मुंबई : उद्धव सेना और राज ठाकरे की मनसे के साथ चुनावी गठबंधन के ऐलान से पहले ही पार्टी के किसान नेता और पूर्व प्रवक्ता किशोर तिवारी ने शिवसेना (यूबीटी) से इस्तीफा दे दिया है। सोमवार को उन्होंने दावा किया कि उद्धव सेना के लिए यह गठबंधन बहुत भारी पड़ेगा। जो हिंदी समाज बचा भी है वह भी उद्धव सेना छोड़कर चला जाएगा।
हिंदी भाषी नेता दे सकते हैं इस्तीफा
उद्धव ठाकरे की शिवसेना और राज ठाकरे के मनसे की बीच चुनावी गठबंधन की संभावनाएं बढ़ती जा रही है। इससे जहां एक तरफ लोग खुश है तो दूसरी ओर विरोध भी शुरू हो गया है। आने वाले दिनों में उद्धव सेना से जुड़े कई सारे हिंदी भाषी नेता इस्तीफा दे सकते हैं। उद्धव सेना से इस्तीफा देने वाले विदर्भ के नेता किशोर तिवारी का कहना है कि मनसे हिंदी भाषियों, अन्य भाषाई अल्पसंख्यकों और मुसलमानों के खिलाफ है। ये सभी वर्ग "महाविकास आघाडी और विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की मुख्य रीढ़" हैं।
राज ठाकरे के साथ गठबंधन न करने के लिए लिखा था पत्र
किसान नेता किशोर तिवारी ने दावा किया कि 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में शिवसेना (यूबीटी) ने जो 20 सीट जीतीं थी, उनमें से 10 सीट पर उसकी जीत मुख्य रूप से हिंदी भाषी, मुसलमान, दलित और ओबीसी मतदाताओं के समर्थन के कारण ही संभव हुई। फरवरी में शिवसेना (उबाठा) के प्रवक्ता पद से हटाए गए तिवारी ने इससे पहले उद्धव ठाकरे को खुला पत्र लिखकर आग्रह किया था कि वह अपने चचेरे भाई राज ठाकरे के साथ गठबंधन न करें। उन्होंने कहा था कि राज ठाकरे महाराष्ट्र में गैर-मराठी और मुसलमानों के खिलाफ एजेंडा चला रहे हैं। तिवारी ने कहा कि उनकी अपील को नजरअंदाज किया गया इसलिए उन्होंने अब पार्टी छोड़ने का निर्णय लिया है। तिवारी ने कहा कि अब, भाषाई प्रादेशिकता की सुरक्षा और सामंजस्य तथा राष्ट्रीय हित के लिए, मैं शिवसेना (यूबीटी) से अलग हो रहा हूं।
रविवार को शिवसेना से दिया इस्तीफा
कुछ साल पहले, राज्य सरकार ने किशोर तिवारी को किसानों की आत्महत्या रोकने और कृषि सुधार लाने के तरीकों पर सुझाव देने के लिए गठित एक कार्यबल का प्रमुख नियुक्त किया गया था, लेकिन बाद में उन्हें इस पद से हटा दिया गया। किशोर तिवारी ने कहा कि उन्होंने रविवार को शिवसेना (यूबीटी) की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। रही बात दूसरी पार्टी में जाने का तो वह बाद में इसकी जानकारी देंगे।
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