नई दिल्ली, 22 अप्रैल . देश भर में गर्मी का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. कई स्थानों पर हीट वेव का अलर्ट भी जारी किया गया है. तेज गर्मी और लू से सबसे अधिक प्रभावित होने वालों में श्रमिक और मजदूर भी शामिल हैं. केंद्र सरकार ने राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर तेज गर्मी, धूप और हीट वेव से श्रमिकों के बचाव के उपाय करने के लिए कहा है, खास तौर पर खदानों में कार्यरत मजदूरों, फैक्ट्रियों और निर्माण क्षेत्र में काम करने वाले श्रमिकों के लिए विशेष उपाय करने की सलाह दी गई है.
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के मुताबिक, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से इस संबंध में संपर्क किया जा रहा है. सभी राज्यों को सलाह दी गई है कि वे विभिन्न क्षेत्रों में लगे श्रमिकों और मजदूरों पर अत्यधिक गर्मी के असर को कम करने के लिए प्रभावी उपाय सुनिश्चित करें. सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों एवं प्रशासकों को यह पत्र लिखा गया है.
श्रम एवं रोजगार सचिव ने पत्र में एक समन्वित, बहु-क्षेत्रीय दृष्टिकोण की सिफारिश की है. इसमें काम के घंटों का पुनर्निर्धारण, पर्याप्त पेयजल सुविधाएं सुनिश्चित करना, कार्य स्थलों और आराम क्षेत्रों का वेंटिलेशन और कूलिंग की व्यवस्था करना शामिल है. श्रमिकों के लिए नियमित स्वास्थ्य जांच आयोजित करना और निर्माण श्रमिकों आदि को आपातकालीन आइस पैक और गर्मी से होने वाली बीमारी से बचाव की सामग्री प्रदान करना भी इस पहल में शामिल है.
पत्र में खदान और फैक्ट्री प्रबंधन को धीमी गति से काम करने, लचीले शेड्यूल अपनाने, अत्यधिक गर्मी के दौरान दो-व्यक्तियों का दल बनाने, भूमिगत खदानों में उचित वेंटिलेशन निर्देश जारी करने की भी सलाह दी गई है. कारखानों और खदानों के अतिरिक्त निर्माण और ईंट भट्टा श्रमिकों पर विशेष ध्यान दिए जाने तथा जागरूकता शिविरों, श्रमिकों को चौराहों पर पोस्टर और बैनर आदि के माध्यम से अत्यधिक गर्मी की स्थिति से स्वयं को बचाने के तरीकों के बारे में श्रमिकों को व्यापक जानकारी देने की आवश्यकता पर बल दिया गया है.
मंत्रालय ने अपने विभिन्न संगठनों को भी जागरूकता सत्र आयोजित करने और अपने प्रशिक्षण कार्यक्रमों में विशिष्ट मॉड्यूल शामिल करने के निर्देश जारी किए हैं. इसका उद्देश्य श्रमिकों को हीट वेव के कारणों और प्रभावों के बारे में जानकारी देना है. साथ ही हीट स्ट्रेस को पहचानने, निवारक रणनीतियों और हीट वेव के प्रतिकूल प्रभावों को कम करने के तरीकों के बारे में शिक्षित करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है.
डीजीएलडब्ल्यू और ईएसआईसी के तहत अस्पतालों और डिस्पेंसरियों को हीट स्ट्रोक के मामलों की देखभाल के लिए समर्पित डेस्क स्थापित करने को कहा गया है. ओआरएस, आइस पैक और हीट बीमारी की रोकथाम के लिए अन्य सामग्री की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए भी केंद्र सरकार द्वारा कहा गया है.
–
जीसीबी/एकेजे
The post first appeared on .
You may also like
'मेरी बीवी और मेरा रोज झगड़ा होता है, इस समस्या का क्या हल है?' संत ने बताया उपाय ι
बडी उम्र की लडकी के साथ शादी करने से होते है ये 7 फायदे. जान लो वरना बाद में पछताएंगे। ι
'धर्म पूछकर गोली मारने वाले भी किसी मजहब...', पहलगाम आतंकी हमले पर बोले कुमार विश्वास
अंधेरा होते ही इस मंदिर में कोई नहीं करता प्रवेश, 900 साल पहले दिया गया श्राप है वजह ι
पहलगाम आतंकी हमले की कांग्रेस नेताओं ने की निंदा, कहा- पूरा देश एकजुट है