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बिहारशरीफ विधानसभाः कांग्रेस से सीपीआई और फिर बीजेपी तक, अब सुनील कुमार का वर्चस्व; 4 चुनाव में जीत का रिकॉर्ड

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बिहारशरीफः नालंदा जिले में बिहारशरीफ विधानसभा सीट पर आजादी के बाद प्रारंभ के दशकों तक कांग्रेस का दबदबा रहा। लेकिन बाद में यह वामपंथियों का गढ़ बन गया। 1985 में कांग्रेस की वापसी हुई, लेकिन उसके बाद से इस सीट पर कांग्रेस को कभी जीत नहीं मिली। पिछले चार विधानसभा चुनावों में डॉ. सुनील कुमार को सफलता मिली। दो बार उन्होंने जेडीयू टिकट पर जीत हासिल की, लेकिन दो बार भाजपा उम्मीदवार के रूप में सुनील कुमार को जीत मिली।



1962 तक तक बिहारशरीफ में कांग्रेस का रहा दबदबा

1952 में बिहारशरीफ दो भागों में विभाजित था- बिहारशरीफ (उत्तरी) और बिहारशरीफ (दक्षिणी)। कांग्रेस ने दोनों सीटों पर जीत दर्ज की, जिसमें उत्तरी सीट से गिरिवरधारी सिंह और दक्षिणी सीट से मो. अकील सईद विजयी हुए। 1957 में भी कांग्रेस ने अपनी पकड़ बनाए रखी, उत्तरी सीट पर एस. एम. अकील और दक्षिणी सीट पर गिरवरधारी सिंह फिर से चुनाव जीते। 1962 में कांग्रेस के सैयद वसीउद्दीन अहमद (उत्तरी) और गिरवरधारी सिंह (दक्षिणी) विजयी रहे, जिससे यह साबित हुआ कि कांग्रेस का प्रभाव इस क्षेत्र में बरकरार था।



1967 में कांग्रेस का वर्चस्व हुआ समाप्त

1967 में बिहारशरीफ को एक विधानसभा क्षेत्र के रूप में पुनर्गठित किया गया। इस चुनाव में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के वी.के. यादव ने जीत दर्ज कर कांग्रेस का वर्चस्व समाप्त कर दिया। 1969 में भी सीपीआई के विजय कुमार यादव ने जीतकर वामपंथी राजनीति की पकड़ को मजबूत किया। 1972 में भारतीय जनसंघ के वीरेंद्र प्रसाद ने सीपीआई को हराकर यह सीट अपने नाम कर ली। लेकिन 1977 में सीपीआई के देवनाथ प्रसाद ने जीत दर्ज की, जिससे यह साफ हुआ कि इस क्षेत्र में वामपंथी विचारधारा का असर अब भी मौजूद था।



1985 में कांग्रेस की फिर से हुई वापसी

1980 में देवनाथ प्रसाद दोबारा सीपीआई के टिकट पर विजयी हुए। लेकिन 1985 में कांग्रेस के शकील उज्जमा ने इस सीट पर कब्जा कर लिया, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि कांग्रेस अब भी इस क्षेत्र में प्रभावी थी। 1990 में भारतीय जनता पार्टी के देवनाथ प्रसाद ने कांग्रेस को हराया और यह संकेत दिया कि इस क्षेत्र में बीजेपी का प्रभाव बढ़ रहा है। 1995 में जनता दल के देवनाथ प्रसाद ने यह सीट जीत ली, जिससे यह साफ हुआ कि इस समय बिहार में जनता दल का प्रभाव काफी मजबूत था।



वर्ष 2000 में पहली बार आरजेडी को मिली सफलता

2000 के चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल के सैयद नौषदुन्नबी विजयी हुए, जिससे यह जाहिर हुआ कि लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व वाली आरजेडी का प्रभाव इस क्षेत्र में बढ़ गया था। 1952 से 2000 तक बिहारशरीफ में कांग्रेस का प्रारंभिक दबदबा था, जिसे बाद में सीपीआई ने तोड़ा, फिर जनसंघ, बीजेपी, जनता दल और अंततः आरजेडी ने अपनी पकड़ बनाई। इस अवधि में बिहारशरीफ विधानसभा क्षेत्र में जनता का रुझान बदलता रहा, लेकिन यह भी साफ दिखा कि वामपंथी, दक्षिणपंथी और समाजवादी विचारधाराओं को समय-समय पर समर्थन मिलता रहा।



बिहारशरीफ विधानसभा चुनाव परिणाम 2010

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बिहारशरीफ विधानसभा चुनाव परिणाम 2020 वर्ष 1951 से 2020 तक बिहारशरीफ विधानसभा सीट से विजयी उम्मीदवार









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