New Delhi, 12 अगस्त . ‘कैश कांड’ में फंसे जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ संसद ने महाभियोग का प्रस्ताव मंजूर कर दिया है. इसके तहत तीन सदस्यीय समिति मामले की जांच करेगी. Lok Sabha अध्यक्ष ओम बिरला ने Tuesday को जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय पैनल की घोषणा की.
14 मार्च को यशवंत वर्मा के आवास पर आग लगी थी. इसी दौरान, उनके घर से भारी मात्रा में कैश की बरामदगी हुई. उस समय वे दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश थे. महाभियोग प्रस्ताव पर सत्तापक्ष और विपक्ष के कुल 146 Lok Sabha सदस्यों ने हस्ताक्षर किए थे. इसके बाद Lok Sabha में स्पीकर ओम बिरला ने तीन सदस्यीय चैनल का गठन किया. तीन सदस्यीय पैनल में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अरविंद कुमार, मद्रास उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश मनिंदर मोहन और वरिष्ठ अधिवक्ता बी.वी. आचार्य शामिल हैं.
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश अरविंद कुमार फरवरी 2023 में सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नत हुए थे. इससे पहले, वह 2009 में कर्नाटक उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त हुए थे और 2012 में स्थायी न्यायाधीश बने थे, जबकि 2021 से फरवरी 2023 तक गुजरात उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य किया. बेंगलुरु में अपनी शिक्षा पूरी करने वाले न्यायाधीश अरविंद कुमार ने 1987 में वकालत शुरू की. तीन साल बाद, 1990 में वह कर्नाटक उच्च न्यायालय में स्थानांतरित हो गए. 1999 में उन्होंने भारत सरकार के स्थायी वकील और फिर 2005 में सहायक सॉलिसिटर जनरल के रूप में कार्य किया.
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में जन्मे न्यायमूर्ति मनिंद्र मोहन श्रीवास्तव जुलाई में मद्रास उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बने. उन्होंने 1987 में वकालत शुरू की. जनवरी 2005 में वे वरिष्ठ अधिवक्ता नियुक्त हुए और दिसंबर 2009 में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किए गए. फिर वह 2021 में राजस्थान उच्च न्यायालय में न्यायाधीश बने.
वरिष्ठ अधिवक्ता बी.वी. आचार्य 2019 से अंतर्राष्ट्रीय न्यायविद आयोग के कर्नाटक खंड के अध्यक्ष हैं. उडुपी के बेलपु गांव में जन्मे बी.वी. आचार्य ने 1957 में अधिवक्ता के रूप में नामांकन कराया और मंगलुरु में वकालत शुरू की. 1972 में वे कर्नाटक उच्च न्यायालय चले गए. उन्होंने कर्नाटक राज्य बार काउंसिल (1979-1982) के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया और 1989 में उन्हें वरिष्ठ अधिवक्ता नियुक्त किया गया. बी.वी. आचार्य 1989 से 2012 के बीच 5 बार कर्नाटक के महाधिवक्ता रहे.
2005 में, वे तमिलनाडु की पूर्व Chief Minister जयललिता के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में विशेष लोक अभियोजक थे और उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में इस मामले की पैरवी की थी. मैंगलोर विश्वविद्यालय ने उन्हें 2009 में डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया. वे भारत के 19वें विधि आयोग (2010-2012) में कार्यरत रहे और 2017 में उन्हें लॉयर्स ऑफ इंडिया डे पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
–
डीसीएच/
You may also like
वाराणसी: बीएचयू प्रोफेसर पर हमला करने वाला मुख्य आरोपित मुठभेड़ में गिरफ्तार
Aaj ka Ank Rashifal 13 August 2025 : अंक ज्योतिष राशिफल प्यार, करियर और सेहत में कौन करेगा बाजी मार?
Aaj ka Mesh Rashifal 13 August 2025 : मेष राशि वालों के लिए आज का दिन लाएगा खुशियों की बारिश, जानें पूरी भविष्यवाणी
तेलंगाना में भारी बारिश की चेतावनी, सभी विभागों के कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द
पाकिस्तान के खिलाफ शतक ठोककर Shai Hope ने की Brian Lara के रिकॉर्ड की बराबरी, इस मामले में कर लिया है पहला स्थान शेयर