उत्तराखंड सरकार ने अपने वीर सपूतों के सम्मान और उनके भविष्य को सशक्त बनाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य में अग्निवीर आरक्षण नियमावली को आधिकारिक रूप से जारी कर दिया है। यह कदम उन जवानों के लिए एक सम्मानजनक नीति के रूप में देखा जा रहा है, जिन्होंने अग्निपथ योजना के तहत देश की सेवा की है।
अग्निवीरों के लिए आरक्षण का महत्व
अग्निपथ योजना के तहत भर्ती होने वाले अग्निवीर जवान, जिन्होंने अपनी बहादुरी और समर्पण से देश की रक्षा में अहम भूमिका निभाई है, अब उत्तराखंड सरकार की ओर से आरक्षण का लाभ प्राप्त करेंगे। इससे न केवल उन्हें सरकारी नौकरी पाने में मदद मिलेगी, बल्कि उनके परिवारों को भी आर्थिक सुरक्षा मिलेगी।
राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह आरक्षण अग्निवीरों को रोजगार के अवसरों में प्राथमिकता देगा, खासकर राज्य प्रशासनिक सेवा, पुलिस, और अन्य सरकारी विभागों में।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सोच
मुख्यमंत्री धामी ने इस कदम को राज्य की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने और युवाओं को प्रोत्साहित करने वाला बताया। उन्होंने कहा,
“हमारे अग्निवीरों ने देश की सेवा करते हुए जो बहादुरी दिखाई है, उसका सम्मान करना हमारा दायित्व है। इस आरक्षण नियमावली से उन्हें रोजगार और सामाजिक सम्मान दोनों मिलेंगे।”
उन्होंने यह भी कहा कि अग्निवीरों को केवल सम्मान देना ही काफी नहीं है, बल्कि उनकी प्रतिभा और सेवा को सही दिशा में लगाना भी जरूरी है।
नियमावली के मुख्य बिंदु
अग्निवीरों को सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा।
यह आरक्षण सभी सरकारी विभागों, विशेषकर सुरक्षा और प्रशासनिक सेवा में लागू होगा।
नियमावली के तहत अग्निवीरों के परिवारों के लिए भी कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू की जाएंगी।
प्रशिक्षण और कौशल विकास कार्यक्रमों पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा ताकि अग्निवीर बेहतर अवसर पा सकें।
उत्तराखंड के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि
उत्तराखंड एक ऐसा प्रदेश है, जहाँ कई बहादुर अग्निवीर जवान सेवा देते हैं। इस आरक्षण नीति से उन्हें सामाजिक और आर्थिक रूप से मजबूत होने का मौका मिलेगा। यह कदम न केवल अग्निवीरों के लिए, बल्कि राज्य की युवा पीढ़ी के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनेगा।
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह नीति अन्य राज्यों के लिए भी मिसाल साबित हो सकती है।
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