पटना: लखीसराय विधानसभा की जंग एक रोचक मोड़ पर आ गई है। यही के राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा तेज हो गई है कि क्या उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा लगातार जीत का चौका लगा पायेंगे? हालांकि लखीसराय विधानसभा चुनाव 2025 की जंग फिर से फिर पुराने महारथियों के बीच ही है। नया कहने को सिर्फ यही है कि लखीसराय विधानसभा सीट के चुनावी मैदान में जनसुराज के सूरज कुमार चुनाव को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश कर रहे हैं। पढ़िए लखीसराय का एकदम ताजा चुनावी मूड...
सीधे संघर्ष का गवाह रहा है लखीसराय
लखीसराय विधानसभा सीट की जंग शुरू से सीधी टक्कर का गवाह रही है। 2015 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के विजय कुमार सिन्हा को जहां 75,901 वोट यानि कुल मतदान का 40.79 प्रतिशत मिला। वहीं जदयू के रामानंद मंडल को 69,345 मत मिले थे। साल 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार विजय कुमार सिन्हा को 74,212 यानी कुल मतदान का 38.2 प्रतिशत वोट मिला तो कांग्रेस के उम्मीदवार अमरेश कुमार को लगभग 63 हजार वोट मिले थे। इस बार भी लखीसराय विधानसभा चुनाव 2025 सीधे टकराव का गवाह बन सकता है। NDA और कांग्रेस दोनों ने ही ने अपने उम्मीदवारों को रिपीट किया है।
लखीसराय का सोशल इंजीनियरिंग समझिए
बिहार में वोटर लिस्ट SIR के बाद लखीसराय सीट पर मतदाताओं की कुल संख्या 3,89,624 हो गई है। 2020 के चुनाव में यहां 3,68,106 रजिस्टर्ड वोटर्स थे, जो 2024 लोकसभा चुनाव तक बढ़कर 3,95,117 हो गए थे। यहां एससी के करीब 15.82% वोटर्स तो करीब 4.2% वोटर्स मुस्लिम समुदाय से हैं। ये सीट भूमिहार बाहुल्य है। ये भी कह सकते हैं कि लखीसराय का विधायक भूमिहार वोटर ही तय करते हैं। हालांकि दूसरे नंबर पर यादव और तीसरे नंबर पर वैश्य जाती के भी वोटर हैं। इसके अलावा लखीसराय सीट पर कुर्मी और पासवान वोटर हार-जीत में निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
लखीसराय का चुनावी मुद्दा
2020 के चुनाव में जिन मुद्दों पर बीजेपी के विजय कुमार सिन्हा ने चुनाव लड़ा था लगभग वही मुद्दे इस बार भी हैं। पिछले चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार विजय कुमार सिन्हा ने रोजगार, विकास, महिला सुरक्षा, अपराध मुक्त समाज और बाढ़ नियंत्रण के मुद्दे पर वोट मांगे थे। इस बार उन पुराने मुद्दों के साथ यहां ट्रामा सेंटर और मेडिकल कॉलेज का मुद्दा शामिल हो गया है। कांग्रेस का इस चुनाव में मुद्दा 'पलायन रोको और रोजगार दो' के अलावा बिहार में भ्रष्टाचार है।
कहां किसका कितने प्रभाव है!
वर्तमान उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा की बात करें तो लखीसराय विधानसभा चुनाव में उनके विशेष प्रभाव वाला क्षेत्र लखीसराय नगर, हलसी और रामगढ ब्लॉक के अलावा डुमरी, गिरधरपुर, खुटहा (दोनो टोला) लक्ष्मीपुर में भी है।वहीं कांग्रेस के उम्मीदवार अमरेश कुमार को बड़हिया नगर, टाल, बलगुद्दर, साबिकपुर में बढ़त मिल सकती है तो गंगा सराय, जैतपुर में कांटे की टक्कर भी है। चुंकि अमरेश कुमार बड़हिया के निवासी हैं, इसलिए उन्हें यहां से बढ़त मिल सकती है। लेकिन केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ,जो खुद भी बड़हिया के ही निवासी हैं, उनके द्वारा विजय कुमार सिन्हा के पक्ष में भरपूर बैटिंग की जा रही है। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के प्रचार के बाद बीजेपी उम्मीदवार और डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा बड़हिया नगर के वोट में कितनी सेंधमारी करते हैं, वह विजय सिन्हा के लिए प्लस होगा।
सबसे बड़ा फैक्टर
लखीसराय विधानसभा के चुनाव में एक बड़ा फैक्टर है वोटरों को बूथ तक ले जाना। वोटरों को बूथों तक ले जाने की जंग कांग्रेस के लिए काफी महत्वपूर्ण है। ऐसा इसलिए कि सांगठनिक क्षमता में बीजेपी का अपर हैंड है। एक और बड़ा फैक्टर लखीसराय विधानसभा चुनाव में भीतरघात का भी है। इस भीतरघात से बीजेपी और कांग्रेस के उम्मीदवार दोनों ही पीड़ित हैं। अपने विद्रोहियों को जो भी मना कर अपने पक्ष में कर लेगा, उसे थोड़ी राहत तो मिलेगी। बहरहाल अभी चुनाव प्रचार चरम पर है। हवा को अपनी ओर करने में प्रत्याशी लगे हुए हैं। अब देखना होगा कि ऊंट किस करवट बैठता है।
