रांची, 3 नवंबर . Jharkhand कर्मचारी चयन आयोग की संयुक्त स्नातक स्तरीय परीक्षा (जेएसएससी-सीजीएल) में कथित पेपर लीक की सीबीआई जांच की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर Jharkhand हाईकोर्ट में Monday को सुनवाई पूरी हो गई. मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति राजेश शंकर की खंडपीठ ने राज्य Government, आयोग और याचिकाकर्ताओं की ओर से हुई विस्तृत बहस के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. अब इस मामले में अदालत Tuesday को निर्णय सुनाएगी.
इस फैसले पर राज्य के हजारों अभ्यर्थियों की निगाहें टिकी हुई हैं, क्योंकि परिणाम पर रोक के चलते चयन प्रक्रिया फिलहाल ठप है. अदालत का निर्णय यह तय करेगा कि जांच सीबीआई को सौंपी जाएगी या नहीं, और क्या आयोग को परिणाम जारी करने की अनुमति दी जाएगी.
सुनवाई के दौरान राज्य Government की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन और अधिवक्ता पीयूष चित्रेश ने पक्ष रखा, जबकि जेएसएससी की ओर से अधिवक्ता संजॉय पिपरवाल पेश हुए. याचिकाकर्ताओं की ओर से Supreme court के वरिष्ठ अधिवक्ता अजीत कुमार सिन्हा और हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अजीत कुमार ने दलीलें दीं. सभी पक्षों की बहस पूरी होने के बाद अदालत ने आदेश सुरक्षित रख लिया.
राज्य में करीब दो हजार से अधिक पदों पर नियुक्ति के लिए जेएसएससी-सीजीएल परीक्षा 21 और 22 सितंबर 2024 को राज्यभर के 823 परीक्षा केंद्रों पर आयोजित हुई थी. परीक्षा में 3,04,769 अभ्यर्थी शामिल हुए थे. आयोग ने इस परीक्षा के आधार पर 5 दिसंबर 2024 को 2,145 अभ्यर्थियों को शॉर्टलिस्ट किया था.
इसी बीच, परीक्षा में पेपर लीक के आरोपों की सीबीआई जांच की मांग को लेकर राजेश कुमार एवं अन्य ने Jharkhand हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की. इस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने 17 दिसंबर 2024 को परिणाम प्रकाशित करने पर अंतरिम रोक लगा दी थी. इसके बाद अदालत में कई तारीखों पर सुनवाई हुई.
राज्य की ओर से बताया गया कि अपराध अनुसंधान विभाग (सीआईडी) की जांच में अब तक पेपर लीक का कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य नहीं मिला है, जबकि आयोग के अधिवक्ताओं ने भी किसी तरह की लीक की घटना से इनकार किया. दूसरी ओर, याचिकाकर्ताओं ने प्रश्नपत्रों की पुनरावृत्ति, कई परीक्षा केंद्रों के बाहर के वीडियो और अन्य तथ्यों के आधार पर सीबीआई जांच की मांग दोहराई.
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एसएनसी/डीकेपी
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