ढाका, 8 अगस्त . बांग्लादेश में पत्रकारों पर बढ़ते हमलों के बीच एक और दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है. गाजीपुर जिले के चंदना चौरास्ता क्षेत्र में ‘डेली प्रतिदिनेर कागोज’ के रिपोर्टर असदुज्जमां तुहिन की Thursday रात को धारदार हथियारों से हमला कर हत्या कर दी गई. इससे कुछ ही घंटे पहले उन्होंने इलाके में दुकानदारों और ठेलेवालों से हो रही रंगदारी वसूली का सोशल मीडिया पर लाइव प्रसारण किया था.
बता दें कि 38 वर्षीय तुहिन की हत्या का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिससे मीडिया जगत में आक्रोश फैल गया है.
गाजीपुर मेट्रोपॉलिटन पुलिस के उपायुक्त रबीउल हसन ने बांग्लादेश के प्रमुख अखबार ‘प्रथम आलो’ को बताया, “घटना की कुछ वीडियो फुटेज हमारे पास हैं और कुछ अहम सुराग भी मिले हैं. हमने आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए अभियान शुरू कर दिया है. एक पत्रकार की इतनी निर्मम हत्या बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है.”
पुलिस के अनुसार, घटना की शुरुआत एक महिला से जुड़े विवाद के बाद बदशा मिया नामक व्यक्ति पर हमला होने से हुई. पत्रकार तुहिन ने इस हमले का वीडियो बनाना शुरू किया, जिससे नाराज होकर हमलावरों ने तुहिन पर धारदार हथियारों से कई वार कर दिए और मौके पर ही उनकी जान ले ली.
स्थानीय चश्मदीदों के अनुसार, हमलावरों के एक समूह ने तुहिन पर अचानक हमला किया और उसकी हत्या कर दी. एक दुकानदार खैरुल इस्लाम ने बताया, “मैं अपनी दुकान में बैठा था तभी तुहिन दौड़ते हुए अंदर आया. उसके पीछे तीन लोग आए और उसे मौत के घाट उतार दिया. दो अन्य लोग बाहर निगरानी कर रहे थे. जब मैंने रोकने की कोशिश की, तो उन्होंने मुझे भी जान से मारने की धमकी दी. वहां मौजूद किसी ने भी मदद नहीं की.”
इससे एक दिन पहले Wednesday को भी गाजीपुर के सहापाड़ा क्षेत्र में ‘बांग्लादेशेर आलो’ के रिपोर्टर अनवर हुसैन सौरव पर भी रंगदारी की जांच के दौरान हमला हुआ था. वह ई-रिक्शा और सीएनजी ऑटो चालकों से वसूली की रिपोर्टिंग कर रहे थे. बताया गया कि पुलिस की मौजूदगी में उन पर हमला किया गया. सौरव की हालत गंभीर है और उनका इलाज शहीद ताजुद्दीन अहमद मेडिकल कॉलेज अस्पताल में चल रहा है.
पिछले महीने, अवामी लीग ने दावा किया था कि मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के शासनकाल में पत्रकारों के खिलाफ अत्याचार, हत्या और उत्पीड़न की घटनाएं लगातार बढ़ी हैं.
अवामी लीग ने बताया कि अब तक 412 पत्रकारों के खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज किए गए हैं, 39 पत्रकारों को गिरफ्तार किया गया है जिनमें से कई को जमानत या सुनवाई भी नहीं मिली. 1000 से अधिक पत्रकारों को नौकरी से निकाल दिया गया है, 168 प्रेस कार्ड रद्द किए गए हैं, 101 प्रेस क्लब सदस्यताएं समाप्त की गई हैं, 100 से अधिक बैंक खातों को फ्रीज किया गया है, 300 से अधिक पत्रकारों पर विदेश यात्रा प्रतिबंध है और कम से कम 10 पत्रकारों की हत्या हो चुकी है, जिनमें अब तक किसी को न्याय नहीं मिला है.
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डीएससी/
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