आमतौर पर सभी बड़े होटल्स में व्यक्ति की रोजमर्रा के जीवन में इस्तेमाल होने वाली सभी चीजें उपलब्ध होती है। यानि साबुन से लेकर टूथपेस्ट तक हर चीज का प्रबंध होता है। अब कुछ होटल्स में तो शैम्पू और साबुन हर रोज बदले जाते है, लेकिन कुछ होटल्स में ऐसा नहीं होता। मगर क्या आपने कभी ये सोचा है कि होटल में बचे हुए साबुन का आखिर क्या किया जाता है। जी हां होटल में जो शैम्पू और साबुन आदि का हम इस्तेमाल नहीं करते या थोड़ा सा इस्तेमाल करके छोड़ देते है, उनका हमारे होटल से जाने के बाद क्या किया जाता है। बहरहाल आज हम आपको इसी जानकारी से रूबरू करवाना चाहते है। अब अगर हम इसका सीधा और साफ जवाब दे तो ऐसा हो सकता है कि जो चीजें हम आधी इस्तेमाल करते है, उन्हें हमारे जाने के बाद फेंक दिया जाता है।
तो वही जिन चीजों का हम इस्तेमाल नहीं करते और जो पैक्ड होती है उन्हें दूसरे मेहमानो को दे दिया जाता है। मगर आपको जान कर हैरानी होगी कि ये पूरा सच नहीं है। दरअसल एक रिपोर्ट के अनुसार यह सच सामने आया है कि जहाँ एक तरफ इन चीजों को कूड़े के ढेर में मिला दिया जाता है, वही ये चीजें कई गरीब लोगों की स्वच्छता की समस्या को दूर करने में मदद कर सकती है। इसका मतलब ये है कि जो गरीब लोग ऐसी चीजें नहीं खरीद सकते और गंदगी के कारण कई बीमारियों का सामना करते है, उन्हें ये चीजें दी जा सकती है। बता दे कि साल 2009 में कुछ एनजीओ ने इस मुद्दे को लेकर मुहिम भी चलाई थी।
इसके इलावा अगर रिपोर्ट की माने तो भारत में हर रोज लाखों की गिनती में ऐसे प्रोडक्ट्स होटल्स के कमरों से बाहर निकाले जाते है, जिनसे गरीबों का भला हो सकता है। गौरतलब है कि इस समस्या को खत्म करने के लिए पूरी दुनिया में क्लीन द वर्ल्ड और कई संस्थाओं ने ग्लोबल सोप प्रोजक्ट के साथ मिल कर एक मुहिम शुरू की थी। जिसके तहत आधे इस्तेमाल किए गए साबुन को नया साबुन बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसके इलावा बाकी प्रोडक्ट्स के साथ भी ऐसा ही होता है। फिर इन रिसाइकल किए गए प्रोडक्ट्स को विकासशील देशों में भेज दिया जाता है। यहाँ तक कि इस मुहिम का लाभ उन क्षेत्रों में रह रहे लोग भी उठा पाते है, जिनके पास स्वच्छ पानी, साबुन और सैनिटेशन की सुविधाएँ उपलब्ध नहीं होती।

यहाँ गौर करने वाली बात ये है कि स्थानीय स्तर पर ऐसे कई एनजीओ काम करते है जो बड़े बड़े होटल्स से हर रोज कई तरह के प्रोडक्ट्स इकट्ठे करते है और उन्हें गरीबों में बाँट देते है। हालांकि जरूरतमंद लोगों को देने से पहले इन्हे रिसाइकल जरूर किया जाता है। जी हां रिसाइकल के दौरान बचे हुए साबुन और सभी प्रोडक्ट्स को कीटाणुरहित किया जाता है, ताकि लोग बिना किसी दिक्क्त के इनका इस्तेमाल कर सके। यहाँ तक कि इनकी शुद्धता की जांच भी की जाती है। अब यूँ तो होटल में बचे हुए साबुन का दोबारा इस्तेमाल करने का यह सबसे बढ़िया तरीका है, लेकिन अब भी ऐसे बहुत से होटल्स है, जिनमें बचे हुए साबुन को कचरे के रूप में फेंक दिया जाता है।
दोस्तों हम तो आपसे यही कहेंगे कि जिस चीज का इस्तेमाल दोबारा किया जा सकता है, उन्हें फेंकने की बजाय जरूरतमंद लोगों की जरूरतें पूरी करने में उनका इस्तेमाल करे। ये खबर आप हिमाचली खबर में पढ़ रहे हैं। ।
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