उत्तर प्रदेश के दादरी की बढ़ई की बेटी शिवानी चौधरी ने बीएसएफ के 60 साल के इतिहास में रिकॉर्ड बना दिया है. भर्ती के सिर्फ 5 महीने में ही उन्हें आउट ऑफ टर्न प्रमोशन देकर हेड कांस्टेबल बनाया गया. ब्राजील में हुई विश्व वुशू चैंपियनशिप 2025 में रजत पदक जीतने वाली शिवानी बीएसएफ की पहली महिला हैं जिन्हें इतनी जल्दी पदोन्नति मिली.
भारत की सीमा सुरक्षा बल (BSF) के 60 साल के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है जब किसी कांस्टेबल को ज्वाइनिंग के महज़ पांच महीनों के भीतर प्रमोशन मिल गया हो. यह उपलब्धि हासिल की है उत्तर प्रदेश के दादरी की रहने वाली शिवानी चौधरी, जिन्होंने न केवल देश का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोशन किया बल्कि BSF में महिला सशक्तिकरण का नया अध्याय भी लिखा. ब्राजील में आयोजित 17वीं वर्ल्ड वुशू चैंपियनशिप 2025 में रजत पदक जीतने के बाद शिवानी को ‘आउट ऑफ टर्न प्रमोशन’ देकर हेड कांस्टेबल बना दिया गया है.
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नई दिल्ली के छावला BSF कैंप में हुए समारोह में महानिदेशक दलजीत सिंह चौधरी ने शिवानी को नई रैंक पहनाकर सम्मानित किया. इस समारोह में वरिष्ठ अधिकारी, स्पोर्ट्स विभाग के सदस्य और बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मी मौजूद थे. BSF की यह ऐतिहासिक पदोन्नति न केवल खेल में प्रतिभा को मान्यता देने का उदाहरण है बल्कि यह दिखाती है कि मेहनत और समर्पण से कोई भी लक्ष्य नामुमकिन नहीं.
बढ़ई की बेटी से बनी भारत की ‘सीमा की शेरनी’शिवानी उत्तर प्रदेश के दादरी की एक साधारण परिवार से हैं. उनके पिता एक बढ़ई हैं, लेकिन बेटी ने अपनी लगन से पूरे परिवार का नाम ऊंचा किया है. शिवानी BSF में शामिल होने वाली अपने परिवार की पहली सदस्य हैं. उन्होंने सिर्फ 5 महीने की सेवा में वो कर दिखाया जो किसी ने छह दशक में नहीं किया. उन्होंने सितंबर 2025 में ब्राजील में हुई विश्व वुशू चैंपियनशिप में भारत को रजत पदक दिलाया और देश का तिरंगा ऊंचा किया.
BSF के इतिहास में अनोखा रिकॉर्डBSF की स्थापना 1965 में हुई थी और वर्तमान में इसमें लगभग 2.65 लाख जवान सेवा दे रहे हैं. लेकिन इस लंबे इतिहास में इतनी तेजी से पदोन्नति पाने का मामला पहली बार सामने आया है. समाचार एजेंसी ANI के मुताबिक, शिवानी BSF की दूसरी ऐसी कॉन्स्टेबल हैं जिन्हें 22 साल में “आउट ऑफ टर्न प्रमोशन” मिला है. उनसे पहले 18 जुलाई 2025 को कॉन्स्टेबल अनुज (सेंट्रल वुशू टीम) को यह सम्मान दिया गया था.
DG चौधरी बोले- “शिवानी की सफलता देश का गर्व”बीएसएफ महानिदेशक दलजीत सिंह चौधरी ने कहा कि टहेड कांस्टेबल शिवानी की यह उपलब्धि न केवल BSF बल्कि पूरे देश के लिए गर्व की बात है. उन्होंने यह साबित किया है कि अनुशासन, मेहनत और समर्पण से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है. उनका आउट ऑफ टर्न प्रमोशन सभी खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा है.” उन्होंने आगे कहा कि BSF हमेशा अपने खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करती है और शिवानी जैसी प्रतिभाएं इस भावना को और मजबूत करती हैं.
प्रतिदिन 4 घंटे की कठोर ट्रेनिंग से रची कामयाबीशिवानी ने ANI से कहा कि “मैं सुबह दो घंटे और शाम को दो घंटे अभ्यास करती हूं, यानी प्रतिदिन लगभग चार घंटे की ट्रेनिंग. मेरा अगला लक्ष्य विश्व कप है और मैं गोल्ड मेडल जीतने के लिए और मेहनत करूंगी. मैं अपने साथियों से कहना चाहती हूं कि मेहनत कभी बेकार नहीं जाती, हर किसी को उसका मौका जरूर मिलता है.”
आउट ऑफ टर्न प्रमोशन क्या होता है?“आउट ऑफ टर्न प्रमोशन” किसी कर्मी को ‘असाधारण उपलब्धि’ या ‘विशेष योगदान’ के लिए दिया जाने वाला दुर्लभ सम्मान है. इसे प्रेरणा और प्रोत्साहन के प्रतीक के रूप में देखा जाता है. BSF के इतिहास में इस तरह की पदोन्नतियां बेहद कम हुई हैं और हर एक को विशेष रिकॉर्ड के रूप में दर्ज किया जाता है. जुलाई 2025 में बीएसएफ सेंट्रल वुशू टीम के कॉन्स्टेबल अनुज को भी “आउट ऑफ टर्न प्रमोशन” दिया गया था. उन्होंने चीन के जियांगयिन में आयोजित 10वीं सैंडा वर्ल्ड कप में रजत पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया था.
BSF में बढ़ता महिला सशक्तिकरणशिवानी की सफलता सिर्फ एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं बल्कि BSF में महिलाओं की बढ़ती ताकत का प्रतीक है. बीएसएफ प्रवक्ता के अनुसार, शिवानी जैसी खिलाड़ी यह साबित करती हैं कि BSF सिर्फ सीमाओं की रक्षा करने वाला बल नहीं, बल्कि देश की प्रतिभा को निखारने और अवसर देने वाला संस्थान भी है.”
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