पटना: लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की अगुवाई में निकाली गई ‘वोटर अधिकार यात्रा’ की सफलता से उत्साहित कांग्रेस विधानसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारे में अपने लिए सम्मानजनक संख्या में और अधिक से अधिक जिताऊ सीटें लेने की कोशिश में है। सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने कई ऐसी सीटें चिन्हित की हैं जो पिछले विधानसभा चुनाव में उसके हिस्से में नहीं थी लेकिन वह इस बार उन्हें अपने खाते में चाहती है। अब यही बात तेजस्वी यादव और लालू प्रसाद यादव के सामने मुश्किल खड़ी कर सकती है।
सिर्फ एक को अच्छी सीट लेने का हक नहीं- कांग्रेस
बिहार विधानसभा चुनाव के लिए महागठबंधन के घटक दलों के मध्य सीट बंटवारे को लेकर जारी बातचीत के बीच बीते बुधवार को पार्टी के प्रदेश प्रभारी कृष्णा अल्लावरू ने कहा था कि सीट बंटवारे में जीत की संभावना के लिहाज से ‘अच्छी’ और ‘खराब’ सीट का संतुलन होना चाहिए। उनका कहना था कि ऐसा नहीं हो सकता कि किसी एक दल के हिस्से में सारी ‘खराब’ सीट आएं और किसी दूसरे दल को सभी ‘अच्छी’ सीट मिल जाएं।
अभी तक महागठबंधन में सीट शेयरिंग पर एक राय नहीं
उनका यह भी कहना था कि महागठबंधन में नए दलों के आने पर मौजूदा सभी पार्टियों को अपने हिस्से की सीट उचित अनुपात में छोड़नी होंगी। महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर पिछले कुछ सप्ताह में कई बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन अभी भी पूरी तरह सहमति नहीं बन सकी है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘पिछली बार के अनुभव को देखते हुए इस बार हम सिर्फ सीटों की संख्या पर जोर नहीं दे रहे हैं, बल्कि हमारी कोशिश है कि इस बार संख्या भी सम्मानजक हो और ज्यादा से ज्यादा सीटें जिताऊ हों।’
पिछले चुनाव में 70 में से 19 सीटों पर ही जीत पाई थी कांग्रेस
साल 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को महागठबंधन में 70 सीटें मिली थीं, लेकिन वह सिर्फ 19 सीटें ही जीत सकी थी। ‘महागठबंधन’ के सत्ता से दूर रहने की एक बड़ी वजह कांग्रेस के अपेक्षाकृत निराशाजनक प्रदर्शन को माना गया। बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राजेश कुमार राम ने कहा, ‘राहुल गांधी के नेतृत्व में निकली ‘वोटर अधिकार यात्रा’ को अपार जनसमर्थन मिला है। कांग्रेस महागठबंधन की एक मजबूत सहयोगी है और उसी के अनुरूप विधानसभा चुनाव में वह सम्मानजनक सीटों की दावेदारी कर रही है।’ हालांकि, उन्होंने सीटों की संख्या स्पष्ट करने से इनकार किया।
सीट बंटवारे को लेकर 2-3 बैठकें: कांग्रेस
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने इस बात पर भी जोर दिया कि महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर कोई समस्या नहीं है। बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मीडिया विभाग के अध्यक्ष राजेश राठौर ने कहा कि सीट बंटवारे को लेकर महागठबंधन की दो-तीन बैठकें हो चुकी हैं और उनमें कांग्रेस का पक्ष सकारात्मक रूप से रखा गया है। प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता किशोर कुमार झा ने कहा कि लंबे समय बाद कार्यकर्ता जमीनी स्तर पर एकजुट होकर राहुल गांधी के साथ यात्रा में शामिल हुए।
राजद के साथ बराबरी पर बात होगी
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘सीट बंटवारे में पिछले लोकसभा चुनाव के नतीजों को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। कांग्रेस ने नौ सीटों पर चुनाव लड़ा था, तीन पर जीत हासिल की थी और यदि पूर्णिया को भी जोड़ा जाए, जहां पप्पू यादव कांग्रेस नेतृत्व का नाम लेकर जीते थे, तो यह संख्या चार हो जाती है।’ उन्होंने यह भी कहा कि ‘राजद के साथ सम्मानजनक समझौता तभी संभव है जब बराबरी के आधार पर बातचीत हो। अन्यथा महागठबंधन को नुकसान उठाना पड़ सकता है।’ गौरतलब है कि राहुल गांधी के नेतृत्व में 17 अगस्त को सासाराम से शुरू हुई वोटर अधिकार यात्रा 20 से अधिक जिलों से गुजरते हुए करीब 1300 किलोमीटर का सफर तय कर एक सितंबर को समाप्त हुई थी। बिहार में इस साल विधानसभा की सभी 243 सीटों पर अक्टूबर-नवंबर में चुनाव होने की संभावना है।
