भारत में जमीन की कीमत आए दिन आसमान छू रही है गांव हो या शहर लोग जमीन खरीदने के लिए अपनी जीवन भर की कमाई लग रहे हैं। हालांकि जब भी आप कोई जमीन या मकान खरीदते हैं तो उसके लिए आपको अपने नाम से रजिस्ट्री करवाना बेहद जरूरी होता है। ये खबर आप हिमाचली खबर में पढ़ रहे हैं। ।
यह इस बात का प्रमाण होता है की जमीन आपकी हो चुकी है। सरकार रजिस्ट्री के लिए विभिन्न प्रकार के दस्तावेज की मांग करती है जिसे दोनों पक्ष को देने होते हैं। इसके अलावा रजिस्ट्री का चार्ज भी सरकार द्वारा तय किया जाता है।
सरकार रजिस्ट्री के लिए कितना चार्ज करती है यह आपकी जमीन के ऊपर निर्भर करता है। हालांकि अगर आपको जमीन की रजिस्ट्री के बारे में पर्याप्त नॉलेज नहीं हो तो आप ऑनलाइन वेबसाइट का उपयोग कर अपनी जानकारी में इजाफा कर सकते हैं। जानकारी पूरी नहीं होने पर कई बार रजिस्ट्रीकर्ता आपसे ज्यादा पैसे निचोड़ लेता है।
जमीन की रजिस्ट्री के समय स्टांप ड्यूटी चार्ज यानी जमीन की रजिस्ट्री में जो खर्च आता है उसे सरकार इस स्टंप के जरिए आपसी लेती है। जमीन की लंबाई और चौड़ाई के अनुसार ही आपसे स्टंप ड्यूटी चार्ज लिया जाता है। जैसे गांव में जमीन खरीदने का काम पैसा लगता है जबकि शहर में गांव की तुलना में जमीन महंगी है ऐसे में शहर की जमीन का ज्यादा भुगतान करना होता है। स्टांप ड्यूटी चार्ज उसे जमीन की सर्कल या फिर सरकारी रेट पर निर्भर करता है।
राज्य सरकार तय करती है शुल्कबता दे कि भारत में अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग रजिस्ट्री की कीमत है। अलग-अलग राज्य में 3% से लेकर 10% तक होती है। संपत्ति पर स्तंभूल के अलावा आपको रजिस्ट्रेशन शुल्क का भुगतान भी करना होता है जो आमतौर पर केंद्र सरकार द्वारा लगाया जाता है।
उदाहरण के तौर पर यदि कोई व्यक्ति भारत की राजधानी दिल्ली में ₹60 लाख की संपत्ति खरीदना है तो वहां स्टंप शुल्क दर 6% है। इस लिहाज से उसे व्यक्ति को तीन लाख 16 हजार रुपए और पंजीकरण के रूप में ₹60000 अपनी जेब से ढीली करने होंगे। हालांकि महिलाओं के लिए भारी छूट मिलती है अगर कोई महिला रजिस्ट्रेशन अपने नाम पर पंजीकरण करती है तो उसे पुरुष के मुकाबले में कुछ कम पैसे देने पड़ते हैं।
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