मुरादाबाद: उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में 3 दशक से सपा का केंद्र रही सिविल लाइंस की कोठी नंबर-4 सपा के पास ही रहेगी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोठी खाली करने के मुरादाबाद प्रशासन के आदेश पर रोक लगा दी है। यह आदेश मंगलवार यानी 28 अक्टूबर को सुनवाई के बाद जस्टिस अरिंदम सिन्हा और जस्टिकोर्ट ने सरकार की उस दलील को नहीं माना, जिस आधार पर आनन-फानन में कार्रवाई की गई।
मुलायम सिंह को कब आवंटित हुई थी कोठी?
मुरादाबाद के पॉश इलाके सिविल लाइंस में मुलायम सिंह यादव के नाम से एक सरकारी कोठी आवंटित की गई थी। ये बात साल 1994 की है। तब वे यूपी के मुख्यमंत्री थे। करीब 1000 वर्ग मीटर में ये कोठी सिर्फ़ 250 रुपये हर महीने के किराए पर जिला प्रशासन की तरफ से आवंटित की गई थी। तभी से समाजवादी पार्टी का दफ्तर यहॉ से चल रहा था। पर मुरादाबाद के डीएम अनुज कुमार सिंह ने इस आवंटन को रद्द करने का फैसला लिया है।
30 दिन में कोठी खाली करने का आदेश
मुरादाबाद के डीएम के फैसले के तुरंत बाद समाजवादी पार्टी के जिला अध्यक्ष को नोटिस थमा दिया गया था। उनको एक महीने के भीतर इस कोठी को खाली करने का आदेश दिया गया। आवंटन रद्द करने के पीछे तर्क यह दिया गया कि मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद इसका नामांतरण नहीं किया गया। नियम ये है कि किसी के निधन के बाद जिसके नाम पर ये जगह है, उसके बदले किसी और के नाम से इसका आवंटन कराया जाए। ऐसा न होने पर ही डीएम ने आवंटन रद्द करने का फैसला लिया था।
सपा ने बीजेपी पर साधा निशाना
समाजवादी पार्टी इस फैसले को राजनीति से प्रेरित बता रही है। पार्टी के पूर्व सांसद एस टी हसन ने कहा कि हमारे पास अदालत जाने का भी विकल्प है। उनका कहना है कि यूपी की बीजेपी सरकार को तो समाजवादी पार्टी के नाम से ही चिढ़ है।
मुलायम सिंह को कब आवंटित हुई थी कोठी?
मुरादाबाद के पॉश इलाके सिविल लाइंस में मुलायम सिंह यादव के नाम से एक सरकारी कोठी आवंटित की गई थी। ये बात साल 1994 की है। तब वे यूपी के मुख्यमंत्री थे। करीब 1000 वर्ग मीटर में ये कोठी सिर्फ़ 250 रुपये हर महीने के किराए पर जिला प्रशासन की तरफ से आवंटित की गई थी। तभी से समाजवादी पार्टी का दफ्तर यहॉ से चल रहा था। पर मुरादाबाद के डीएम अनुज कुमार सिंह ने इस आवंटन को रद्द करने का फैसला लिया है।
30 दिन में कोठी खाली करने का आदेश
मुरादाबाद के डीएम के फैसले के तुरंत बाद समाजवादी पार्टी के जिला अध्यक्ष को नोटिस थमा दिया गया था। उनको एक महीने के भीतर इस कोठी को खाली करने का आदेश दिया गया। आवंटन रद्द करने के पीछे तर्क यह दिया गया कि मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद इसका नामांतरण नहीं किया गया। नियम ये है कि किसी के निधन के बाद जिसके नाम पर ये जगह है, उसके बदले किसी और के नाम से इसका आवंटन कराया जाए। ऐसा न होने पर ही डीएम ने आवंटन रद्द करने का फैसला लिया था।
सपा ने बीजेपी पर साधा निशाना
समाजवादी पार्टी इस फैसले को राजनीति से प्रेरित बता रही है। पार्टी के पूर्व सांसद एस टी हसन ने कहा कि हमारे पास अदालत जाने का भी विकल्प है। उनका कहना है कि यूपी की बीजेपी सरकार को तो समाजवादी पार्टी के नाम से ही चिढ़ है।
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