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पाकिस्तान की पूर्व क्रिकेटर सना मीर के किस बयान पर विवाद हो गया

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Getty Images पाकिस्तान की महिला क्रिकेट टीम की पूर्व कप्तान और अब कमेंटेंटर सना मीर की एक टिप्पणी पर विवाद हो रहा है.

एशिया कप क्रिकेट में भारत और पाकिस्तान के बीच के विवाद की सुर्खियों के बीच आईसीसी का महिला विश्व कप 2025 भी इस घेरे में आता दिख रहा है.

ताज़ा विवाद भी भारत और पाकिस्तान को लेकर ही है.

दरअसल पाकिस्तान की पूर्व कप्तान और अब कमेंटेटर सना मीर ने महिला क्रिकेट वर्ल्ड कप में पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच मुक़ाबले के दौरान पाकिस्तानी टीम की एक खिलाड़ी का परिचय कराते हुए 'पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर' को 'आज़ाद कश्मीर' कह दिया.

इसके बाद भारतीय मीडिया और सोशल मीडिया पर उनकी आलोचना शुरू हो गई.

हालांकि सना मीर ने बाद में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखाकि जिस तरह से चीजों को बढ़ा-चढ़ा कर बताया जा रहा है वो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है.

इससे खिलाड़ियों पर बेवजह दबाव पैदा किया जा रहा है. ये दुख की बात है कि इस पर सार्वजनिक तौर पर सफाई की मांग हो रही है.

पाकिस्तान का कश्मीर के जिस हिस्से पर नियंत्रण है, वो उसे 'आज़ाद कश्मीर' बताता है.

भारत सरकार का मानना है कि यह क़ानूनी रूप से भारत का हिस्सा है, जो कि जम्मू-कश्मीर के महाराजा राजा हरि सिंह की ओर से दस्तख़त किए गए विलय पत्र पर आधारित है.

सना मीर ने क्या कहा था? image Getty Images सना मीर ने पाकिस्तान की एक खिलाड़ी का परिचय कराते हुए विवादास्पद बयान दिया है.

सना मीर ने 'आज़ाद कश्मीर' वाली टिप्पणी विमेन्स वर्ल्ड कप में पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच होने वाले उद्घाटन मैच के दौरान की थी.

सना मीर पाकिस्तानी बैटर नतालिया परवेज़ का परिचय करा रही थीं. उस दौरान उन्होंने कहा, '' ये काफी युवा टीम की कप्तानी करती रही हैं. इस युवा टीम ने क्वालिफ़ायर जीते हैं लेकिन इनमें से ज़्यादातर नई हैं. नतालिया जो कश्मीर, आज़ाद कश्मीर से आती हैं लाहौर में काफ़ी क्रिकेट खेलती हैं. उन्हें अपना ज़्यादातर क्रिकेट खेलने के लिए लाहौर आना पड़ता है.''

सना मीर के इस बयान पर सोशल मीडिया में तुरंत प्रतिक्रिया दिखी.

सोशल मीडिया पर कई भारतीय फैन्स आईसीसी और बीसीसीआई को टैग करके क्रिकेट के राजनीतिकरण का आरोप लगाने लगे और उन्हें कमेंटरी से हटाने की मांग करने लगे.

image BBC
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सोशल मीडिया पर फैन्स क्या बोले image Getty Images 'आज़ाद कश्मीर' वाली टिप्पणी के बाद सना मीर को कमेंटरी से हटाने की मांग हो रही है.

सना मीर की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर यूजर अंकित भारोश ने लिखा, '' क्रिकेट में राजनीति घोलना न सिर्फ़ ग़लत है बल्कि यह आईसीसी के नियमों का उल्लंघन भी है. खेलों को देशों को जोड़ने का ज़रिया होना चाहिए, न कि उन्हें प्रोपेगेंडा फैलाने के लिए इस्तेमाल किया जाए.''

राहुल रावतने लिखा ''पाकिस्तान की पूर्व कप्तान सना मीर ने आज लाइव कॉमेंट्री के दौरान 'कश्मीर' मुद्दा उठाकर विवाद खड़ा कर दिया. उन्होंने एक पाकिस्तानी खिलाड़ी को "आज़ाद कश्मीर" से ताल्लुक़ रखने वाला बताया. भारत इस महिला विश्व कप की मेज़बानी कर रहा है और उम्मीद की जानी चाहिए कि आईसीसी सना मीर के ख़िलाफ़ कार्रवाई करेगा.''

अजय जांगिड़ नाम के एक एक्स यूजर ने सना मीर के ख़िलाफ़ आईसीसी और बीसीसीआई से कार्रवाई की मांग करते हुए लिखा, ''आज़ाद कश्मीर' नाम की कोई जगह नहीं है. वैश्विक मंच पर इस तरह की बातें करना बेहद आपत्तिजनक है. तुरंत और सख़्त कार्रवाई कीजिए. सना मीर पर बैन लगाइए. कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, क्रिकेट में इस तरह का भारत-विरोधी प्रोपेगेंडा बर्दाश्त नहीं किया जा सकता!''