सीधे संघर्ष का गवाह रहा है लखीसराय
लखीसराय विधानसभा सीट की जंग शुरू से सीधी टक्कर का गवाह रही है। 2015 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के विजय कुमार सिन्हा को जहां 75,901 वोट यानि कुल मतदान का 40.79 प्रतिशत मिला। वहीं जदयू के रामानंद मंडल को 69,345 मत मिले थे। साल 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार विजय कुमार सिन्हा को 74,212 यानी कुल मतदान का 38.2 प्रतिशत वोट मिला तो कांग्रेस के उम्मीदवार अमरेश कुमार को लगभग 63 हजार वोट मिले थे। इस बार भी लखीसराय विधानसभा चुनाव 2025 सीधे टकराव का गवाह बन सकता है। NDA और कांग्रेस दोनों ने ही ने अपने उम्मीदवारों को रिपीट किया है।
लखीसराय का सोशल इंजीनियरिंग समझिए
बिहार में वोटर लिस्ट SIR के बाद लखीसराय सीट पर मतदाताओं की कुल संख्या 3,89,624 हो गई है। 2020 के चुनाव में यहां 3,68,106 रजिस्टर्ड वोटर्स थे, जो 2024 लोकसभा चुनाव तक बढ़कर 3,95,117 हो गए थे। यहां एससी के करीब 15.82% वोटर्स तो करीब 4.2% वोटर्स मुस्लिम समुदाय से हैं। ये सीट भूमिहार बाहुल्य है। ये भी कह सकते हैं कि लखीसराय का विधायक भूमिहार वोटर ही तय करते हैं। हालांकि दूसरे नंबर पर यादव और तीसरे नंबर पर वैश्य जाती के भी वोटर हैं। इसके अलावा लखीसराय सीट पर कुर्मी और पासवान वोटर हार-जीत में निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
लखीसराय का चुनावी मुद्दा
2020 के चुनाव में जिन मुद्दों पर बीजेपी के विजय कुमार सिन्हा ने चुनाव लड़ा था लगभग वही मुद्दे इस बार भी हैं। पिछले चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार विजय कुमार सिन्हा ने रोजगार, विकास, महिला सुरक्षा, अपराध मुक्त समाज और बाढ़ नियंत्रण के मुद्दे पर वोट मांगे थे। इस बार उन पुराने मुद्दों के साथ यहां ट्रामा सेंटर और मेडिकल कॉलेज का मुद्दा शामिल हो गया है। कांग्रेस का इस चुनाव में मुद्दा 'पलायन रोको और रोजगार दो' के अलावा बिहार में भ्रष्टाचार है।
कहां किसका कितने प्रभाव है!
वर्तमान उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा की बात करें तो लखीसराय विधानसभा चुनाव में उनके विशेष प्रभाव वाला क्षेत्र लखीसराय नगर, हलसी और रामगढ ब्लॉक के अलावा डुमरी, गिरधरपुर, खुटहा (दोनो टोला) लक्ष्मीपुर में भी है।वहीं कांग्रेस के उम्मीदवार अमरेश कुमार को बड़हिया नगर, टाल, बलगुद्दर, साबिकपुर में बढ़त मिल सकती है तो गंगा सराय, जैतपुर में कांटे की टक्कर भी है। चुंकि अमरेश कुमार बड़हिया के निवासी हैं, इसलिए उन्हें यहां से बढ़त मिल सकती है। लेकिन केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ,जो खुद भी बड़हिया के ही निवासी हैं, उनके द्वारा विजय कुमार सिन्हा के पक्ष में भरपूर बैटिंग की जा रही है। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के प्रचार के बाद बीजेपी उम्मीदवार और डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा बड़हिया नगर के वोट में कितनी सेंधमारी करते हैं, वह विजय सिन्हा के लिए प्लस होगा।
सबसे बड़ा फैक्टर
लखीसराय विधानसभा के चुनाव में एक बड़ा फैक्टर है वोटरों को बूथ तक ले जाना। वोटरों को बूथों तक ले जाने की जंग कांग्रेस के लिए काफी महत्वपूर्ण है। ऐसा इसलिए कि सांगठनिक क्षमता में बीजेपी का अपर हैंड है। एक और बड़ा फैक्टर लखीसराय विधानसभा चुनाव में भीतरघात का भी है। इस भीतरघात से बीजेपी और कांग्रेस के उम्मीदवार दोनों ही पीड़ित हैं। अपने विद्रोहियों को जो भी मना कर अपने पक्ष में कर लेगा, उसे थोड़ी राहत तो मिलेगी। बहरहाल अभी चुनाव प्रचार चरम पर है। हवा को अपनी ओर करने में प्रत्याशी लगे हुए हैं। अब देखना होगा कि ऊंट किस करवट बैठता है।
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