नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। भारत में एक ऐसा मानव है, जो 6000 वर्षों से जीवित है। वह भगवान शिव का अनन्य भक्त है। वह सुबह सबसे पहले जागता है, गंगा में स्नान करता है और शिवलिंग पर फूल और बेलपत्र अर्पित कर महादेव की पूजा करता है।
कहा जाता है कि जब कलयुग में भगवान विष्णु का कल्कि अवतार उत्तर प्रदेश के संभल जनपद में होगा, तब यह मानव भगवान कल्कि के साथ मिलकर अंतिम युद्ध लड़ेगा। यह महामानव अश्वत्थामा हैं। अपने पिता द्रोणाचार्य की मृत्यु का प्रतिशोध लेने निकले अश्वत्थामा को एक गलती के कारण भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें युगों-युगों तक भटकने का श्राप दिया था। पिछले 5200 वर्षों से अश्वत्थामा जीवित हैं।
हिंदू मान्यता के अनुसार, अश्वत्थामा की आयु 5200 वर्ष है। कलियुग की शुरुआत से उनकी उम्र का अनुमान 3102 ईसा पूर्व से लगाया गया है। इस हिसाब से, कुरुक्षेत्र युद्ध के समय उनकी आयु 78 वर्ष थी। अश्वत्थामा, गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र थे और जन्म से ही धनुर्विद्या में निपुण थे। मान्यता है कि अश्वत्थामा आज भी जीवित हैं और कलियुग के अंत तक जीवित रहेंगे। मध्य प्रदेश के महू से लगभग 12 किलोमीटर दूर विंध्याचल की पहाड़ियों पर खोदरा महादेव की जगह को अश्वत्थामा की तपस्थली के रूप में पूजा जाता है।
शास्त्रों के अनुसार, सबसे पहला युग सतयुग है, जो 17,28,000 वर्षों तक चला। इसमें मनुष्य की आयु लगभग 1,00,000 वर्ष थी। इसके बाद त्रेतायुग और द्वापरयुग आए, जिनकी आयु क्रमशः 12,96,000 और 8,64,000 वर्ष थी। अंत में, कलियुग की आयु लगभग 4,32,000 वर्ष है, जिसमें मनुष्य की अधिकतम आयु 100 वर्ष मानी गई है। इस युग में भगवान कल्कि एक ब्राह्मण परिवार में अवतरित होंगे और राक्षसों का वध करेंगे। इस युद्ध में अश्वत्थामा भी भगवान कल्कि के साथ होंगे।
अश्वत्थामा महाभारत काल में जन्मे थे और उस समय के श्रेष्ठ योद्धाओं में उनकी गिनती होती थी। वे गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र और कुरु वंश के राजगुरु कृपाचार्य के भांजे थे। महाभारत के युद्ध के दौरान, द्रोणाचार्य ने कौरवों का साथ दिया। पिता-पुत्र की जोड़ी ने पांडवों की सेना को पराजित किया। श्रीकृष्ण ने द्रोणाचार्य का वध करने के लिए युधिष्ठिर से कूटनीति का सहारा लेने को कहा।
महाभारत युद्ध के बाद, अश्वत्थामा ने पांडव पुत्रों का वध किया और पांडव वंश के समूल नाश के लिए ब्रह्मास्त्र चलाया। भगवान श्री कृष्ण ने उनकी रक्षा की और उन्हें युगों-युगों तक भटकने का श्राप दिया। तब से अश्वत्थामा धरती पर भटकते हैं और भगवान शिव की पूजा करते हैं। कानपुर के शिवराजपुर स्थित शिवमंदिर में पूजा करने वाले लोगों ने अश्वत्थामा को देखने का दावा किया है।
कानपुर के अलावा, मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में भी अश्वत्थामा को देखे जाने का दावा किया जाता है। स्थानीय लोग बताते हैं कि किले में स्थित तालाब में स्नान करके अश्वत्थामा शिव मंदिर में पूजा करते हैं। यह तालाब गर्मी में भी सूखता नहीं है।
भविष्य पुराण के अनुसार, भविष्य में सनातन धर्म पर बड़ा संकट आएगा। उस समय भगवान विष्णु 'कल्कि' अवतार के रूप में धरती पर जन्म लेंगे और अश्वत्थामा उनके साथ अधर्म के खिलाफ लड़ाई करेंगे। अश्वत्थामा लगभग 5000 से 6000 वर्षों तक धर्म की रक्षा करते हुए भटकते रहेंगे।
You may also like
सीमावर्ती जिलों में हालात सामान्य, स्कूल-कॉलेज फिर से खुले
पाकिस्तान के ख़िलाफ़ सैन्य कार्रवाई के बाद पीएम मोदी का भाषण, चार बड़े संदेश
इतिहास के पन्नों में 14 मईः समानांतर सिनेमा की बुनियाद रखकर अमर हो गए मृणाल सेन
कुछ जिलों में बारिश-ओले, 15 मई से हीटवेव का अलर्ट
आरक्षक की हत्या मामले में दो संदिग्ध हिरासत में