एक और यूजरने लिखा, ''यह ऐसी बात है जो आप वैश्विक मंच पर बिल्कुल नहीं कह सकते.सना मीर को इसके लिए ज़िम्मेदारी लेनी होगी.'आज़ाद कश्मीर' नाम की कोई चीज़ नहीं है.''

सना मीर ने दी सफ़ाई image X

इस टिप्पणी पर सोशल मीडिया पर आ रही प्रतिक्रियाओं के बाद सना मीर ने पूरे मामले पर स्पष्टीकरण दिया.

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक पोस्ट कर उन्होंने लिखा, ''यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कैसे चीज़ों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है और खेलों से जुड़े लोगों पर अनावश्यक दबाव डाला जा रहा है. यह दुखद है कि इसके लिए सार्वजनिक स्तर पर स्पष्टीकरण की आवश्यकता है. एक पाकिस्तानी खिलाड़ी के होमटाउन के बारे में मेरी टिप्पणी का मक़सद केवल यह बताना था कि पाकिस्तान के एक खास क्षेत्र से आने के कारण उसे किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा और उसका अविश्वसनीय सफ़र कैसा रहा. यह उस कहानी का हिस्सा है जो हम कमेंटेटर के तौर पर बताते हैं कि खिलाड़ी कहां से आते हैं. मैंने आज दूसरे क्षेत्रों से आने वाले दो अन्य खिलाड़ियों के लिए भी ऐसा ही किया."

सना मीर ने लिखा, "कृपया इसका राजनीतिकरण न करें. एक कमेंटेटर के तौर पर, हमारा काम खेल, टीमों और खिलाड़ियों पर ध्यान केंद्रित करना है, और उनके साहस और दृढ़ता की प्रेरक कहानियों को उजागर करना है. मेरे दिल में कोई दुर्भावना नहीं है या भावनाओं को ठेस पहुंचाने का कोई इरादा नहीं है. मैं उस स्क्रीनशॉट को भी लगा रही हूं, जहां से मैं अपने ज़्यादातर खिलाड़ियों पर रिसर्च करती हूं, चाहे वे पाकिस्तान के हों या किसी और देश के. मुझे पता है कि अब तक उन्होंने इसे बदल दिया है, लेकिन मैं इसी की बात कर रही थी."

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महिला विश्व कप पर भी विवाद की छाया image Getty Images भारत 2013 के बाद पहली बार महिला क्रिकेट का विश्व कप आयोजित करा रहा है.

सना मीर की 'आज़ाद कश्मीर' वाली टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब एशिया कप में भारत और पाकिस्तान के पुरुष खिलाड़ियों के बीच हाथ न मिलाने के मुद्दे और भारतीय टीम को कथित तौर पर ट्रॉफी न दिए जाने को लेकर विवाद चरम पर पहुंच गया है.

इस विवाद की छाया महिला विश्व कप पर भी दिखनी शुरू हो गई थी जब भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी बीसीसीआई के सचिव देवजीत सैकिया ने कहा था कि जब महिला विश्व कप में जब भारत और पाकिस्तान आमने-सामने होंगे, तो इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि दोनों टीमों की खिलाड़ी आपस में हाथ मिलाएंगीं.

सैकिया ने बीबीसी के कार्यक्रम स्टंप्ड से कहा था, "मैं कुछ भी भविष्यवाणी नहीं कर सकता, लेकिन दुश्मनी रखने वाले उस देश के साथ हमारे रिश्ते वैसे ही हैं, पिछले हफ़्ते में इनमें कोई बदलाव नहीं हुआ है."

उन्होंने कहा था, ''भारत-पाकिस्तान के ख़िलाफ़ कोलंबो में मैच खेलेगा और क्रिकेट से जुड़े सभी प्रोटोकॉल का पालन किया जाएगा. मैं केवल इतना भरोसा दिला सकता हूं कि क्रिकेट के एमसीसी नियमों में जो कुछ है, वही किया जाएगा."

''हैंडशेक होंगे या गले मिलेंगे या नहीं, इस बारे में मैं इस समय कोई आश्वासन नहीं दे सकता."

image BBC

मई में भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य संघर्ष के बाद दुबई में एशिया कप में पहले मैच के दौरान , पाकिस्तान के कोच माइक हसन ने कहा था भारत ने पाकिस्तान के खिलाड़ियों से हाथ मिलाने से इनकार कर दिया था.

हाथ मिलाने से पैदा तनाव पूरे मैच के दौरान बना रहा और ये चरम पर तब पहुंचा जब भारत ने विजेता की ट्रॉफी एशियन क्रिकेट काउंसिल के अध्यक्ष मोहसिन नक़वी से स्वीकार नहीं की, जो पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष भी हैं.

