पटना/गोपालगंज: भारत निर्वाचन आयोग ने मंगलवार को विशेष सघन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया पूरी होने के बाद बिहार के लिए अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित कर दी है। हालांकि, 2025 विधानसभा चुनाव के लिए पात्र मतदाताओं की संख्या में अभी भी बदलाव हो सकता है। नामांकन दाखिल करने से 10 दिन पहले तक नाम जोड़े/हटाए जा सकते हैं, लेकिन राज्य में फिलहाल 7.42 करोड़ मतदाता हैं। यह संख्या 24 जून को मौजूद मतदाताओं की तुलना में 47 लाख कम है, लेकिन 1 अगस्त को प्रकाशित SIR के मसौदा (ड्राफ्ट) सूची से 18 लाख अधिक है। यह वृद्धि मुख्य रूप से SIR प्रक्रिया में हटाए गए नामों को वापस लेने के कारण नहीं, बल्कि फॉर्म 6 के माध्यम से 22 लाख नए मतदाताओं के जुड़ने के कारण हुई है। नई वोटर लिस्ट में मसौदा सूची से 4 लाख और 'अपात्र मतदाताओं' को हटाया गया है।
किस जिले में सबसे ज्यादा नाम हटे और कहां कम?
24 जून, 1 अगस्त और 30 सितंबर की मतदाता संख्या की जिला-वार तुलना से पता चलता है कि SIR से पहले और बाद में मतदाताओं को हटाने (डिलीशन) की जिला-वार रैंकिंग में ज्यादा बदलाव नहीं आया है। गोपालगंज जिला अब भी पहले नंबर पर है, जहां सबसे ज्यादा नाम वोटर लिस्ट से हटाए गए हैं। यहां महिलाएं वोटर लिस्ट से ज्यादा बाहर हुई हैं।
शीर्ष पांच जिले, जहां सबसे ज्यादा मतदाता हटाए गए, उनमें गोपालगंज, किशनगंज, पूर्णिया, मधुबनी और भागलपुर शामिल हैं।
हालांकि, सबसे कम प्रतिशत नाम हटाने वाले पांच जिलों की सूची में कुछ बदलाव देखने को मिला है। शेखपुरा, अरवल और नालंदा दोनों (अगस्त और सितंबर) सूचियों में शामिल हैं, जबकि 30 सितंबर को जारी सूची में जहानाबाद और रोहतास ने कैमूर और लखीसराय की जगह ली है।
महिलाओं के नाम हटने का अनुपात पुरुषों से अधिक
1 जनवरी, 1 अगस्त, और 30 सितंबर की मतदाता सूचियों की तुलना से एक और महत्वपूर्ण तथ्य सामने आया है कि इस पुनरीक्षण अभ्यास में पुरुषों की तुलना में अधिक महिला मतदाताओं के नाम हटे हो सकते हैं। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, लिंगानुपात (प्रति हज़ार पुरुष मतदाताओं पर महिला मतदाताओं की संख्या) 1 जनवरी, 2025 की सूची में 914 था, जो घटकर 1 अगस्त को 893 और 30 सितंबर को 892 हो गया है। हालांकि, 1 जनवरी से 30 सितंबर के बीच पुरुष और महिला दोनों मतदाताओं की संख्या में कमी आई है, लेकिन अनुपातिक रूप से यह गिरावट महिला मतदाताओं में अधिक है।
क्या मतदान प्रतिशत बढ़ेगा?
विश्लेषण के अनुसार, पंजीकृत मतदाताओं की संख्या में गिरावट का मतलब यह नहीं है कि आगामी चुनावों में डाले गए वोटों की संख्या में भी कमी आएगी। 2024 के लोकसभा चुनावों में, बिहार में प्रमुख राज्यों में सबसे कम मतदान हुआ था। अगर चुनाव आयोग का यह दावा सही है कि SIR में हटाए गए नाम वास्तव में अपात्र थे, तो मतदाताओं की कुल संख्या कम होने के बावजूद, मतदान प्रतिशत में वृद्धि दिख सकती है। नई मतदाता सूची की सटीकता पर अंतिम निर्णय अगले जनगणना परिणामों के प्रकाशन के बाद ही लिया जा सकेगा।
किस जिले में सबसे ज्यादा नाम हटे और कहां कम?
24 जून, 1 अगस्त और 30 सितंबर की मतदाता संख्या की जिला-वार तुलना से पता चलता है कि SIR से पहले और बाद में मतदाताओं को हटाने (डिलीशन) की जिला-वार रैंकिंग में ज्यादा बदलाव नहीं आया है। गोपालगंज जिला अब भी पहले नंबर पर है, जहां सबसे ज्यादा नाम वोटर लिस्ट से हटाए गए हैं। यहां महिलाएं वोटर लिस्ट से ज्यादा बाहर हुई हैं।
शीर्ष पांच जिले, जहां सबसे ज्यादा मतदाता हटाए गए, उनमें गोपालगंज, किशनगंज, पूर्णिया, मधुबनी और भागलपुर शामिल हैं।
हालांकि, सबसे कम प्रतिशत नाम हटाने वाले पांच जिलों की सूची में कुछ बदलाव देखने को मिला है। शेखपुरा, अरवल और नालंदा दोनों (अगस्त और सितंबर) सूचियों में शामिल हैं, जबकि 30 सितंबर को जारी सूची में जहानाबाद और रोहतास ने कैमूर और लखीसराय की जगह ली है।
महिलाओं के नाम हटने का अनुपात पुरुषों से अधिक
1 जनवरी, 1 अगस्त, और 30 सितंबर की मतदाता सूचियों की तुलना से एक और महत्वपूर्ण तथ्य सामने आया है कि इस पुनरीक्षण अभ्यास में पुरुषों की तुलना में अधिक महिला मतदाताओं के नाम हटे हो सकते हैं। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, लिंगानुपात (प्रति हज़ार पुरुष मतदाताओं पर महिला मतदाताओं की संख्या) 1 जनवरी, 2025 की सूची में 914 था, जो घटकर 1 अगस्त को 893 और 30 सितंबर को 892 हो गया है। हालांकि, 1 जनवरी से 30 सितंबर के बीच पुरुष और महिला दोनों मतदाताओं की संख्या में कमी आई है, लेकिन अनुपातिक रूप से यह गिरावट महिला मतदाताओं में अधिक है।
क्या मतदान प्रतिशत बढ़ेगा?
विश्लेषण के अनुसार, पंजीकृत मतदाताओं की संख्या में गिरावट का मतलब यह नहीं है कि आगामी चुनावों में डाले गए वोटों की संख्या में भी कमी आएगी। 2024 के लोकसभा चुनावों में, बिहार में प्रमुख राज्यों में सबसे कम मतदान हुआ था। अगर चुनाव आयोग का यह दावा सही है कि SIR में हटाए गए नाम वास्तव में अपात्र थे, तो मतदाताओं की कुल संख्या कम होने के बावजूद, मतदान प्रतिशत में वृद्धि दिख सकती है। नई मतदाता सूची की सटीकता पर अंतिम निर्णय अगले जनगणना परिणामों के प्रकाशन के बाद ही लिया जा सकेगा।
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