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लेह में हिंसक हुआ विरोध प्रदर्शन, बीजेपी ऑफ़िस में भीड़ ने लगाई आग, क्या है पूरा मामला

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ANI प्रदर्शनकारियों ने पुलिस और सीआरपीएफ़ की गाड़ियों को भी निशाना बनाया.

केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्ज़ा देने की मांग को लेकर बुधवार को हुआ विरोध प्रदर्शन हिंसक हो उठा और भीड़ ने लेह में बीजेपी कार्यालय में आग लगा दी.

पर्यावरणविद और सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक बीते 15 दिनों से भूख हड़ताल पर थे और उन्हीं मुद्दों को लेकर यह प्रदर्शन था. उन्होंने बीबीसी हिन्दी को बताया कि लेह में आज हुई हिंसा के बाद उन्होंने अपना अनशन समाप्त कर दिया है. उन्होंने लोगों से शांति की अपील की है.

प्रदर्शनकारी केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्ज़ा देने के अलावा इसे संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहे हैं.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे और लाठीचार्ज किया. कुछ वीडियो में कई वाहन जलते हुए दिख रहे हैं और कुछ झड़पें भी हुई हैं.

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image ANI बीते कुछ सालों से अलग-अलग समय पर लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन हुए हैं

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ताशी ग्यालसन खाचू ने बीबीसी संवाददाता माजिद जहांगीर को फ़ोन पर बताया कि उनके पार्टी कार्यालय में आग लगा दी गई है और लेह में स्थिति तनावपूर्ण है.

एएनआई के अनुसार, लेह ज़िले में बीएनएस की धारा 163 लागू कर दी गई है. ज़िले में पांच या इससे अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर बैन लगा दिया गया है.

ज़िला मजिस्ट्रेट के आदेश के अनुसार लेह में पूर्व लिखित अनुमति के बिना कोई जुलूस, रैली या मार्च नहीं निकाला जा सकता.

इस बीच, जम्मू कश्मीर के राजनीतिक दलों ने इस हिंसा के लिए केंद्र सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया है.

ये 'जेन ज़ी रिवॉल्यूशन' था- सोनम वांगचुक image @Wangchuk66 सोनम वांगचुक बीते 15 दिनों से आमरण अनशन पर थे.

हिंसा के बाद ही सोनम वांगचुक ने एक्स पर एक वीडियो संदेश जारी कर शांति की अपील की.

उन्होंने कहा, "आज, हमारे भूख हड़ताल के 15वें दिन, लेह सिटी में व्यापक हिंसा और तोड़फोड़ की घटनाओं से मैं दुखी हूं. कई कार्यालयों और पुलिस की गाड़ियों को आग लगा दी गई."

"यहां कुछ लोग 35 दिन से अनशन कर रहे थे. कल उनमें से दो लोगों की तबीयत ख़राब हो गई और उन्हें बहुत गंभीर स्थिति में अस्पताल में भर्ती कराया गया. इससे लोगों में बहुत रोष है और आज पूरे लेह में बंद की घोषणा की गई. इस दौरान हज़ारों की संख्या में युवा सड़कों पर आ गए. एक तरह से ये 'जेन ज़ी' रिवॉल्यूशन था."

"पांच सालों से वो (युवा) बेरोज़गार हैं. एक के बाद एक बहाना करके उन्हें नौकरियों से बाहर रखा जा रहा है और लद्दाख को भी संरक्षण नहीं दे रहे हैं. आज यहां कोई लोकतांत्रिक मंच नहीं है."

शाम पांच बजे एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस करके सोनम वांगचुक ने कहा, "इस हिंसा में तीन से पांच युवाओं की जान जाना दुखद है और हम उनके परिवारों के साथ शोक जताते हैं."

हालाँकि प्रदर्शन के दौरान लोगों के मारे जाने के बारे अभी पुलिस प्रशासन ने कोई बयान नहीं दिया है.

सोनम वांगचुक ने किसी भी परिस्थिति में युवाओं से हिंसा का रास्ता न अपनाने की अपील की है.

केंद्र और लद्दाख के प्रतिनिधियों के बीच 6 अक्तूबर को वार्ता का एक नया दौर निर्धारित है, जिसमें लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) के सदस्य शामिल होने हैं, लेकिन वांगचुक ने वार्ता की तारीख़ पहले करने की मांग की है.

महबूबा मुफ़्ती और उमर अब्दुल्लाह ने क्या कहा image BBC

पीडीपी की नेता महबूबा मुफ़्ती ने लेह में हुए प्रदर्शन पर केंद्र सरकार से आत्मचिंतन करने को कहा है.

उन्होंने एक्स पर लिखा, "भारत सरकार को अब ईमानदारी और गहराई से यह आकलन करना चाहिए कि 2019 के बाद से वास्तव में क्या बदला है. यह वीडियो कश्मीर घाटी का नहीं है, जिसे अशांति का केंद्र माना जाता है, बल्कि लद्दाख का है, जहां ग़ुस्साए प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की गाड़ियों और बीजेपी दफ़्तर में आग लगा दी."

