नई दिल्ली, 21 अप्रैल . केंद्र सरकार ने सोमवार को कहा कि देश में सभी ग्राम पंचायतों (जीपी) को ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी प्रदान करने के उद्देश्य से 19 मार्च तक भारतनेट परियोजना के तहत 2.18 लाख से अधिक जीपी को सेवा के लिए तैयार किया गया है.
ऑप्टिकल फाइबर केबल (ओएफसी) की लंबाई 25 मार्च तक बढ़कर 42.13 लाख रूट किमी हो गई है, जबकि 1 जनवरी, 2025 तक 6,92,676 किलोमीटर ओएफसी बिछाई जा चुकी है.
संचार मंत्रालय के अनुसार, लगभग 12,21,014 फाइबर-टू-द-होम (एफटीटीएच) कनेक्शन चालू किए गए हैं और 1,04,574 वाई-फाई हॉटस्पॉट लगाए गए हैं.
भारतनेट परियोजना का प्रारंभिक लक्ष्य देशभर में लगभग 2.5 लाख ग्राम पंचायतों को जोड़ना था.
जबकि, फेज-1 मौजूदा इंफ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल कर 1 लाख ग्राम पंचायतों को जोड़ने के लिए ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाने पर केंद्रित था.
फेज-3 का उद्देश्य 5जी टेक्नोलॉजी को इंटीग्रेट कर, बैंडविड्थ क्षमता को बढ़ाकर और मजबूत लास्ट-मील कनेक्टिविटी सुनिश्चित कर नेटवर्क को भविष्य के लिए तैयार करना है.
अगस्त 2023 में अप्रूव्ड संशोधित भारतनेट प्रोग्राम (एबीपी) एक डिजाइन सुधार है, जिसका उद्देश्य 2.64 लाख ग्राम पंचायतों को रिंग टोपोलॉजी में और गैर-ग्राम पंचायत गांवों को मांग के आधार पर ऑप्टिकल फाइबर (ओएफ) कनेक्टिविटी प्रदान करना है.
रिंग टोपोलॉजी एक नेटवर्क डिजाइन है, जहां कनेक्टेड डिवाइस एक सर्कुलर डेटा चैनल बनाते हैं.
इसमें ब्लॉक और जीपी पर राउटर के साथ आईपी-एमपीएलएस (इंटरनेट प्रोटोकॉल मल्टी-प्रोटोकॉल लेबल स्विचिंग) नेटवर्क, 10 वर्षों के लिए संचालन और रखरखाव, पावर बैकअप और रिमोट फाइबर मॉनिटरिंग सिस्टम (आरएफएमएस) जैसी सुविधाएं शामिल हैं और आवंटित लागत 1,39,579 करोड़ रुपए है.
मंत्रालय के अनुसार, ग्रामीण परिवारों में डिजिटल साक्षरता सुनिश्चित करने के लिए, प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान (पीएमजी-दिशा) ने 31 मार्च, 2024 तक 6.39 करोड़ से अधिक व्यक्तियों को प्रशिक्षित करने में मदद की है.
राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड मिशन 2.0 को 17 जनवरी, 2025 को लॉन्च किया गया था और प्रमुख पहलों में सेंट्रलाइज्ड राइट ऑफ वे (आरओडब्ल्यू) पोर्टल गतिशक्ति संचार शामिल है.
भारतनेट को मुख्य रूप से डिजिटल भारत निधि (डीबीएन) के माध्यम से वित्त पोषित किया जाता है, जो एक ऐसा फंड है, जिसने यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड (यूएसओएफ) की जगह ली है.
भारतनेट (फेज-1 और फेज-2) के लिए कैबिनेट द्वारा अप्रूव्ड कुल फंडिंग 42,068 करोड़ रुपए है.
भारतनेट परियोजना की शुरुआत से 31 दिसंबर 2023 तक कुल 39,825 करोड़ रुपए वितरित किए जा चुके हैं.
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एसकेटी/एबीएम
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