पटना: लाख टके का जो सवाल AIMIM ने अपने हक के लिए उठाया है उससे नीतीश कुमार को भी फायदा मिलता दिख रहा है। जाने-अनजाने नीतीश कुमार को संजीवनी मिल गयी है। उन्हें मुस्लिम वोटरों को अपने पाले में करने का एक मौका मिल गया है। जदयू का 101 में से 57 सीटों पर राजद से सीधा मुकाबला है। इन सीटों पर या तो जदयू की जीत होगी या फिर राजद की। अगर शौकत अली के तंज के बाद मुस्लिम वोटर राजद से छिटके तो जदयू की किस्मत खुल जाएगी। अब नीतीश कुमार भी इस मौके का फायदा उठाने के लिए सक्रिय हो गये हैं। AIMIM तो 25 ही सीटों पर चुनाव लड़ रहा है, ज्यादा लाभ नीतीश कुमार को मिल सकता है। नीतीश कुमार की मुस्लिम समाज से अपील कि मैं आप सभी से विनम्रतापूर्वक अनुरोध करता हूं कि किसी भ्रम में नहीं रहें। हमारी सरकार ने आपके लिए जो काम किये हैं उन्हें याद रखें और उसी के आधार पर तय करें कि वोट किसे देना है।
दांव तेजस्वी पर उल्टा पड़ा
मुकेश सहनी को डिप्टी सीएम फेस घोषित करना, तेजस्वी यादव के लिए नफा के बदले नुकसान का सौदा हो सकता है। उत्तर प्रदेश के AIMIM के अध्यक्ष शौकत अली ने बिहार चुनाव का एक नया टोन सेट कर दिया है। उन्होंने बिहार चुनाव में एक सुलगता हुआ सवाल उछाल दिया है- 2 फीसदी वाला डिप्टी सीएम बनेगा और 13 फीसदी वाल मुख्यमंत्री तो क्या 18 फीसदी वाला दरी बिछावन मंत्री बनेगा? ये सीधा-सीधा गणित है जो हर किसी को समझ में आ रहा है। अगर निषाद समुदाय की सभी उप जातियों की संख्या छोड़ दी जाय तो केवल सहनी जाति की आबादी 2.6 फीसदी है। मुसलमान भी सोचने लगे हैं कि 18 फीसदी आबादी होने के बावजूद तेजस्वी उनकी उपेक्षा क्यों कर रहे हैं ? मुस्लिम वोटर अगर राजद से टूटेंगे तो कहां जाएंगे ? AIMIM उनकी तरफ आशा भरी नजरों से देख रही है। दूसरा विकल्प नीतीश कुमार हो सकते हैं। 2010 के विधानसभा चुनाव में मुस्लिम वोटरों ने नीतीश कुमार का समर्थन किया था।
नीतीश कुमार ने मौके को लपका
शौकत अली के सवाल ने जहां तेजस्वी को बैकफुट पर धकेल दिया है वहीं नीतीश कुमार के लिए एक नया रास्ता खोल दिया है। वैसे तो नीतीश कुमार ने सिर्फ चार मुस्लिम उम्मीदवार ही उतारे हैं लेकिन अब वे अल्पसंख्यक समुदाय को अपने किये हुए कामों की याद दिला कर उनसे समर्थन की अपील क रहे हैं। अगर इस अपील का असर हुआ तो मौजूदा चुनाव की फिजां ही बदल जाएगी। नीतीश कुमार ने एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिये ये बताया है कि उन्होंने मुस्लिम समुदाय के लिए क्या-क्या किया है। नीतीश कुमार के मुताबिक, 2005 से पहले मुसलमानों के लिए कोई काम नहीं हुई। उन्हें सिर्फ वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया गया। उस समय साम्प्रदायिक झड़पें आम बात थीं।
नीतीश कुमार ने अपने गिनाये
नीतीश कुमार अल्पसंख्यक हित में किये गये अपने काम गिनाये हैं। 2025-26 में अल्पसंख्यक विभाग का बजट 306 गुणा बढ़ा दिया। 2006 से ही क्रबिस्तान की घेराबंदा करा रहे हैं। 8 हजार से अधिक कब्रिस्तानों की घेराबंदी हो चुकी है। जो बाकी बचे हैं उनका काम भी जल्द ही होगा। 1989 में कांग्रेस सरकार के दौरान भागलपुर का दंगा हुआ। हम सरकार में आये तो इस घटना की दोबारा जांच करायी। अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हुई। दंगा पीड़ितों को मुआवजा मिला। प्रभावित लोगों के लिए पेंशन योजना शुरू की गयी। अब भागलपुर में कोई तनाव नहीं है। तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं के बच्चों की शिक्षा के लिए काम किया गया।
