लाइव हिंदी खबर :-भगवान शिव के रौद्र रूप और काशी के कोतवाल कहे जाने वाले काल भैरव की पूजा प्राय: पूरे देश में होती है और अलग-अलग अंचलों में अलग-अलग नामों से वह जाने-पहचाने जाते हैं। ऐसे में इन्हें यूं ही बुरी नजर, बाधा और तकलीफों से भक्तों को दूर रखने वाला देवता भैरव (शाब्दिक अर्थ- भयानक भैरव का अर्थ होता है – भय + रव = भैरव अर्थात् भय से रक्षा करनेवाला।) नहीं कहा जाता है।
ऐसे में इस बार काशी के कोतवाल काल भैरव के मंदिर में मंगलवार को लगभग पांच दशकों बाद एक दुर्लभ घटना तब हुई जब उनके विग्रह से कलेवर यानी चोला संपूर्ण रूप से टूटकर अलग हो गया, भले ही 14 वर्षों पहले भी यह घटना आंशिक रूप से हुई थी, लेकिन मान्यतानुसार, बाबा अपना कलेवर तब छोड़ते हैं जब किसी क्षति को खुद पर झेलते हैं।
5 दशक बाद काल भैरव के संपूर्ण रूप से चोला छोड़ने के बाद वाराणसी के भैरव नाथ इलाके में स्थित काशी के कोतवाल बाबा काल भैरव के मंदिर से लेकर गंगा घाट पंचगंगा तक का इलाका घंट-घड़ियाल और डमरू की आवाज से गूंज उठा।
इस समय शोभा यात्रा की शक्ल में तमाम भक्त और मंदिर के पुजारी भारी भरकम बाबा काल भैरव के कलेवर को अपने कंधों पर उठाए आगे बढ़ रहे थे और फिर पंचगंगा घाट पहुंचकर नाव पर सवार होकर पूरे विधि-विधान के साथ कलेवर को गंगा में विसर्जित कर दिया। कलेवर छोड़ने के बाद काशी के कोतवाल बाबा काल भैरव का बाल स्वरूप श्रृंगार और विशेष पूजन अर्चन किया गया। जिसके बाद मंदिर का पट भक्तों के दर्शन पूजन के लिए खोल दिया गया।
14 साल पहले बाबा ने आंशिक रूप से छोड़ा था अपना कलेवर / चोला, अब पूर्ण रूप से बाबा के विग्रह से अलग हुआ…
मंदिर व्यवस्थापक महंत नवीन गिरी के अनुसार मान्यता है कि बाबा काल भैरव विश्व पर आने वाली किसी भी विपत्ति को जब अपने ऊपर लेते हैं तो अपना कलेवर / चोला छोड़ते हैं। करीब 14 वर्ष पहले आंशिक रूप से और करीब 50 वर्ष पूर्व 1971 में बाबा काल भैरव ने पूर्ण रूप से अपना कलेवर / चोला छोड़ा था। विसर्जन के बाद एक बार फिर बाबा को मोम और सिंदूर व देशी घी से लेपन किया गया और पूरे पारंपरिक ढंग से रजत मुखौटा लगाकर आरती के बाद आम भक्तों के लिए दरबार खोला गया।
मंदिर की अनोखी मान्यता
मोक्ष नगरी काशी में परंपराओं और मान्यतओं का भी अनोखा संसार विद्यमान है। मंदिर की मान्यता है कि काशी के रक्षक काशी कोतवाल के दरबार में हाजिरी लगाने वाले का भला होता है। वहीं काशी के रक्षक के तौर पर उनकी महत्ता का लंबे समय से काशी में परंपराओं के तौर पर निर्वहन होता चला आया है। जबकि मंदिर के पौराणिक स्कंदपुराण के काशी खंड में भी इस मंदिर का जिक्र मिलता है। यहां तक की स्थानीय कोतवाली थाने में कोतवाल की कुर्सी पर भी बाबा काल भैरव ही बैठते हैं। कोतवाल बाबा के बगल में कुर्सी लगाकर बैठता है और अपने काम निबटाता है।
ऐसे छूटा कलेवर / चोला
एक ओर जहां मंगलवार को काशी में कालभैरव का दुर्लभ दर्शन होता है] वहीं मंगलवार यानि 23 फरवरी 2021 की भोर मंगल आरती के दौरान बाबा कालभैरवका आधा कलेवर (चोला) खुद-ब-खुद नीचे गिर गया। मंदिर में मौजूद पुजारियों कि नजर जब बाबा के कलेवर पर पड़ी तो बाबा काल भैरव की जय एवं हर हर महादेव के नारे से मंदिर परिसर गूंज उठा।
कहा जाता है कि जिस तरह से इंसान अपने कपड़े को बदलता है उसी तरह बाबा इस प्रकार अपने कलेवर यानी अपने कपड़े को बदलते हैं। कलेवर का विधि-विधान से पंचगंगा घाट पर पुरी खुशी के साथ विसर्जन, हवन और आरती हुई। माना जाता है कि वस्त्र की तरह बाबा देश में विपत्ति आने पर अपने शरीर के ऊपर ले लेते हैं, इसके बाद विपत्ति खत्म हो जाती है।
यह हमेशा होता है। तैलंग स्वामी बाबा को दर्शन कराने के बाद ही गंगा के घाट पर ले जाने की परंपरा का निर्वहन किया गया। मंदिर के वर्तमान स्वरूप का निर्माण 1716 में बाजीराव पेशवा ने कराया था। काशी का यह मंदिर पौराणिक मान्यता का है।
बाबा काल भैरव का कलेवर छोड़ना संकेत होता है किसी विपत्ति के आने का जिसे बाबा ने खुद पर झेल लिया है और वह मुसीबत टल गई और उनका कलेवर अलग हो गया। अब देश और काशी पूरी तरह सुरक्षित है, वहीं पुराने कलेवर को छोड़ने के बाद नए कलेवर में मोम, देशी घी, सिंदूर मिलाकर बाबा को चढ़ाया गया। जो सिंदूर के लेप के साथ ही बड़ा आकार लेता जाएगा और फिर कलेवर / चोला कब छूटेगा यह बाबा कालभैरव के ऊपर निर्भर करता है।
You may also like
दिल्ली-NCR से लेकर बिहार-राजस्थान तक बारिश का अलर्ट, जानिए 10 राज्यों का हाल
MPBSE Class 10 and 12 Result 2025 Declared: Official Websites, How to Download Scorecards, and Next Steps
NEET PG 2025 के लिए आवेदन प्रक्रिया कल समाप्त होगी
SRH vs DC: 3 ओवर में ही पैट कमिंस ने रच दिया ऐतिहासिक कीर्तिमान, बने IPL में ऐसा कोहराम मचाने वाले पहले कप्तान
'चल चल निकल इधर से' विपराज के विकेट पर काव्या मारन का सेलिब्रेशन जमकर हो रहा वायरल, गुस्से में दिखी ब्यूटी क्विन