उन्होंने कहा, "लेह, जिसे लंबे समय से शांतिपूर्ण और संयमित प्रदर्शनों के लिए जाना जाता है, अब हिंसक प्रदर्शनों की ओर ख़तरनाक बदलाव देख रहा है. लोग धैर्य खो चुके हैं, ख़ुद को ठगा हुआ, असुरक्षित और अधूरे वादों से निराश महसूस कर रहे हैं."

नेशनल कॉन्फ़्रेंस के नेता और जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह ने कहा है, "लद्दाख को राज्य का दर्जा देने का वादा भी नहीं किया गया था, उन्होंने 2019 में केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा मिलने का जश्न मनाया और वे खुद को ठगा और आक्रोषित महसूस कर रहे हैं."

"अब ज़रा सोचिए कि जम्मू-कश्मीर में हम कितने ठगे हुए और निराश महसूस करते हैं जब जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने का वादा अधूरा रह जाता है, जबकि हम लोकतांत्रिक, शांतिपूर्ण और ज़िम्मेदारी से इसकी माँग करते रहे हैं."

रामबन (जम्मू कश्मीर) से नेशनल कॉन्फ़्रेंस के विधायक अर्जुन सिंह राजू ने कहा, "ये बहुत संवेदनशील इलाक़ा है, चीन के बॉर्डर से लगा इलाक़ा है. आज यहां हालात इस तरह के हो गए हैं कि वहां तोड़फोड़ और अगजनी हुई है."

उन्होंने कहा, "हिंसा से बचना चाहिए लेकिन हमारे लिए और केंद्र सरकार के लिए भी लेह एक सबक है. वहां के लोग कई सालों से लैंड प्रोटेक्शन, छठी अनुसूची और पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग कर रहे हैं. इन्होंने उसे ज़बरदस्ती केंद्र शासित प्रदेश बना दिया."

"जम्मू कश्मीर और लेह दोनों जगहों पर क़ानून व्यवस्था की ज़िम्मेदारी केंद्र की है. तो इसकी ज़िम्मेदारी उन्हें लेनी चाहिए कि ऐसा क्यों हुआ."

लद्दाख के लोगों की क्या है शिकायत image ANI लेह में काफ़ी समय से आंदोलन चल रहा है.

पिछले साल मार्च में प्रकाशित बीबीसी संवाददाता माजिद जहांगीर की एक रिपोर्ट के मुताबिक़,

केंद्र शासित प्रदेश बनने से पहले लद्दाख के लोग जम्मू -कश्मीर पब्लिक सर्विस कमीशन में गैज़ेटेड पदों के लिए अप्लाई कर सकते थे, लेकिन अब ये सिलसिला बंद हो गया.

वर्ष 2019 से पहले नॉन गैज़ेटेड नौकरियों के लिए जम्मू कश्मीर सर्विस सेलेक्शन बोर्ड भर्ती करता था और उस में लद्दाख के उम्मीदवार भी होते थे. लेकिन अब ये नियुक्तियां कर्मचारी चयन आयोग की ओर से की जा रही हैं.

यह आयोग एक संवैधानिक निकाय है जो केंद्र सरकार के लिए भर्तियां करता है. अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने से लेकर आजतक लद्दाख में बड़े स्तर पर नौकरियों के लिए नॉन -गैज़ेटेड भर्ती अभियान नहीं चलाया गया है, जिसको लेकर लद्दाख के युवाओं में गुसा है.

लद्दाख प्रशासन ने अक्टूबर 2023 में अपने आधिकारिक बयान में बताया था कि केंद्र शासित प्रदेश में भर्ती करने की प्रक्रिया जारी है.

लद्दाख के लोग ये उम्मीद कर रहे थे कि केंद्र शासित प्रदेश बनने के साथ-साथ लद्दाख को विधानमंडल भी दिया जाएगा और छठी अनुसूची के तहत सुरक्षा भी दी जाएगी.

बीजेपी ने साल 2019 के अपने चुनावी घोषणापत्र में और बीते वर्ष लद्दाख हिल काउंसिल चुनाव में भी लद्दाख को राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल करने का वादा किया था.

लोगों का आरोप है कि बीजेपी इन वादों से मुकर रही है और इस असंतोष ने प्रदर्शन का रूप ले लिया है.

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 244 के तहत छठी अनुसूची स्वायत्त प्रशासनिक प्रभागों में स्वायत्त जिला परिषदों के गठन का प्रावधान करती है, जिनके पास एक राज्य के भीतर कुछ विधायी, न्यायिक और प्रशासनिक स्वतंत्रता होती है.

जिला परिषदों में कुल 30 मेंबर होते हैं. चार मेंबर्स को राज्यपाल नियुक्त करता है.

छठी अनुसूची के मुताबिक़ ज़िला परिषद की अनुमति से ही क्षेत्र में उद्योग लगाए जा सकेंगे.

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.

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