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बेटे को खेत में छिपाया, खुद रोड पर बैठे... आजम ने बताया जब बंदूक ताने पुलिसवाले एनकाउंटर की तैयारी में थे?

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रामपुर: समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता आजम खान जेल से बाहर आ चुके हैं और मीडिया से रूबरू हो रहे हैं। उन्होंने हाल ही में सीनियर नेता और कांग्रेस सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे कपिल सिब्बल के साथ बातचीत में साल 2008 के चर्चित छजलैट प्रकरण का जिक्र किया। आजम ने बताया वो किस्सा जब रास्ते में बंदूक ताने पुलिसवाले एनकाउंटर की तैयारी में थे। उन्होंने बताया कि पुलिस का गलत इरादा भांपकर बेटे को खेत में छिपाया और खुद रोड पर बैठ गए।

कपिल सिब्बल संग पॉडकास्ट में आजम ने बताया- मुझे समाजवादी पार्टी के नेता और मंत्री रहे अमीर आलम खान के घर दावत-ए-वलीमा में शामिल होने के लिए मुजफ्फरनगर जाना था। उस समय नेता मुलायम सिंह यादव जी ने मुझे पजेरो गाड़ी दी हुई थी जो डार्क ग्रीन कलर की थी। मैं रामपुर से बेटे अब्दुल्ला और एक ड्राइवर को संग लेकर चला। मैं गाड़ी में पीछे की सीट पर लेटा हुआ था। मुरादाबाद के छजलैट थाना एरिया पहुंचने पर अब्दुल्ला ने मुझे नींद में से जगाया। वो बहुत समय छोटा था और आगे की सीट पर उचक-उचक कर देख रहा था। उसने कहा पापा उठिए बहुत पुलिस खड़ी है। मैंने देखा कि सड़क के दोनों तरफ कतार से राइफल ताने हुए पुलिसकर्मी खड़े थे। बैरिकेडिंग भी ऐसी लगाई गई थी कि जिससे गाड़ी को निकालने का रास्ता मिल सके।

गाड़ी में आतंकी की जानकारी पर पुलिस ने रोका!
सपा नेता ने बताया- पुलिस वालों को लगा था कि मैं अपने सख्त मिजाज की वजह से गाड़ी नहीं रोकूंगा और इससे उन्हें गोली चलाने का मौका मिल जाएगा। लेकिन मैंने गाड़ी रोकी तो एस. खान नाम का एक दरोगा राम नंगी रिवाल्वर लिए मेरी तरफ आया और सीने पर सटा दिया। उसने कहा कि हमें रेडियोग्राम मिला है की रामपुर की तरफ से एक ब्लैक कलर की गाड़ी आ रही है, जिसमें आतंकवादी हो सकते हैं।

आजम ने बताया कि ये 2008 में जनवरी के पहले दिन की घटना है। एक दिन पहले ही 31 दिसंबर को सीआरपीएफ के कैंप पर आतंकियों की फायरिंग की खबर आई थी। वह बताते हैं- मैं गाड़ी से उतर गया और पुलिस का इरादा भांपकर ड्राइवर को बोल दिया कि बच्चों को लेकर दूर खेत में निकल जाओ, जिससे कि अगर ये लोग गोली चलाते हैं तो बच्चा सलामत रहे। मैं वहीं फुटपाथ के किनारे सड़क पर ही बैठ गया और कहा कि मैं अंदर नहीं जाऊंगा।


उन्होंने कहा- यह सब हो रहा था तभी वहां दोपहर में जुहर की नमाज अदा करके निकले लोग मुझे पहचान कर मेरे पास आए और धीरे-धीरे भीड़ लगने शुरू हो गई। थोड़ी देर में मुरादाबाद के पार्टी के विधायक आए। डीएम और एसपी भी मौके पर पहुंच गए। उन्होंने मुझसे दरख्वास्त की कि इस इंस्पेक्टर से गलती हो गई है। उसने पहचाना नहीं। अब आप चले जाइए। लेकिन मैंने कहा नहीं गलती तो नहीं है क्योंकि किसने मेरा नाम लेकर मुझे बोला और गाड़ी से धमकी देते हुए उतारा।

बह बोले- खैर उन्होंने निवेदन किया तो मैं आगे बढ़ गया और इस पूरे प्रकरण में लेट होने की वजह से मुजफ्फरनगर में वलीमा में जाने की बजाय दिल्ली चला गया। वहां यूपी भवन में पहुंचकर जैसे ही टीवी ऑन किया तो न्यूज़ चल रही थी कि आजम खान पर फलां-फलां धाराओं में मुकदमा दर्ज हो गया है। इसके बाद केस चला और मेरी सदस्यता समाप्त हो गई।

ये मामला क्या था?
वर्ष 2008 में आजम खां का काफिला मुरादाबाद-हरिद्वार रोड से गुजर रहा था। इसी दौरान छजलैट थाने के सामने पुलिस ने उनकी गाड़ी से हूटर उतार दिया। इस पर नाराज होकर आजम खां सड़क पर धरने पर बैठ गए और जाम लगा दिया। देखते ही देखते बड़ी संख्या में सपा कार्यकर्ता मौके पर पहुंच गए। प्रदर्शन इतना उग्र हो गया कि नजदीकी बिजली घर में तोड़फोड़ तक कर दी गई।

पुलिस ने क्यों बनाया भगौड़ा
इस घटना में केस दर्ज हुआ और आजम खां को अदालत में पेश होने के लिए कई बार समन भेजा गया। आरोप है कि वे बार-बार अदालत में हाजिर नहीं हुए। इसके चलते 2020 में रामपुर के तत्कालीन गंज थाना प्रभारी रामवीर सिंह ने मुरादाबाद के छजलैट थाने में आजम खां के खिलाफ आईपीसी की धारा 174ए भगौड़े के तहत एफआईआर दर्ज कराई।

कोर्ट की कार्यवाही
मामले की सुनवाई मुरादाबाद की एमपी-एमएलए कोर्ट (एसीजेएम-1) में हुई। अभियोजन पक्ष ने सात गवाह पेश किए, जबकि बचाव पक्ष की ओर से एक गवाह पेश हुआ। आजम खां के वकील शाहनवाज सिब्तैन नकवी ने अदालत के समक्ष दलील दी कि उनके मुवक्किल पर लगे आरोप निराधार हैं। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने आजम खां को भगौड़े के आरोप से बरी कर दिया।
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