जब से डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के दूसरी बार राष्ट्रपति बने हैं, तब से उनकी ट्रेड डील और टैरिफ ने दुनिया भर में हंगामा मचा रखा है। ट्रंप कई देशों पर भारी टैरिफ लग रहे हैं तो कई देशों को भारी छूट दे रहे हैं। ट्रंप की ट्रेड पॉलिसी के पीछे का दिमाग पीटर नवारों को माना जाता है। अब उन्होंने फिर से भारत पर सीधा कटाक्ष किया है। रूस से तेल खरीदने को लेकर उन्होंने भारत को धमकी दी है।
भारत नहीं रोकना चाहता वॉर?फाइनेंशियल टाइम्स के एक आर्टिकल के अनुसार नवारो ने भारत पर आरोप लगाया है कि भारत रूसी तेल खरीद कर युद्ध को बढ़ावा दे रहा है और दुनिया के प्रयासों को कमजोर कर रहा है। दुनिया रूस की वॉर इकोनॉमी को अलग करना चाहती हैं, लेकिन भारत वहां से तेल खरीद कर उनकी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दे रहा है।
नवारो की भारत को धमकीडोनाल्ड ट्रंप के ट्रेड गुरु कहलाए जाने वाले नवारो ने भारत को धमकी देते हुए कहा कि यदि भारत चाहता है कि वह अमेरिका के साथ साझेदारी बना रहे तो उसे अपने कदम बदलने होंगे। इसके अलावा हमने यह भी कहा कि भारत केवल रूस ही नहीं बल्कि चीन के करीब भी जा रहा है।
पीटर नवारो कौन हैं?ट्रंप के ट्रेड एडवाइजर माने जाने वाले पीटर नवारो को काफी आक्रमक ट्रेड एडवाइजर कहा जाता है। चीन विरोधी नीतियों में उनका ही दिमाग़ माना जाता है। वे हमेशा से ही चर्चा में बने रहते हैं कभी जेल में सजा काटने के कारण तो कभी फर्जी विशेषज्ञों का उदाहरण देने के कारण, उन्हें आलोचनाओं का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा उनके दिए गए तीखे बयान भी उन्हें चर्चा में रखते हैं। वे इकोनॉमिक्स में पीएचडी धारक हैं, जो उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से की है।
किताब से मिली पहचानवैसे तो नवारो अपने ट्रेड ज्ञान को लेकर चर्चा में रहते हैं, लेकिन साल 2011 में छपी उनकी बुक डेथ बाय चाइना से उन्हें अलग ही पहचान मिली। उस किताब में चीन पर उन्होंने कई आरोप लगाए थे, जिसमें अमेरिकी मैन्युफैक्चरिंग को बर्बाद करना भी शामिल था। किताब पर वे एक डॉक्यूमेंट्री भी बना चुके हैं।
किताब की वजह से बने ट्रंप के करीबी
नवारो की डेथ बाय चायना किताब से ही वे ट्रंप के करीबी बन पाए हैं। अमेरिकी प्रेसिडेंट डॉनल्ड ट्रंप के दामाद जारेड कुश्नर ने किताब पढ़ने के बाद ही नवारो से संपर्क किया था। धीरे-धीरे में ट्रंप के करीबी बन गए इसके बाद उन्हें ट्रेड एडवाइजर का पद मिल गया। इसके बाद से ही वे अपने आक्रमण नीतियों के कारण चर्चा में रहते हैं।
चीन को छूट क्यों?नवारो ने अभी भारत को रूस से तेल खरीदने पर धमकी दे डाली है। लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि सबसे ज्यादा रूस से तेल चीन खरीदता है। इसके बाद भी अमेरिका चीन के खिलाफ कोई सख्त एक्शन नहीं ले रहा।
भारत नहीं रोकना चाहता वॉर?फाइनेंशियल टाइम्स के एक आर्टिकल के अनुसार नवारो ने भारत पर आरोप लगाया है कि भारत रूसी तेल खरीद कर युद्ध को बढ़ावा दे रहा है और दुनिया के प्रयासों को कमजोर कर रहा है। दुनिया रूस की वॉर इकोनॉमी को अलग करना चाहती हैं, लेकिन भारत वहां से तेल खरीद कर उनकी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दे रहा है।
नवारो की भारत को धमकीडोनाल्ड ट्रंप के ट्रेड गुरु कहलाए जाने वाले नवारो ने भारत को धमकी देते हुए कहा कि यदि भारत चाहता है कि वह अमेरिका के साथ साझेदारी बना रहे तो उसे अपने कदम बदलने होंगे। इसके अलावा हमने यह भी कहा कि भारत केवल रूस ही नहीं बल्कि चीन के करीब भी जा रहा है।
पीटर नवारो कौन हैं?ट्रंप के ट्रेड एडवाइजर माने जाने वाले पीटर नवारो को काफी आक्रमक ट्रेड एडवाइजर कहा जाता है। चीन विरोधी नीतियों में उनका ही दिमाग़ माना जाता है। वे हमेशा से ही चर्चा में बने रहते हैं कभी जेल में सजा काटने के कारण तो कभी फर्जी विशेषज्ञों का उदाहरण देने के कारण, उन्हें आलोचनाओं का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा उनके दिए गए तीखे बयान भी उन्हें चर्चा में रखते हैं। वे इकोनॉमिक्स में पीएचडी धारक हैं, जो उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से की है।
किताब से मिली पहचानवैसे तो नवारो अपने ट्रेड ज्ञान को लेकर चर्चा में रहते हैं, लेकिन साल 2011 में छपी उनकी बुक डेथ बाय चाइना से उन्हें अलग ही पहचान मिली। उस किताब में चीन पर उन्होंने कई आरोप लगाए थे, जिसमें अमेरिकी मैन्युफैक्चरिंग को बर्बाद करना भी शामिल था। किताब पर वे एक डॉक्यूमेंट्री भी बना चुके हैं।
किताब की वजह से बने ट्रंप के करीबी
नवारो की डेथ बाय चायना किताब से ही वे ट्रंप के करीबी बन पाए हैं। अमेरिकी प्रेसिडेंट डॉनल्ड ट्रंप के दामाद जारेड कुश्नर ने किताब पढ़ने के बाद ही नवारो से संपर्क किया था। धीरे-धीरे में ट्रंप के करीबी बन गए इसके बाद उन्हें ट्रेड एडवाइजर का पद मिल गया। इसके बाद से ही वे अपने आक्रमण नीतियों के कारण चर्चा में रहते हैं।
चीन को छूट क्यों?नवारो ने अभी भारत को रूस से तेल खरीदने पर धमकी दे डाली है। लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि सबसे ज्यादा रूस से तेल चीन खरीदता है। इसके बाद भी अमेरिका चीन के खिलाफ कोई सख्त एक्शन नहीं ले रहा।
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