इनपुट- भाषा
सिर्फ एक को अच्छी सीट लेने का हक नहीं- कांग्रेस
बिहार विधानसभा चुनाव के लिए महागठबंधन के घटक दलों के मध्य सीट बंटवारे को लेकर जारी बातचीत के बीच बीते बुधवार को पार्टी के प्रदेश प्रभारी कृष्णा अल्लावरू ने कहा था कि सीट बंटवारे में जीत की संभावना के लिहाज से ‘अच्छी’ और ‘खराब’ सीट का संतुलन होना चाहिए। उनका कहना था कि ऐसा नहीं हो सकता कि किसी एक दल के हिस्से में सारी ‘खराब’ सीट आएं और किसी दूसरे दल को सभी ‘अच्छी’ सीट मिल जाएं।
अभी तक महागठबंधन में सीट शेयरिंग पर एक राय नहीं
उनका यह भी कहना था कि महागठबंधन में नए दलों के आने पर मौजूदा सभी पार्टियों को अपने हिस्से की सीट उचित अनुपात में छोड़नी होंगी। महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर पिछले कुछ सप्ताह में कई बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन अभी भी पूरी तरह सहमति नहीं बन सकी है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘पिछली बार के अनुभव को देखते हुए इस बार हम सिर्फ सीटों की संख्या पर जोर नहीं दे रहे हैं, बल्कि हमारी कोशिश है कि इस बार संख्या भी सम्मानजक हो और ज्यादा से ज्यादा सीटें जिताऊ हों।’
पिछले चुनाव में 70 में से 19 सीटों पर ही जीत पाई थी कांग्रेस
साल 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को महागठबंधन में 70 सीटें मिली थीं, लेकिन वह सिर्फ 19 सीटें ही जीत सकी थी। ‘महागठबंधन’ के सत्ता से दूर रहने की एक बड़ी वजह कांग्रेस के अपेक्षाकृत निराशाजनक प्रदर्शन को माना गया। बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राजेश कुमार राम ने कहा, ‘राहुल गांधी के नेतृत्व में निकली ‘वोटर अधिकार यात्रा’ को अपार जनसमर्थन मिला है। कांग्रेस महागठबंधन की एक मजबूत सहयोगी है और उसी के अनुरूप विधानसभा चुनाव में वह सम्मानजनक सीटों की दावेदारी कर रही है।’ हालांकि, उन्होंने सीटों की संख्या स्पष्ट करने से इनकार किया।
सीट बंटवारे को लेकर 2-3 बैठकें: कांग्रेस
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने इस बात पर भी जोर दिया कि महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर कोई समस्या नहीं है। बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मीडिया विभाग के अध्यक्ष राजेश राठौर ने कहा कि सीट बंटवारे को लेकर महागठबंधन की दो-तीन बैठकें हो चुकी हैं और उनमें कांग्रेस का पक्ष सकारात्मक रूप से रखा गया है। प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता किशोर कुमार झा ने कहा कि लंबे समय बाद कार्यकर्ता जमीनी स्तर पर एकजुट होकर राहुल गांधी के साथ यात्रा में शामिल हुए।
राजद के साथ बराबरी पर बात होगी
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘सीट बंटवारे में पिछले लोकसभा चुनाव के नतीजों को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। कांग्रेस ने नौ सीटों पर चुनाव लड़ा था, तीन पर जीत हासिल की थी और यदि पूर्णिया को भी जोड़ा जाए, जहां पप्पू यादव कांग्रेस नेतृत्व का नाम लेकर जीते थे, तो यह संख्या चार हो जाती है।’ उन्होंने यह भी कहा कि ‘राजद के साथ सम्मानजनक समझौता तभी संभव है जब बराबरी के आधार पर बातचीत हो। अन्यथा महागठबंधन को नुकसान उठाना पड़ सकता है।’ गौरतलब है कि राहुल गांधी के नेतृत्व में 17 अगस्त को सासाराम से शुरू हुई वोटर अधिकार यात्रा 20 से अधिक जिलों से गुजरते हुए करीब 1300 किलोमीटर का सफर तय कर एक सितंबर को समाप्त हुई थी। बिहार में इस साल विधानसभा की सभी 243 सीटों पर अक्टूबर-नवंबर में चुनाव होने की संभावना है।
इनपुट- भाषा
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