दांव तेजस्वी पर उल्टा पड़ा
मुकेश सहनी को डिप्टी सीएम फेस घोषित करना, तेजस्वी यादव के लिए नफा के बदले नुकसान का सौदा हो सकता है। उत्तर प्रदेश के AIMIM के अध्यक्ष शौकत अली ने बिहार चुनाव का एक नया टोन सेट कर दिया है। उन्होंने बिहार चुनाव में एक सुलगता हुआ सवाल उछाल दिया है- 2 फीसदी वाला डिप्टी सीएम बनेगा और 13 फीसदी वाल मुख्यमंत्री तो क्या 18 फीसदी वाला दरी बिछावन मंत्री बनेगा? ये सीधा-सीधा गणित है जो हर किसी को समझ में आ रहा है। अगर निषाद समुदाय की सभी उप जातियों की संख्या छोड़ दी जाय तो केवल सहनी जाति की आबादी 2.6 फीसदी है। मुसलमान भी सोचने लगे हैं कि 18 फीसदी आबादी होने के बावजूद तेजस्वी उनकी उपेक्षा क्यों कर रहे हैं ? मुस्लिम वोटर अगर राजद से टूटेंगे तो कहां जाएंगे ? AIMIM उनकी तरफ आशा भरी नजरों से देख रही है। दूसरा विकल्प नीतीश कुमार हो सकते हैं। 2010 के विधानसभा चुनाव में मुस्लिम वोटरों ने नीतीश कुमार का समर्थन किया था।
नीतीश कुमार ने मौके को लपका
शौकत अली के सवाल ने जहां तेजस्वी को बैकफुट पर धकेल दिया है वहीं नीतीश कुमार के लिए एक नया रास्ता खोल दिया है। वैसे तो नीतीश कुमार ने सिर्फ चार मुस्लिम उम्मीदवार ही उतारे हैं लेकिन अब वे अल्पसंख्यक समुदाय को अपने किये हुए कामों की याद दिला कर उनसे समर्थन की अपील क रहे हैं। अगर इस अपील का असर हुआ तो मौजूदा चुनाव की फिजां ही बदल जाएगी। नीतीश कुमार ने एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिये ये बताया है कि उन्होंने मुस्लिम समुदाय के लिए क्या-क्या किया है। नीतीश कुमार के मुताबिक, 2005 से पहले मुसलमानों के लिए कोई काम नहीं हुई। उन्हें सिर्फ वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया गया। उस समय साम्प्रदायिक झड़पें आम बात थीं।
नीतीश कुमार ने अपने गिनाये
नीतीश कुमार अल्पसंख्यक हित में किये गये अपने काम गिनाये हैं। 2025-26 में अल्पसंख्यक विभाग का बजट 306 गुणा बढ़ा दिया। 2006 से ही क्रबिस्तान की घेराबंदा करा रहे हैं। 8 हजार से अधिक कब्रिस्तानों की घेराबंदी हो चुकी है। जो बाकी बचे हैं उनका काम भी जल्द ही होगा। 1989 में कांग्रेस सरकार के दौरान भागलपुर का दंगा हुआ। हम सरकार में आये तो इस घटना की दोबारा जांच करायी। अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हुई। दंगा पीड़ितों को मुआवजा मिला। प्रभावित लोगों के लिए पेंशन योजना शुरू की गयी। अब भागलपुर में कोई तनाव नहीं है। तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं के बच्चों की शिक्षा के लिए काम किया गया।
You may also like

Rent in Bengaluru: क्या बेंगलुरु में शुरू हो गई खुली लूट? मकान मालिक ने मांग लिया MBA की फीस जितना एडवांस, किराया भी आसमान पर

पाकिस्तानी क्रिकेटर के साथ बीबीएल में खेलेंगे आर अश्विन

अमृतसर: सच्चखंड श्री हरमंदिर साहिब के मुख्य ग्रंथी ज्ञानी रघुबीर सिंह ने की खास अपील (लीड-1)

घुटनों की ग्रीस बढ़ा देगी 10 रुपये की ये चीज, 1-2` बार लेने से ही दूर हो जाएगा जोड़ों का दर्द, आयुर्वेदिक डॉक्टर ने बताया कमाल का देसी नुस्खा…

पीएम किसान योजना की 21वीं किस्त: क्या छठ पूजा पर खाते में आएंगे 2000 रुपये? जानें ताजा अपडेट




