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ईपीएफओ देश में सामाजिक सुरक्षा का दायरा बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा : मनसुख मांडविया

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New Delhi, 1 नवंबर . केंद्रीय श्रम एवं रोजगार तथा युवा कार्यक्रम और खेल मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने Saturday को कहा कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के 73वें स्थापना दिवस कार्यक्रम के अवसर पर कहा कि ईपीएफओ ने देश में सामाजिक सुरक्षा का दायरा बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है.

Union Minister मांडविया ने social media प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “मैं आज ईपीएफओ के 73वें स्थापना दिवस कार्यक्रम में सम्मिलित हुआ. पीएम मोदी के नेतृत्व में ईपीएफओ ने देश में सामाजिक सुरक्षा का दायरा महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाया है. कार्यक्रम में मैंने कहा कि सदस्यों की संतुष्टि ही ईपीएफओ की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए.”

Union Minister मांडविया ने उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए ईपीएफओ की देश के वर्कफोर्स की सामाजिक और वित्तीय कल्‍याण सुनिश्चित करने में ऐतिहासिक भूमिका की सराहना की. उन्होंने संगठन से आग्रह किया कि वह नए उद्देश्य और दूरदर्शिता के साथ नागरिक-केंद्रित सेवा वितरण पर ध्यान दें.

उन्होंने कहा, “ईपीएफओ केवल एक कोष नहीं है. यह सामाजिक सुरक्षा में देश के वर्कफोर्स के भरोसे का प्रतिनिधित्व करता है. इस स्थापना दिवस के अवसर पर यह सभी अधिकारियों को नई प्रेरणा और ऊर्जा प्रदान करेगा और आने वाले वर्षों के लिए एक विजन तैयार करने के लिए प्रेरित करेगा. यह विजन ईपीएफओ की संकल्प से सिद्धि की यात्रा का मार्गदर्शन करेगा.”

Union Minister ने कहा, “ईपीएफओ को सेवा वितरण में निष्पक्षता, गति और संवेदनशीलता सुनिश्चित करके नागरिकों का विश्वास मजबूत करना जारी रखना चाहिए.

उन्होंने विकसित India 2047 की ओर बढ़ते हुए सामाजिक सुरक्षा में वैश्विक मानक स्थापिक करने का आह्वान किया.

इस अवसर पर Union Minister ने कर्मचारी नामांकन योजना 2025 भी लॉन्च की. 1 नवंबर 2025 से लागू होने वाली इस योजना का उद्देश्य नियोक्ताओं को पात्र कर्मचारियों की स्वेच्छा से घोषणा और नामांकन के लिए प्रोत्साहित करना है.

इस कार्यक्रम में मौजूद श्रम एवं रोजगार सचिव वंदना गुरनानी ने ईपीएफओ के एक अनुपालन-आधारित निकाय से एक नागरिक-केंद्रित संस्था के रूप में विकसित होने की सराहना की.

उन्होंने कहा, “हर फाइल के पीछे एक समर्पित कर्मचारी, एक परिवार और एक सपना छिपा होता है. प्रत्येक कर्मचारी के साथ पूर्ण सम्मान और गरिमा के साथ व्यवहार किया जाना चाहिए, क्योंकि सामाजिक सुरक्षा केवल व्यवस्थाओं से संबंधित नहीं है, बल्कि लोगों से भी जुडी़ है.”

एसकेटी/

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