नई दिल्ली: भारत को हर साल ट्रैफिक जाम और गड्ढों वाली सड़कों के कारण भारी नुकसान होता है। यह 60,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का है। जिपी के सीईओ माधव कस्तूरिया ने लिंक्डइन पर एक पोस्ट में इसे लेकर चिंता जताई है। उन्होंने बेंगलुरु को शहरी विफलता का उदाहरण बताया। कस्तूरिया के अनुसार, यह नुकसान पाकिस्तान से मुकाबले के लिए भारत के रक्षा बजट से भी ज्यादा है। उन्होंने कहा कि सरकारें 'स्मार्ट सिटी' के बारे में ट्वीट करती रहती हैं। लेकिन, सच यह है कि हम 'डंब' सड़कों पर चल रहे हैं। ट्रैफिक की वजह से देरी, खराब लॉजिस्टिक्स और शहरों में बुनियादी ढांचे के टूटने से देश को भारी नुकसान होता है। दूसरे शब्दों में कहें तो गड्ढे और जाम शहरों को रेंगने पर मजबूर कर देते हैं। यह नुकसान भले प्रत्यक्ष न दिखे। लेकिन, भारत की अर्थव्यवस्था को इसका खामियाजा उठाना पड़ता है।
कस्तूरिया ने बेंगलुरु के खराब ट्रैफिक व्यवस्था पर चिंता जताई है। उन्होंने ब्लैकबक के सह-संस्थापक राजेश याबाजी का उदाहरण दिया। याबाजी ने नौ साल बाद बेंगलुरु के आउटर रिंग रोड को छोड़ दिया। इसकी वजह वहां का खराब ट्रैफिक था। कस्तूरिया का कहना है कि ट्रैफिक की वजह से अब कारोबार बड़े शहरों से बाहर जा रहे हैं। उन्होंने कहा, 'यह कारोबार है, जो शहर छोड़ रहा है।'
दुनिया का तीसरा सबसे धीमा शहर है बेंगलुरु आंकड़े बताते हैं कि बेंगलुरु दुनिया का तीसरा सबसे धीमा शहर है। यहां औसतन 10 किलोमीटर की दूरी तय करने में 34 मिनट लगते हैं। मुंबई और दिल्ली में भी ऐसी ही स्थिति है। इसके मुकाबले टोक्यो में इतनी ही दूरी तय करने में सिर्फ 12 मिनट लगते हैं।
भारत में औसतन एक तरफ से ऑफिस जाने में 59 मिनट लगते हैं। यानी हर कर्मचारी को हर दिन लगभग 2 घंटे ट्रैफिक में बिताने पड़ते हैं। अगर इसे 10 करोड़ शहरी पेशेवरों से गुणा किया जाए तो हर साल प्रोडक्टिविटी में भारी नुकसान होता है। यह नुकसान हजारों करोड़ रुपये में होता है।
एक्सपर्ट ने दी चेतावनीकस्तूरिया सिर्फ ऑफिस जाने की बात नहीं करते हैं। उन्होंने माल ढुलाई में भी कमियों की बात की। उन्होंने कहा, 'भारत में ट्रक औसतन 300 किलोमीटर प्रति दिन चलते हैं। अमेरिका में यह आंकड़ा 800 किलोमीटर है।' उन्होंने कहा कि ट्रांजिट में लगने वाला हर अतिरिक्त घंटा खाने-पीने की चीजों से लेकर ई-कॉमर्स तक हर चीज की लागत को बढ़ा देता है।
कस्तूरिया ने चेतावनी दी है कि थकान, नौकरी छोड़ने और भर्ती में आने वाली दिक्कतें अब सिर्फ एचआर की समस्या नहीं हैं। ये खराब बुनियादी ढांचे के लक्षण हैं। उन्होंने कहा, 'शहर टैक्स की वजह से स्टार्टअप नहीं खोते हैं। वे इसलिए खोते हैं क्योंकि लोग ठीक हालत में काम पर नहीं आ पाते हैं।'
कस्तूरिया ने बताया कि 2018 में ही बेंगलुरु को ट्रैफिक जाम की वजह से हर साल 1,170 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा था। उनका कहना है कि आज यह नुकसान और भी ज्यादा है। उन्होंने कहा, 'यह असली युद्ध है।'
कस्तूरिया ने बेंगलुरु के खराब ट्रैफिक व्यवस्था पर चिंता जताई है। उन्होंने ब्लैकबक के सह-संस्थापक राजेश याबाजी का उदाहरण दिया। याबाजी ने नौ साल बाद बेंगलुरु के आउटर रिंग रोड को छोड़ दिया। इसकी वजह वहां का खराब ट्रैफिक था। कस्तूरिया का कहना है कि ट्रैफिक की वजह से अब कारोबार बड़े शहरों से बाहर जा रहे हैं। उन्होंने कहा, 'यह कारोबार है, जो शहर छोड़ रहा है।'
दुनिया का तीसरा सबसे धीमा शहर है बेंगलुरु आंकड़े बताते हैं कि बेंगलुरु दुनिया का तीसरा सबसे धीमा शहर है। यहां औसतन 10 किलोमीटर की दूरी तय करने में 34 मिनट लगते हैं। मुंबई और दिल्ली में भी ऐसी ही स्थिति है। इसके मुकाबले टोक्यो में इतनी ही दूरी तय करने में सिर्फ 12 मिनट लगते हैं।
भारत में औसतन एक तरफ से ऑफिस जाने में 59 मिनट लगते हैं। यानी हर कर्मचारी को हर दिन लगभग 2 घंटे ट्रैफिक में बिताने पड़ते हैं। अगर इसे 10 करोड़ शहरी पेशेवरों से गुणा किया जाए तो हर साल प्रोडक्टिविटी में भारी नुकसान होता है। यह नुकसान हजारों करोड़ रुपये में होता है।
एक्सपर्ट ने दी चेतावनीकस्तूरिया सिर्फ ऑफिस जाने की बात नहीं करते हैं। उन्होंने माल ढुलाई में भी कमियों की बात की। उन्होंने कहा, 'भारत में ट्रक औसतन 300 किलोमीटर प्रति दिन चलते हैं। अमेरिका में यह आंकड़ा 800 किलोमीटर है।' उन्होंने कहा कि ट्रांजिट में लगने वाला हर अतिरिक्त घंटा खाने-पीने की चीजों से लेकर ई-कॉमर्स तक हर चीज की लागत को बढ़ा देता है।
कस्तूरिया ने चेतावनी दी है कि थकान, नौकरी छोड़ने और भर्ती में आने वाली दिक्कतें अब सिर्फ एचआर की समस्या नहीं हैं। ये खराब बुनियादी ढांचे के लक्षण हैं। उन्होंने कहा, 'शहर टैक्स की वजह से स्टार्टअप नहीं खोते हैं। वे इसलिए खोते हैं क्योंकि लोग ठीक हालत में काम पर नहीं आ पाते हैं।'
कस्तूरिया ने बताया कि 2018 में ही बेंगलुरु को ट्रैफिक जाम की वजह से हर साल 1,170 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा था। उनका कहना है कि आज यह नुकसान और भी ज्यादा है। उन्होंने कहा, 'यह असली युद्ध है।'
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