नई दिल्ली: ठंड की दस्तक के साथ ही राजधानी दिल्ली में लगातार पांच दिनों से वायु गुणवत्ता 'खराब' बनी हुई है और आने वाले दिनों में स्थिति और भी बिगड़ने के आसार हैं। दिवाली के अगले दिन, यानी मंगलवार को पटाखों के धुएं के कारण वायु गुणवत्ता सूचकांक 'गंभीर' श्रेणी (400 से ऊपर) तक पहुंच सकता है। जबकि सोमवार को AQI 'बहुत खराब' श्रेणी में रहने का अनुमान है।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर पटाखों को तय समय (सुबह 6 से 7 बजे और रात 8 से 10 बजे) से ज्यादा जलाया गया, तो हवा की गुणवत्ता और भी तेजी से गिरेगी। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत आने वाली एयर क्वालिटी अर्ली वार्निंग सिस्टम ने अनुमान लगाया है की है कि 21 अक्टूबर को प्रदूषण का स्तर 'गंभीर' हो सकता है और इसके बाद छह दिनों तक 'खराब' से 'गंभीर' श्रेणी में बना रह सकता है।
दिवाली बाद बढ़ता है प्रदूषण
पिछले सालों में आंकड़ों पर नजर डाले तो पता चलता है कि दिवाली के बाद पराली जलाने, स्थानीय प्रदूषण, पटाखों और खराब मौसम के मेल से प्रदूषण बढ़ता था। लेकिन इस साल, विशेषज्ञों का मानना है कि पंजाब में बाढ़ के कारण फसल कटाई में देरी होने से पराली जलाने का असर कम हो सकता है। SAFAR के संस्थापक गुफरान बेग ने कहा, फसल की कटाई अभी पूरी तरह से शुरू नहीं हुई है और हवा की दिशाएं अभी भी बदल रही हैं, इसलिए पंजाब और हरियाणा से धुएं का असर इस बार कम रहने की संभावना है।
हालांकि, उन्होंने चेतावनी दी कि बहुत ज्यादा पटाखे जलाने से, चाहे वे पारंपरिक हों या 'ग्रीन', दिवाली के अगले दिन दिल्ली का AQI 'गंभीर' श्रेणी में पहुंच सकता है। बेग ने यह भी कहा, 'अच्छी बात यह है कि मंगलवार को ला नीना के कारण तेज हवाएं चलने की उम्मीद है, जो प्रदूषकों को फैलाने और दिन के अंत तक AQI को 'बहुत खराब' श्रेणी में लाने में मदद कर सकती हैं।'
पटाखे बढ़ाएंगे मुसीबत
सामाजिक कार्यकर्ता और स्वास्थ्य विशेषज्ञ दिवाली के बाद प्रदूषण बढ़ने को लेकर चिंता जता रहे हैं। कार्यकर्ता भवरीन कंधारी ने कहा, "दिल्ली की हवा पहले से ही 'खराब' है और हमारे खिलाफ परिस्थितियां हैं। इस समय हवा की गति धीमी है, तापमान गिर रहा है और प्रदूषकों को जमीन के पास फंसाने वाली एक पतली परत है।" उन्होंने आगे कहा, "पटाखे - यहां तक कि 'ग्रीन' कहे जाने वाले भी सल्फर, भारी धातुएं और PM2.5 जैसे महीन कण छोड़ते हैं। स्थिर सर्दियों की हवा में, सीमित उपयोग भी समस्या को बढ़ा देता है, जिससे धुंध और एक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल पैदा होता है जो कई दिनों तक चल सकता है।
सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) के एयर लैब के पूर्व प्रमुख, दिपांकर साहा ने बताया कि बंगाल की खाड़ी पर बने एक डिप्रेशन ने गंगा के मैदानी इलाकों में हवा की गति धीमी कर दी है, जिससे निलंबित प्रदूषक और जमा हो रहे हैं।
CPCB के अनुसार, AQI 0-50 'अच्छा', 51-100 'संतोषजनक', 101-200 'मध्यम', 201-300 'खराब', 301-400 'बहुत खराब', और 400 से ऊपर 'गंभीर' माना जाता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर पटाखों को तय समय (सुबह 6 से 7 बजे और रात 8 से 10 बजे) से ज्यादा जलाया गया, तो हवा की गुणवत्ता और भी तेजी से गिरेगी। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत आने वाली एयर क्वालिटी अर्ली वार्निंग सिस्टम ने अनुमान लगाया है की है कि 21 अक्टूबर को प्रदूषण का स्तर 'गंभीर' हो सकता है और इसके बाद छह दिनों तक 'खराब' से 'गंभीर' श्रेणी में बना रह सकता है।
दिवाली बाद बढ़ता है प्रदूषण
पिछले सालों में आंकड़ों पर नजर डाले तो पता चलता है कि दिवाली के बाद पराली जलाने, स्थानीय प्रदूषण, पटाखों और खराब मौसम के मेल से प्रदूषण बढ़ता था। लेकिन इस साल, विशेषज्ञों का मानना है कि पंजाब में बाढ़ के कारण फसल कटाई में देरी होने से पराली जलाने का असर कम हो सकता है। SAFAR के संस्थापक गुफरान बेग ने कहा, फसल की कटाई अभी पूरी तरह से शुरू नहीं हुई है और हवा की दिशाएं अभी भी बदल रही हैं, इसलिए पंजाब और हरियाणा से धुएं का असर इस बार कम रहने की संभावना है।
हालांकि, उन्होंने चेतावनी दी कि बहुत ज्यादा पटाखे जलाने से, चाहे वे पारंपरिक हों या 'ग्रीन', दिवाली के अगले दिन दिल्ली का AQI 'गंभीर' श्रेणी में पहुंच सकता है। बेग ने यह भी कहा, 'अच्छी बात यह है कि मंगलवार को ला नीना के कारण तेज हवाएं चलने की उम्मीद है, जो प्रदूषकों को फैलाने और दिन के अंत तक AQI को 'बहुत खराब' श्रेणी में लाने में मदद कर सकती हैं।'
पटाखे बढ़ाएंगे मुसीबत
सामाजिक कार्यकर्ता और स्वास्थ्य विशेषज्ञ दिवाली के बाद प्रदूषण बढ़ने को लेकर चिंता जता रहे हैं। कार्यकर्ता भवरीन कंधारी ने कहा, "दिल्ली की हवा पहले से ही 'खराब' है और हमारे खिलाफ परिस्थितियां हैं। इस समय हवा की गति धीमी है, तापमान गिर रहा है और प्रदूषकों को जमीन के पास फंसाने वाली एक पतली परत है।" उन्होंने आगे कहा, "पटाखे - यहां तक कि 'ग्रीन' कहे जाने वाले भी सल्फर, भारी धातुएं और PM2.5 जैसे महीन कण छोड़ते हैं। स्थिर सर्दियों की हवा में, सीमित उपयोग भी समस्या को बढ़ा देता है, जिससे धुंध और एक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल पैदा होता है जो कई दिनों तक चल सकता है।
सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) के एयर लैब के पूर्व प्रमुख, दिपांकर साहा ने बताया कि बंगाल की खाड़ी पर बने एक डिप्रेशन ने गंगा के मैदानी इलाकों में हवा की गति धीमी कर दी है, जिससे निलंबित प्रदूषक और जमा हो रहे हैं।
CPCB के अनुसार, AQI 0-50 'अच्छा', 51-100 'संतोषजनक', 101-200 'मध्यम', 201-300 'खराब', 301-400 'बहुत खराब', और 400 से ऊपर 'गंभीर' माना जाता है।
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