काबुल: पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच कई दिनों तक हिंसक संघर्ष के बाद दोनों देशों में सहमति बनी है। रविवार को कतर और तुर्की की मध्यस्थता में पाकिस्तान और अफगानिस्तान के रक्षा मंत्रियों ने दोहा में मुलाकात की थी। कतर ने मुलाकात के बाद एक बयान जारी कर बताया था कि वार्ता के दौरान दोनों पक्ष संघर्ष को रोकने पर सहमत हुए हैं। इसके साथ यह भी बताया था कि दोनों पक्ष आने वाले दिनों में आगे की मुलाकात के लिए सहमत हुए हैं। लेकिन पाकिस्तानी अभी इस सीजफायर की खुशी ठीक से मना भी नहीं पाए थे कि कतर ने इस घोषणा को लेकर जारी बयान में संशोधन करके पाकिस्तान को बड़ा झटका दे दिया है।
दरअसल, कतर ने सीजफायर को लेकर अपने बयान से अफगानिस्तान और पाकिस्तान को बांटने वाली काल्पनिक डूरंड लाइन के जिक्र को हटा दिया है। टोलो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, काबुल-इस्लामाबाद युद्धविराम समझौते पर अपने शुरुआती बयान में कतर के विदेश मंत्रालय ने डूरंड लाइन को अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच एक सीमा बताया था। इस पर अफगानिस्तान में लोगों की व्यापक प्रतिक्रियाएं भड़क उठी थीं।
कतर ने बयान से हटाया डूरंड लाइन का जिक्र
कतर के विदेश मंत्रालय ने अब काबुल और इस्लामाबाद के बीच युद्धविराम समझौते पर अपने आधिकारिक बयान से उस संदर्भ को हटा लिया है। कतरी विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर अपलोड बयान में अब डूरंड लाइन का कोई जिक्र नहीं है। अफगानिस्तान पर अमेरिका के विशेष दूत रहे जल्मे खलीलजाद ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में बताया कि कतर ने अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम की सहमति पर अपने पहले के बयान को संशोधित कर लिया है।
तालिबान रक्षा मंत्री ने क्या कहा?
इस बीच अफगानिस्तान के रक्षा मंत्री मुल्ला याकूब मुजाहिद ने कहा है कि दोहा में बातचीत के दौरान डूरंड लाइन पर कोई चर्चा नहीं हुई है। दोहा से एक ऑनलाइन प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए उन्होंने जोर देकर कहा कि समझौते के किसी भी भाग में काल्पनिक डूरंड रेखा पर चर्चा नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा देशों के बीच का मामला है। रक्षा मंत्री ने आगे कहा कि अगर पाकिस्तान कोई हमला करता तो अफगानिस्तान जवाबी कार्रवाई करेगा।
डूरंड लाइन पर क्या है विवाद?
डूरंड लाइन एक काल्पनिक रेखा है जो अफगानिस्तान को पाकिस्तान से विभाजित करती है। इसे ब्रिटिश औपनिवेशिक काल में बनाया गया था। हालांकि, अफगानिस्तान की किसी भी सरकार ने इसे मान्यता नहीं दी है और अपनी सीमा पाकिस्तान के अंदर तक मानते रहे हैं। तालिबान भी इसी रुख पर कायम है, जिसके चलते अफगानिस्तान और पाकिस्तान सीमा पर कई बार हिंसक झड़पें हो चुकी हैं।
दरअसल, कतर ने सीजफायर को लेकर अपने बयान से अफगानिस्तान और पाकिस्तान को बांटने वाली काल्पनिक डूरंड लाइन के जिक्र को हटा दिया है। टोलो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, काबुल-इस्लामाबाद युद्धविराम समझौते पर अपने शुरुआती बयान में कतर के विदेश मंत्रालय ने डूरंड लाइन को अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच एक सीमा बताया था। इस पर अफगानिस्तान में लोगों की व्यापक प्रतिक्रियाएं भड़क उठी थीं।
कतर ने बयान से हटाया डूरंड लाइन का जिक्र
कतर के विदेश मंत्रालय ने अब काबुल और इस्लामाबाद के बीच युद्धविराम समझौते पर अपने आधिकारिक बयान से उस संदर्भ को हटा लिया है। कतरी विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर अपलोड बयान में अब डूरंड लाइन का कोई जिक्र नहीं है। अफगानिस्तान पर अमेरिका के विशेष दूत रहे जल्मे खलीलजाद ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में बताया कि कतर ने अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम की सहमति पर अपने पहले के बयान को संशोधित कर लिया है।
तालिबान रक्षा मंत्री ने क्या कहा?
इस बीच अफगानिस्तान के रक्षा मंत्री मुल्ला याकूब मुजाहिद ने कहा है कि दोहा में बातचीत के दौरान डूरंड लाइन पर कोई चर्चा नहीं हुई है। दोहा से एक ऑनलाइन प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए उन्होंने जोर देकर कहा कि समझौते के किसी भी भाग में काल्पनिक डूरंड रेखा पर चर्चा नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा देशों के बीच का मामला है। रक्षा मंत्री ने आगे कहा कि अगर पाकिस्तान कोई हमला करता तो अफगानिस्तान जवाबी कार्रवाई करेगा।
डूरंड लाइन पर क्या है विवाद?
डूरंड लाइन एक काल्पनिक रेखा है जो अफगानिस्तान को पाकिस्तान से विभाजित करती है। इसे ब्रिटिश औपनिवेशिक काल में बनाया गया था। हालांकि, अफगानिस्तान की किसी भी सरकार ने इसे मान्यता नहीं दी है और अपनी सीमा पाकिस्तान के अंदर तक मानते रहे हैं। तालिबान भी इसी रुख पर कायम है, जिसके चलते अफगानिस्तान और पाकिस्तान सीमा पर कई बार हिंसक झड़पें हो चुकी हैं।
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