Full Scholarships For Indians: दुनियाभर में हायर एजुकेशन महंगा होता जा रहा है। अमेरिका हो या ब्रिटेन या फिर ऑस्ट्रेलिया-कनाडा, किसी भी देश में पढ़ने के लिए लाखों रुपये का बजट चाहिए। इसकी वजह ये है कि इन देशों में ट्यूशन फीस आसमान छूने लगी है। हालांकि, अच्छी बात ये है कि अभी भी दुनिया में कई सारे ऐसे देश हैं, जहां पढ़ने के लिए ज्यादा पैसा नहीं खर्च करना पड़ेगा। इसकी वजह ये है कि इन देशों की सरकारें या यूनिवर्सिटीज विदेशी छात्रों को स्कॉलरशिप देती हैं।
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दरअसल, दुनियाभर में यूनिवर्सिटी और सरकारें चाहती हैं कि टॉप स्टूडेंट्स उनके यहां पढ़ने आए हैं। टॉप टैलेंट को आकर्षित करने के लिए स्कॉलरशिप दी जा रही हैं। कुछ जगहों पर फुली फंडेड स्कॉलरशिप मिलती है, तो कुछ जगह ट्यूशन फीस माफ करने के लिए स्कॉलरशिप अलॉट होती है। कुल मिलाकर स्कॉलरशिप के जरिए विदेश में पढ़ना काफी हद तक आसान हो जाता है। आइए जानते हैं कि दुनिया के किन देशों में स्कॉलरशिप के जरिए पढ़ाई की जा सकती है।
जर्मनी
साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथ्स यानी STEM की पढ़ाई के लिए जर्मनी को सबसे बेहतरीन देश माना जाता है। यहां की सरकारी यूनिवर्सिटीज में कोई ट्यूशन फीस नहीं ली जाती है। पोस्टग्रेजुएट प्रोग्राम की फीस भी काफी कम है। जर्मनी में DAAD के जरिए स्कॉलरशिप मिलती है, जो फुली फंडेड होती है। इसका मतलब है कि स्कॉलरशिप पाने वाले छात्र का ट्यूशन फीस, रहने-खाने का खर्च, ट्रैवल का खर्च और इंश्योरेंस इसमें कवर होता है।
नॉर्वे
नॉर्वे दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल है, जहां सरकारी यूनिवर्सिटी में ट्यूशन फीस नहीं ली जाती है। लेकिन नॉर्वे में रहने का खर्च काफी ज्यादा है। नॉर्वे में स्कॉलरशिप के लिए छात्र कोटा स्कीम जैसे विकल्पों का पता लगा सकते हैं या अलग-अलग यूनिवर्सिटी या संस्थानों जैसे SIU (शिक्षा में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए नॉर्वेजियन केंद्र) से फंडिंग के लिए अप्लाई कर सकते हैं।
साउथ कोरिया
एशिया में हायर एजुकेशन के लिए साउथ कोरिया काफी पॉपुलर देश बनकर उभर रहा है। यहां की 'ग्लोबल कोरिया स्कॉलरशिप' (GKS) सबसे पॉपुलर स्कीम है, जो भारतीय छात्रों को फुल स्कॉलरशिप मुहैया कराती है। इसमें ट्यूशन फीस, हवाई किराया, रहने-खाने का खर्च और सेटलमेंट अलाउंस शामिल है। सबसे अच्छी बात ये है कि GKS के जरिए अंडरग्रेजुएट और पोस्टग्रेजुएट दोनों किया जा सकता है।
नीदरलैंड
नीदरलैंड को इसके हाई-क्वालिटी, रिसर्च आधारित और अंग्रेजी में पढ़ाए जाने वाले कोर्सेज के लिए जाना जाता है। हालांकि, यहां की यूनिवर्सिटीज में ट्यूशन फीस थोड़ी महंगी है। हालांकि, अच्छी बात ये है कि Erasmus+ प्रोग्राम के जरिए विदेशी छात्रों को स्कॉलरशिप मिलती है। इस प्रोग्राम को यूरोपियन यूनियन द्वारा फंड किया जाता है। Erasmus+ प्रोग्राम के तहत फुली फंडेड स्कॉलरशिप दी जाती है।
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दरअसल, दुनियाभर में यूनिवर्सिटी और सरकारें चाहती हैं कि टॉप स्टूडेंट्स उनके यहां पढ़ने आए हैं। टॉप टैलेंट को आकर्षित करने के लिए स्कॉलरशिप दी जा रही हैं। कुछ जगहों पर फुली फंडेड स्कॉलरशिप मिलती है, तो कुछ जगह ट्यूशन फीस माफ करने के लिए स्कॉलरशिप अलॉट होती है। कुल मिलाकर स्कॉलरशिप के जरिए विदेश में पढ़ना काफी हद तक आसान हो जाता है। आइए जानते हैं कि दुनिया के किन देशों में स्कॉलरशिप के जरिए पढ़ाई की जा सकती है।
जर्मनी
साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथ्स यानी STEM की पढ़ाई के लिए जर्मनी को सबसे बेहतरीन देश माना जाता है। यहां की सरकारी यूनिवर्सिटीज में कोई ट्यूशन फीस नहीं ली जाती है। पोस्टग्रेजुएट प्रोग्राम की फीस भी काफी कम है। जर्मनी में DAAD के जरिए स्कॉलरशिप मिलती है, जो फुली फंडेड होती है। इसका मतलब है कि स्कॉलरशिप पाने वाले छात्र का ट्यूशन फीस, रहने-खाने का खर्च, ट्रैवल का खर्च और इंश्योरेंस इसमें कवर होता है।
नॉर्वे
नॉर्वे दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल है, जहां सरकारी यूनिवर्सिटी में ट्यूशन फीस नहीं ली जाती है। लेकिन नॉर्वे में रहने का खर्च काफी ज्यादा है। नॉर्वे में स्कॉलरशिप के लिए छात्र कोटा स्कीम जैसे विकल्पों का पता लगा सकते हैं या अलग-अलग यूनिवर्सिटी या संस्थानों जैसे SIU (शिक्षा में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए नॉर्वेजियन केंद्र) से फंडिंग के लिए अप्लाई कर सकते हैं।
साउथ कोरिया
एशिया में हायर एजुकेशन के लिए साउथ कोरिया काफी पॉपुलर देश बनकर उभर रहा है। यहां की 'ग्लोबल कोरिया स्कॉलरशिप' (GKS) सबसे पॉपुलर स्कीम है, जो भारतीय छात्रों को फुल स्कॉलरशिप मुहैया कराती है। इसमें ट्यूशन फीस, हवाई किराया, रहने-खाने का खर्च और सेटलमेंट अलाउंस शामिल है। सबसे अच्छी बात ये है कि GKS के जरिए अंडरग्रेजुएट और पोस्टग्रेजुएट दोनों किया जा सकता है।
नीदरलैंड
नीदरलैंड को इसके हाई-क्वालिटी, रिसर्च आधारित और अंग्रेजी में पढ़ाए जाने वाले कोर्सेज के लिए जाना जाता है। हालांकि, यहां की यूनिवर्सिटीज में ट्यूशन फीस थोड़ी महंगी है। हालांकि, अच्छी बात ये है कि Erasmus+ प्रोग्राम के जरिए विदेशी छात्रों को स्कॉलरशिप मिलती है। इस प्रोग्राम को यूरोपियन यूनियन द्वारा फंड किया जाता है। Erasmus+ प्रोग्राम के तहत फुली फंडेड स्कॉलरशिप दी जाती है।
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