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हंसल मेहता को 'एक दीवाने की दीवानियत' की तारीफ के लिए कोस रहा था यूजर, फिल्ममेकर ने X पर ऐसी-तैसी कर दी!

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मिलाप जावेरी के डायरेक्‍शन में बनी 'एक दीवाने की दीवानियत' सिनेमाघरों में Gen Z दर्शकों की नई पसंद बनकर उभरी है। हर्षवर्धन राणे और सोनम बाजवा स्‍टारर यह फिल्‍म मंगलवार, 21 अक्टूबर को रिलीज हुई है। बॉक्‍स ऑफिस पर 'थामा' और 'कांतारा चैप्‍टर 1' से तगड़े कंपीटिशन के बावजूद 'एक दीवाने की दीवानियत' ने तीन दिनों में देश में 22.75 करोड़ रुपये का नेट कलेक्‍शन कर लिया है। फिल्म को जहां एक ओर तारीफ मिल रही है, वहीं कई लोग इसे 'महिला विरोधी' बताकर इसकी आलोचना भी कर रहे हैं। दिग्‍गज फिल्‍ममेकर हंसल मेहता ने भी इस रोमांटिक ड्रामा की तारीफ की। हालांकि, इस कारण उन्‍हें लोगों के ताने सुनने को मिले। अपनी बेबाकी के लिए मशहूर मेहता ने अब इन यूजर्स को कड़ी फटकार लगाई है।

हंसल मेहता ने माइक्रो ब्‍लॉगिंग साइट X पर मिलाप जावेरी को फिल्म की सफलता के लिए बधाई देते हुए लिखा, 'एक दीवाने की दीवानियत, की शानदार सफलता के लिए बधाई! आप ऐसे ही लोगों का दिल जीतते रहें!'



यूजर ने कोसा- ऐसी बकवास फ‍िल्में दिमाग में जहर घोल देंगीएक यूजर ने हंसल मेहता के इस पोस्ट को फिर से शेयर किया और फिल्‍ममेकर की आलोचना करते हुए लिखा, 'यह एक 'संवेदनशील, बुद्धिमान' आदमी हैं, जो उन स्त्री-द्वेषी फ‍िल्मों के लेखक-निर्देशक को बधाई देने में व्यस्त है जहां 'ना' का मतलब 'हां' होता है। इसे सफल बता रहे हैं, यह एहसास किए बिना कि ऐसी बकवास फ‍िल्में युवा दर्शकों के दिमाग में कितना जहर घोल देंगी। शाबाश।'


हंसल मेहता बोले- क्‍या 'शाहिद', 'अर्थ', 'सारांश' ने दुनिया बदल दी?अब जब बात आलोचना की है, तो हंसल मेहता भी कहां चुप रहने वाले। उन्‍होंने इस यूजर को करारा जवाब देते हुए लिखा, 'मेरी हमेशा यही कामना होती है कि फ‍िल्में दुनिया बदल दें - कि 'शाहिद' बंटवारे को दूर कर सके, कि 'अर्थ' सबको सशक्त बना सके, कि 'सारांश' लोगों में सहानुभूति जगा सके, कि 'निल बटे सन्नाटा' लाखों माताओं को प्रेरित कर सके। कि 'लाइफ इज ब्यूटीफुल' नरसंहार को रोक सके। लेकिन अफसोस।'

फिल्‍ममेकर ने कहा- शायद फ‍िल्‍में आपको थोड़ी सभ्यता भी सिखाएंहंसल मेहता यहीं नहीं रुके। उन्‍होंने आगे फिर से उदाहरण देते हुए बताया, 'सत्या ने आदमियों को गैंगस्टर नहीं बनाया। गैंग्स ऑफ वासेपुर ने नहीं बनाया। द गॉडफादर, रिजर्वायर डॉग्स, पल्प फिक्शन - इनमें से किसी ने भी नहीं बनाया। या बनाया?' उन्होंने दो टूक शब्‍दों में लिखा, 'अगर फ‍िल्में जहर घोल सकती हैं, तो निश्चित रूप से ज्ञान भी दे सकती हैं। शायद आपको थोड़ी-बहुत सभ्यता भी सिखाएं। शायद यह भी कि कैसे एक सहकर्मी दूसरे को उसकी सफलता पर बिना किसी दिखावे के बधाई दे सकता है।'
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