मेरठ में प्रस्तावित रिंग रोड के निर्माण पर शासन स्तर पर अंतिम निर्णय लिया जा रहा है। इस परियोजना का अधिकांश वित्तीय बोझ मेरठ विकास प्राधिकरण (मेडा) को उठाना होगा। सरकार ने स्पष्ट किया है कि जब तक मेडा अपनी हिस्सेदारी की धनराशि का इंतजाम नहीं करता, तब तक लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) को धनराशि जारी नहीं की जाएगी। इस कारण मेडा को लगभग 150 से 200 करोड़ रुपये जुटाने की आवश्यकता होगी।
वित्तीय संसाधनों पर पहली बैठक
रिंग रोड के लिए आवश्यक धनराशि जुटाने के तरीकों पर चर्चा करने के लिए शुक्रवार को मेडा सभागार में एक बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में विकासकर्ताओं के साथ राजस्व जुटाने के उपायों पर विस्तृत चर्चा की गई। इसके बाद निर्णय लिया गया कि 22 को एक और बैठक आयोजित की जाएगी, जिसमें सभी जनप्रतिनिधि शामिल होंगे। इस बैठक में अंतिम निर्णय लिया जाएगा कि रिंग रोड परियोजना के लिए धनराशि कैसे एकत्र की जाएगी।
रिंग रोड की चौड़ाई पर विचार
रिंग रोड की चौड़ाई को लेकर भी चर्चा जारी है। पहले प्रस्तावित 45 मीटर चौड़ी सड़क के लिए पीडब्ल्यूडी ने 291 करोड़ रुपये की मांग की थी, जिसमें भूमि अधिग्रहण, नाली, पुलिया, नाला और लाइटिंग जैसी सुविधाएं शामिल थीं। लेकिन शासन ने इतनी धनराशि जारी करने से मना कर दिया। अब 24 मीटर चौड़ी सड़क बनाने की संभावना जताई जा रही है, जिससे लागत कम होगी।
22 को होने वाली बैठक के प्रमुख बिंदु
22 को आयोजित होने वाली बैठक में निम्नलिखित प्रमुख बिंदुओं पर निर्णय लिया जाएगा:
- राजस्व जुटाने के तरीके क्या होंगे?
- क्या मेडा कुछ शुल्कों में वृद्धि कर सकता है?
- सड़क की चौड़ाई कितनी होनी चाहिए – 45 मीटर, 24 मीटर या इससे कम?
- सड़क निर्माण की समय सीमा क्या हो?
- क्या उद्यमियों और विकासकर्ताओं से अग्रिम विकास शुल्क लिया जाए?
45 मीटर चौड़ी सड़क के लिए भारी खर्च
अगर सड़क 45 मीटर चौड़ी बनाई जाती है, तो इसके लिए लगभग 291 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी। इसमें से पीडब्ल्यूडी को भूमि खरीद के लिए 50 करोड़ और सड़क निर्माण के लिए 25 से 50 करोड़ रुपये तक शासन से मिलने की उम्मीद है। लेकिन फिर भी मेडा को 240 करोड़ रुपये का इंतजाम खुद करना होगा। इस कारण अब 24 मीटर चौड़ी सड़क बनाने की योजना पर विचार किया जा रहा है।
24 मीटर चौड़ी सड़क का विकल्प
24 मीटर चौड़ी सड़क के निर्माण के लिए मेडा को लगभग 150 करोड़ रुपये जुटाने होंगे। यह धनराशि विभिन्न मानचित्रों की बिक्री, औद्योगिक भूमि के उपयोग को बढ़ावा देने और रिंग रोड एलाइनमेंट से संबंधित योजनाओं से जुटाई जा सकती है। इस तरह लगभग 200 करोड़ रुपये की भूमि खरीद संभव हो सकेगी, जिससे पीडब्ल्यूडी सड़क निर्माण का कार्य आगे बढ़ा सकेगा।
भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए निर्णय
योजना के अनुसार, भूमि खरीदने के दौरान दोनों तरफ 10-10 मीटर भूमि को आरक्षित रखा जाएगा, ताकि भविष्य में सड़क को चौड़ा करने की आवश्यकता पड़े तो इसे खरीदा जा सके। इससे दीर्घकालिक योजना के तहत शहर के विकास की संभावनाओं को बल मिलेगा।
औद्योगिक विकास की संभावना
रिंग रोड का दूसरा हिस्सा दिल्ली रोड से होते हुए वेदव्यासपुरी तक 45 मीटर चौड़ी सड़क से जोड़ा जाएगा। यह लगभग 1.2 किमी लंबी होगी और इसके आसपास लगभग 100 हेक्टेयर औद्योगिक भूमि उपलब्ध है। अभी तक सड़क न होने के कारण यह भूमि बिक नहीं पाई थी। लेकिन रिंग रोड बनने से उद्यमियों में रुचि बढ़ेगी।
किसानों और उद्यमियों की भागीदारी
रिंग रोड परियोजना को सफल बनाने के लिए किसानों और उद्यमियों की सहमति लेना महत्वपूर्ण होगा। किसानों से भूमि अधिग्रहण को लेकर जनप्रतिनिधि चर्चा करेंगे, ताकि इस भूमि को औद्योगिक उपयोग के लिए बेचा जा सके। इस परियोजना से क्षेत्र में निवेश बढ़ेगा और नए रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे।
You may also like
भाजपा नेता के बयान पर कांग्रेस का जोरदार हमला, कहा- कर्नल सोफिया कुरैशी का अपमान बर्दाश्त नहीं
GIFT Nifty और दूसरे आंकड़ों से मिला सिग्नल, ट्रेडिंग से पहले जानिए बाजार के लिए आज कैसे है संकेत?
अजमेर के व्यस्त बाजार में कूलर गोदाम में लगी भीषण आग, फायर ब्रिगेड की तत्परता से टला बड़ा हादसा
IPL 2025: बाकी बचे मैचों में डांसिंग गर्ल, तेज संगीत और डीजे पर लग सकती हैं रोक, गावस्कर ने बीसीसीआई को....
आतंकियों पर मेहरबान शहबाज शरीफ, मसूद अजहर के परिवार को दिए 14 करोड़ रुपये!