New Delhi, 13 अक्टूबर . Supreme court ने Monday को करूर भगदड़ घटना को लेकर सीबीआई जांच का आदेश दिया. यह एक दुखद घटना थी, जिसमें 41 लोगों की जान चली गई और 100 से ज्यादा घायल हो गए थे.
अंतरिम आदेश में, न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी और न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया की पीठ ने पूर्व सर्वोच्च न्यायालय न्यायाधीश न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी को सीबीआई जांच की निगरानी के लिए नियुक्त किया.
शीर्ष अदालत ने आगे निर्देश दिया कि न्यायमूर्ति रस्तोगी के अलावा, तमिलनाडु के दो आईपीएस अधिकारी (जो राज्य के मूल निवासी नहीं हैं) भी निगरानी पैनल का हिस्सा होंगे.
न्यायमूर्ति माहेश्वरी की अध्यक्षता वाली पीठ मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा इस घटना की विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन के निर्देश को चुनौती देने वाली और स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली याचिकाओं पर विचार कर रही थी.
Actor-राजनेता विजय की पार्टी, तमिलगा वेत्री कझगम (टीवीके) ने जहां सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में जांच की मांग की, वहीं भाजपा नेता उमा आनंदन सहित कई अन्य केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच की मांग कर रहे थे.
इससे पहले, मद्रास हाईकोर्ट ने इस दुखद घटना की जांच के लिए आईपीएस अधिकारी असरा गर्ग के नेतृत्व में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया था, जबकि सीबीआई जांच की मांग वाली याचिका पर आगे कार्यवाही करने से इनकार कर दिया था.
3 सितंबर को पारित एक आदेश में, मद्रास उच्च न्यायालय ने इस घटना के बाद टीवीके के Political नेतृत्व की आलोचना की थी.
न्यायमूर्ति एन सेंथिलकुमार की एकल पीठ ने कहा, “आश्चर्यजनक रूप से, कार्यक्रम आयोजक, जिनमें Political दल के नेता भी शामिल थे, अपने कार्यकर्ताओं, अनुयायियों और प्रशंसकों को छोड़कर कार्यक्रम स्थल से फरार हो गए. न तो कोई पश्चाताप है, न ही कोई जिम्मेदारी, और न ही खेद की अभिव्यक्ति.”
मद्रास उच्च न्यायालय ने “दुर्घटना के तुरंत बाद घटनास्थल से भाग जाने के लिए विजय, कार्यक्रम के आयोजकों और Political दल के सदस्यों के आचरण की कड़ी निंदा की.”
अदालत ने आगे कहा, “ऐसी पार्टी का यह दायित्व है कि वह भीड़ से उत्पन्न भगदड़ जैसी स्थिति में फंसे लोगों को बचाने और उनकी सहायता करने के लिए तत्काल कदम उठाती, जिसमें कई बच्चों, महिलाओं और कई युवाओं की मृत्यु हो गई.”
टीवीके के सचिव आधव अर्जुन ने अपनी विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) में मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा उनके नेतृत्व के विरुद्ध की गई ‘असत्यापित और पूर्वाग्रहपूर्ण टिप्पणियों’ पर आपत्ति जताई. उन्होंने आगे कहा कि टीवीके नेताओं और कार्यकर्ताओं ने, वास्तव में, लोगों के बेहोश होने की खबरें आने पर ‘तुरंत राहत और चिकित्सा सहायता का समन्वय’ किया था.
मद्रास उच्च न्यायालय ने एसआईटी को निष्पक्ष और समयबद्ध जांच करने और समय-समय पर अद्यतन जानकारी प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था.
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वीकेयू/डीएससी
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