ओटावा, 9 सितंबर . यदि कनाडाई सरकार खालिस्तानी कट्टरपंथियों के मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाने में विफल रहती है, तो उसे पाकिस्तान के समान ही आतंकवाद से जूझना पड़ेगा – और अंततः वे न केवल दूसरों के लिए बल्कि उसके लिए भी खतरा बन जाएंगे. Tuesday को एक रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है.
‘खालसा वॉक्स’ की एक रिपोर्ट में कहा गया, “कनाडा में खालिस्तानियों की मौजूदगी वीडियो, प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों और मीडिया रिपोर्टों से स्पष्ट है, फिर भी वर्षों से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है. कनाडा के पूर्व Prime Minister जस्टिन ट्रूडो पर भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों पर चुप्पी साधने का आरोप लगाया गया है. अब ध्यान इस बात पर केंद्रित है कि क्या उनके उत्तराधिकारी मार्क कार्नी इस गलती को सुधारेंगे.”
विशेषज्ञों ने लगातार तर्क दिया है कि कनाडा जैसे देश न केवल खालिस्तानियों को सुरक्षित पनाहगाह प्रदान करते हैं, बल्कि वित्तीय सहायता भी प्रदान करते हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, कनाडा की धरती से संचालित सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) जैसे आतंकवादी संगठनों के अलगाववादी नियमित रूप से भारत के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करते हैं और Prime Minister Narendra Modi और अन्य राजनेताओं के खिलाफ सार्वजनिक रूप से जहर उगलते हैं. फिर भी, ओटावा की चुप्पी, जो केवल एक दर्शक की भूमिका निभा रही है, इस बात का स्पष्ट संकेत देती है कि ये समूह राज्य के संरक्षण में दंड से मुक्ति का आनंद ले रहे हैं.
ओटावा ने हाल ही में पहली बार स्वीकार किया कि ये खालिस्तानी आतंकवादी समूह कनाडा की धरती से संचालित हो रहे हैं और वित्तीय सहायता प्राप्त कर रहे हैं. यह स्वीकारोक्ति कनाडा के वित्त विभाग द्वारा धन शोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण के जोखिमों पर तैयार किए गए एक आकलन के बाद आई है.
कनाडाई सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, “इन खालिस्तानी समूहों पर कनाडा सहित कई देशों में धन जुटाने का संदेह है.”
इसमें आगे कहा गया है कि आतंकवादी समूह चैरिटी घोटालों, मादक पदार्थों की तस्करी और वाहन चोरी के माध्यम से धन जुटा रहे हैं, जिससे कनाडा आतंकवाद के वित्तपोषण के लिए एक अनुकूल वातावरण बन गया है.
सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, खालिस्तानी आतंकवादी गैर-लाभकारी संगठनों और सिख प्रवासियों से प्राप्त दान का दुरुपयोग करते हैं. इसके अतिरिक्त, यह भी पता चला है कि ये आतंकवादी समूह क्राउडफंडिंग और क्रिप्टोकरेंसी सहित विभिन्न वित्तपोषण माध्यमों का लाभ उठा रहे हैं.
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केआर/
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