भारत के खिलाड़ियों ने दावा किया कि नकवी एशिया कप की ट्रॉफियां अपने साथ लेकर चले गए.

भारतीय मीडिया में कुछ रिपोर्ट्स सामने आईं, जिनमें दावा किया गया कि पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष मोहसिन नक़वी ने 28 सितंबर को एशिया कप फ़ाइनल के बाद हुए बवाल के लिए भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) से माफ़ी मांगी है.

हालांकि, बुधवार को मोहसिन नक़वी ने इन सभी ख़बरों का खंडन किया.

एशियाई क्रिकेट परिषद के अध्यक्ष मोहसिन नक़वी ने फिर दोहराया है कि भारत को एशिया कप की ट्रॉफी तब तक नहीं दी जाएगी, जब तक टीम इंडिया इसे ख़ुद उनसे नहीं लेती.

इस्लामाबाद से बीबीसी संवाददाता फ़रहत जावेद ने बताया था कि नक़वी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "एसीसी अध्यक्ष के रूप में मैं उसी दिन ट्रॉफी सौंपने के लिए तैयार था और मैं अब भी तैयार हूँ. अगर वे वास्तव में इसे चाहते हैं, तो वे एसीसी कार्यालय आकर मुझसे इसे ले सकते हैं."

हैंडशेक और ट्रॉफी का विवाद image Getty Images साल 2024 में पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के 37वें प्रमुख के तौर पर मोहसिन नक़वी निर्विरोध रूप से चुने गए. वह एशियन क्रिकेट काउंसिल के भी अध्यक्ष हैं.

नक़वी का यह बयान मंगलवार को दुबई में हुई हालिया एसीसी की बैठक के बाद आया , जिसकी अध्यक्षता नक़वी ने की.

इस बैठक में बीसीसीआई की ओर से उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला और पूर्व कोषाध्यक्ष आशीष शेलार ने वर्चुअल तरीके से हिस्सा लिया था. माना जा रहा है कि बैठक में सूर्यकुमार यादव की टीम को ट्रॉफी और विजेता पदक दिए जाएंगे या नहीं, इस पर कोई समाधान नहीं निकल सका.

नक़वी जो कि पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) के चेयरमैन और गृह मंत्री भी हैं,उन्होंने एक्स पर लिखा, "भारतीय मीडिया तथ्यों पर नहीं, बल्कि झूठ पर काम करता है. मैं यह स्पष्ट कर दूं कि मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है और न ही बीसीसीआई से कभी माफ़ी मांगी है और न ही कभी मांगूंगा."

मोहसिन नक़वी ने भारतीय मीडिया में चल रही ख़बरों का खंडन करते हुए कहा, "ये मनगढ़ंत बातें कुछ और नहीं बल्कि सस्ता प्रचार हैं, जिनका एकमात्र उद्देश्य अपने लोगों को गुमराह करना है. दुर्भाग्य से, भारत क्रिकेट में राजनीति को घसीटता रहता है और खेल की सच्ची भावना को नुक़सान पहुंचा रहा है."

नक़वी ने लिखा, "एसीसी अध्यक्ष होने के नाते मैं उस दिन ट्रॉफी देने के लिए तैयार था और आज भी तैयार हूं. अगर भारतीय टीम वाकई ट्रॉफी चाहती है, तो उन्हें खुशी-खुशी एसीसी दफ़्तर आना चाहिए और मुझसे ट्रॉफी ले लेनी चाहिए."

क्रिकेट में ही ये विवाद क्यों image Getty Images

इस बीच कई लोग ये सवाल भी उठा रहे हैं कि आख़िर भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट को लेकर ही ऐसी राजनीतिक तनातनी क्यों दिखती है. दूसरे खेलों को लेकर ये क्यों नहीं दिखती.

मई में 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद जून 2025 में भारत और पाकिस्तान की टीमें एशियन स्क्वैश डबल्स चैंपियनशिप के फ़ाइनल में आमने-सामने थीं.

सितंबर में दोनों देशों की अंडर-17 फ़ुटबॉल टीमों ने सैफ़ चैंपियनशिप में एक-दूसरे का मुक़ाबला किया.

ये प्रतियोगिताएं बिना किसी शोर-हंगामे के खेली गईं. किसी सियासी दल ने न तो कोई बयान दिया और ना ही बहिष्कार का आह्वान किया. सोशल मीडिया भी तकरीबन ख़ामोश ही रहा. किसी ने न तो मीम्स डाले और न ही बैन की मांग की गई. ज़ाहिर है स्क्वैश और फुटबॉल वैसी पॉलिटिकल माइलेज नहीं देता जैसा कि क्रिकेट में मिलता है.

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.

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