पिता का नाम अगर बिहार वाली इस वर्तमान एसआईआर वाली वोटर लिस्ट में है तो उन्हें केवल अपना जन्म प्रमाण पत्र और जहां रह रहे हैं। उसका कोई दस्तावेज देना होगा। बर्थ प्लेस का सर्टिफिकेट देने की कोई जरूरत नहीं होगी।

ये दस्तावेज जरूरी
  • केंद्र या राज्य सरकार/पीएसयू के नियमित कर्मचारी या पेंशनर्स को जारी कोई भी पहचान पत्र या पेंशन भुगतान आदेश।
  • सरकारी या स्थानीय प्राधिकरणों, बैंकों, डाकघरों, एलआईसी या पीएसयू द्वारा 1 जुलाई 1987 से पहले जारी कोई भी पहचान पत्र या प्रमाणपत्र।
  • जन्म प्रमाणपत्र जो किसी सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी हो।
  • पासपोर्ट।
  • मैट्रिकुलेशन या शैक्षणिक प्रमाणपत्र जो किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड या विश्वविद्यालय द्वारा जारी किया गया हो।
  • स्थायी निवास प्रमाणपत्र जो राज्य प्राधिकरण द्वारा जारी किया गया हो।
  • वन अधिकार प्रमाणपत्र
  • जाति प्रमाणपत्र (OBC/SC/ST) जो सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी किया गया हो।
  • राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) से संबंधित प्रमाणपत्र (जहां यह लागू है)।
  • फैमिली रजिस्टर, जो राज्य या स्थानीय प्राधिकरण द्वारा तैयार किया गया हो।
  • भूमि या मकान आवंटन प्रमाणपत्र, जो सरकार द्वारा जारी किया गया हो।
  • आधार कार्ड से जुड़ी आयोग की दिशा-निर्देश पत्र संख्या 23/2025-ERS/Vol.II दिनांक 09.09.2025 के अनुसार लागू होंगे।
सवाल- SIR क्या है? जवाब: एसआईआर यानी स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन। देश में 1951 से 2004 के बीच यह आठ बार हुआ। अंतिम बार यह 2004 में किया गया था। अब 21 साल बाद यह किया जा रहा है। जबकि यह करीब सात साल बाद होना चाहिए। यह वोटर लिस्ट को माइक्रो लेवल पर शुद्ध करने की प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया में ऐसे वोटरों की पहचान कर उनके नाम वोटर लिस्ट से डिलीट कर दिए जाते हैं। जिनकी मृत्यु हो गई है, जो परमानेंट शिफ्ट हो गए हैं, एक ही राज्य में एक से अधिक वोटर कार्ड बनवा रखे हैं, घुसपैठियों ने वोटर कार्ड बनवा लिए, लापता वोटर और ऐसे कुछ विदेशी वोटर जिनके नाम वोटर लिस्ट में जुड़ गए। इन सभी को एसआईआर प्रक्रिया के तहत वोटर लिस्ट से बाहर किया जाता है।

सवाल- इसकी जरूरत क्यों पड़ी? जवाब: चूंकि देश में लंबे समय से एसआईआर प्रक्रिया नहीं हुई थी। ऐसे में राज्यों की वोटर लिस्ट को शुद्ध करना बेहद जरूरी था। इसी वजह से मौजूदा मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने एसआईआर शुरू करने का यह बीड़ा उठाया। जिसके तहत पहले चरण में बिहार में एसआईआर का काम पूरा कर लिया गया है। दूसरे चरण में यूपी और पश्चिम बंगाल समेत 12 राज्यों में एसआईआर की घोषणा कर दी गई है। तीसरे चरण में बाकी बचे राज्यों में इसे शुरू किया जाएगा।

सवाल- इसे लेकर क्या विवाद है? जवाब: बिहार में एसआईआर को लेकर काफी विवाद हुआ। कांग्रेस और आरजेडी समेत तमाम विपक्षी पार्टियों ने एसआईआर का विरोध किया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने तो बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस करके चुनाव आयोग पर वोट चोरी करने जैसा गंभीर आरोप लगाया। दलों का कहना है कि एसआईआर से गरीब और टारगेट करके वोटरों के नाम काटे जा रहे हैं। जबकि बिहार में एसआईआर के बाद जब 30 सितंबर को फाइनल वोटर लिस्ट जारी की गई। तब से अब तक एक भी वोटर ने चुनाव आयोग पर ऐसा कोई आरोप नहीं लगाया कि उसका नाम गलत तरीके से काट दिया गया।
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