नई दिल्ली, 26 अप्रैल . भारतीय सेना ने नेत्र शल्य चिकित्सा के क्षेत्र में भी एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है. इसके तहत न्यूनतम चीरफाड़ वाली ग्लूकोमा शल्य चिकित्सा के लिए आर्मी हॉस्पिटल (आर एंड आर) में पहली बार उन्नत थ्रीडी माइक्रोस्कोप का इस्तेमाल किया गया.
यह उपलब्धि विभिन्न नेत्र शल्य चिकित्साओं के लिए बेहद अहम मानी जा रही है, जिससे नेत्र रोगियों के उपचार में न सिर्फ बदलाव आएगा, उन्हें काफी मदद भी मिलेगी.
दरअसल, भारतीय सेना के नई दिल्ली स्थित प्रमुख अस्पताल आर्मी हॉस्पिटल (रिसर्च एंड रेफरल) के नेत्र विज्ञान विभाग ने सशस्त्र बलों के लिए पहली और अनूठी उपलब्धि के रूप में थ्रीडी माइक्रोस्कोप का उपयोग किया. इसके जरिए ग्लूकोमा अर्थात काला मोतिया की न्यूनतम चीरफाड़ वाली शल्य चिकित्सा की गई है.
यह त्रि-आयामी दृश्य प्रणाली विभिन्न नेत्र शल्य चिकित्साओं के लिए बहुत उपयोगी है, जिसमें भेंगापन, मोतियाबिंद, कॉर्निया, ग्लूकोमा और रेटिना संबंधी समस्याओं का उपचार शामिल है.
इस प्रणाली में विशेष थ्रीडी ध्रुवीकरण चश्मा और 55 इंच का फोर-के अल्ट्रा-एचडी डिस्प्ले का इस्तेमाल किया गया है. इसके संभावित लाभों में पारंपरिक माइक्रोस्कोप की तुलना में काफी कम शल्य चिकित्सा समय के साथ ही जटिलता दर, एंडोइल्यूमिनेटर की कम शक्ति, कम फोटो-विषाक्तता, असामान्य और जटिल स्थितियों में उपयोग में आसानी होना और उच्च दर पर सर्जन तथा नर्स को शल्य चिकित्सा से संतुष्ट होना शामिल हैं.
यह पहल शीर्ष संस्थानों में लाभार्थियों तक उच्च स्तरीय चिकित्सा सेवाएं सुनिश्चित करने में भारतीय सेना की अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है. इस सुविधा का उद्देश्य अत्याधुनिक नेत्र देखभाल सेवाएं प्रदान करना है और विभिन्न प्रकार के नेत्र संबंधी विकारों के उपचार में अस्पताल की क्षमताओं को विस्तार देना है.
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एबीएम/
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