अनिल सिन्हा, नई दिल्ली: अशोका यूनिवर्सिटी में राजनीति विज्ञान के असोसिएट प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष अली खान महमूदाबाद की गिरफ्तारी ने लोकतांत्रिक अधिकारों और अभिव्यक्ति की आजादी से जुड़े पुराने सवाल फिर से उठा दिए हैं। विचारों का संघर्ष: इस सच्चाई से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता कि देश में विचारों का तीखा संघर्ष चल रहा है और संस्थाएं इसका शिकार हो रही हैं। प्रो. महमूदाबाद की इस शिकायत में दम है कि यह एक नए तरह की सेंसरशिप और प्रताड़ना है, जिसमें वे मुद्दे ईजाद कर लिए जाते हैं जो हैं ही नहीं। उन्होंने यह बात अपनी फेसबुक पोस्ट पर हरियाणा महिला आयोग की ओर से मिले नोटिस के बाद कही। महिला आयोग के आरोप: प्रो. महमूदाबाद का कहना है कि उनकी पोस्ट को इतने गलत ढंग से पढ़ा और समझा गया कि उसका अर्थ ही उलटा हो गया है। आयोग ने 12 मई को जारी नोटिस में आरोप लगाया है कि उन्होंने अपनी पोस्ट के जरिए सैन्य कार्रवाई और सीमापार आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई में औरतों की भूमिका को बदनाम करने की कोशिश की है। प्रोफेसर का कहना है कि आयोग अपने अधिकारक्षेत्र से बाहर आकर कार्रवाई कर रहा है। पोस्ट की टाइमिंग: महमूदाबाद की पोस्ट आठ मई को आई जब सैन्य कार्रवाई में पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर जोरदार प्रहार को लेकर देश आंदोलित था। देश एक बड़े युद्ध में करीब-करीब फंसा दिख रहा था। सोशल मीडिया पर ज्यादातर लोग सेना की कार्रवाई को लेकर उत्साहित थे, जबकि कुछ लोग इस कार्रवाई के युद्ध में बदल देने को लेकर अलग राय रखते थे। वे युद्धोन्माद के खिलाफ थे। सांप्रदायिक एकता: प्रो. महमूदाबाद ने अपनी पोस्ट में युद्धोन्माद फैलाने को लेकर आगाह किया। जाहिर है, उन्हें हिम्मत इस तथ्य से भी मिली कि देश में सांप्रदायिक एकता का जो माहौल सेना की कार्रवाई के दौरान दिखा वह अभूतपूर्व था। इस बात से इनकार करना मुश्किल है कि दक्षिणपंथी तत्वों का एक हिस्सा इससे खुश नहीं था। प्रो. महमूदाबाद ने इन्हीं दक्षिणपंथी तत्वों को निशाना बनाया। दो FIR: महमूदाबाद के खिलाफ दो FIR दर्ज की गई है। एक प्राथमिकी हरियाणा महिला आयोग की अध्यक्ष रेणु भाटिया और दूसरी सोनीपत जिले के जठेरी गांव के सरपंच योगेश जठेरी ने कराई है। जठेरी हरियाणा भारतीय जनता युवा मोर्चा के महासचिव हैं। अशोका यूनिवर्सिटी सोनीपत में ही है। प्रोफेसर के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की जो धाराएं लगाई गई हैं। उनमें 152 (देश की संप्रभुता, एकता और अखंडता पर खतरा पैदा करना) भी है। धारा 152 अंग्रेजी हुकूमत के समय के राजद्रोह के कानून का नया अवतार है और इसमें आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है। सैन्य कार्रवाई का समर्थन: प्रो. महमूदाबाद की फेसबुक पोस्ट को ध्यान से पढ़ें तो यह सेना की कार्रवाई के समर्थन में है। वह बताते हैं कि पाकिस्तान में आतंकवाद को वहां की सरकार से अलग करके नहीं देखा जा सकता। खुद इससे पीड़ित होने का नाटक कर पाकिस्तान इन कार्रवाइयों से बच नहीं सकता। उन्होंने सैन्य कार्रवाई को आतंकी ठिकानों तक सीमित रखने और नागरिक तथा सैनिक ठिकानों को उससे अलग रखने के लिए भारतीय सेना की सराहना की है। युद्ध का विरोध: पोस्ट का दूसरा हिस्सा युद्ध के विरोध में है। वह कहते हैं कि जिन लोगों को इसका अनुभव है, वही इस दर्द को समझ सकते हैं। युद्ध सबसे ज्यादा नुकसान गरीब लोगों को पहुंचाता है। वह मानते हैं कि ऐसे हालात में युद्ध को टाला नहीं जा सकता, लेकिन यह भी कहते हैं कि सैन्य कार्रवाई से कोई राजनीतिक समस्या हल नहीं होती। पोस्ट का तीसरा हिस्सा: उनकी फेसबुक पोस्ट का तीसरा हिस्सा सबसे महत्वपूर्ण है। उन्होंने इसमें लिखा है कि कर्नल सोफिया कुरैशी व विंग कमांडर व्योमिका सिंह को सैन्य कार्रवाई की जानकारी देने की जिम्मेदारी सौंपना देखने में महत्वपूर्ण है, लेकिन इस भाव को जमीन पर वास्तविकता में बदलना चाहिए, वरना यह एक पाखंड बनकर रह जाएगा। उन्होंने कर्नल सोफिया कुरैशी की तारीफ करने वाले दक्षिणपंथियों को चुनौती दी है कि उन भारतीय नागरिकों की रक्षा के लिए भी आगे आएं जो मॉब लिंचिंग और बुलडोजर के मनमाने उपयोग के शिकार हैं। विजय शाह का बयान: लगभग समानांतर रूप से चल रहे मध्य प्रदेश के मंत्री कुंवर विजय शाह के बयान से जुड़े प्रकरण को भी इसी संदर्भ में देखने की जरूरत है। उस मामले में पुलिस तंत्र का ढीला-ढाला रवैया कोर्ट की टिप्पणियों से भी स्पष्ट है। सवाल लोकतंत्र का: ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या भारतीय लोकतंत्र में वैचारिक संघर्ष अब पुलिसिया दखल से तय किए जाएंगे? क्या इसे रोकने का कोई कारगर तरीका समय रहते नहीं अपनाया जाना चाहिए? यह सिर्फ अभिव्यक्ति की आजादी का नहीं, पूरे लोकतंत्र का सवाल है। (लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)
You may also like
समुद्री आतंकवाद-लुटेरों पर भारत और संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने जताई चिंता
विदेश मंत्री जयशंकर ने की डेनमार्क की प्रधानमंत्री फ्रेडरिक्सन से मुलाकात, पीएम मोदी का दिया संदेश
चंबल जल योजना में 1291 करोड़ की राशि खर्च! 56 हजार परिवारों को एक साल और करना पड़ेगा इंतजार, जानिए वजह
What Is Google Veo 3 In Hindi: क्या है वियो 3?, गूगल के इस नए एआई टूल की जानिए खासियत
SI भर्ती को लेकर इस दिन 'हुंकार' भरेंगे हनुमान बेनीवाल, चेतावनी देते हुए बोले 'आवाज न उठाई तो नंबर खरीदे जाएंगे'