राजस्थान के चित्तौड़गढ़ किले की ऐतिहासिक छवि और वीरता की कहानियाँ तो हर कोई जानता है, लेकिन किले के भीतर एक ऐसी जगह भी है जिसे सुनने और देखने के बाद रूह कांप उठती है। विजय स्तम्भ के पास स्थित राणा कुम्भा महल अपने इतिहास और भूतिया रहस्यों के कारण आज भी लोगों को चौंकाता है। यह महल न केवल स्थापत्य कला का उत्कृष्ट नमूना है बल्कि इसके आसपास फैली रहस्यमय घटनाएँ इसे और भी भयानक बनाती हैं।
इतिहासकारों के अनुसार, राणा कुम्भा महल का निर्माण 15वीं शताब्दी में हुआ था। यह महल केवल राजसी निवास ही नहीं था बल्कि युद्ध की रणनीति और शासन संचालन का केंद्र भी था। किले की ऊँचाई और महल की भव्यता को देखकर ही स्पष्ट हो जाता है कि इसे बनाने में कितनी मेहनत और समय लगा होगा। लेकिन शाम के समय यहाँ का दृश्य पूरी तरह बदल जाता है। विजय स्तम्भ के पास महल के आसपास का इलाका इतना शांत हो जाता है कि पक्षी भी अपना कलरव बंद कर देते हैं। स्थानीय लोग कहते हैं कि शाम ढलते ही महल में कोई अदृश्य शक्ति सक्रिय हो जाती है।
महल में प्रवेश करने वाले कुछ लोग बताते हैं कि यहाँ अजीब सी आवाज़ें सुनाई देती हैं। कभी-कभी शोर-शराबा, कभी धीमी फुसफुसाहट, और कभी खाली कमरों से अचानक आने वाली छाया जैसी हरकतें, लोगों के होश उड़ा देती हैं। स्थानीय गाइड्स और सुरक्षा कर्मी भी अक्सर कहते हैं कि रात के समय महल के अंदर जाना खतरनाक साबित हो सकता है। इसके पीछे का कारण माना जाता है कि कई राजाओं और सैनिकों की आत्माएँ आज भी महल में विचरण करती हैं।
इतिहास में राणा कुम्भा का नाम बहादुरी और न्यायप्रियता के लिए जाना जाता है। उनका शासनकाल चित्तौड़गढ़ के लिए स्वर्णिम काल माना जाता है। लेकिन उसी समय, कई युद्धों और संघर्षों में यहाँ अनेक सैनिकों और नागरिकों की मौत हुई। स्थानीय मान्यता है कि इन मृतकों की आत्माएँ महल में बसी हुई हैं। विशेषकर शाम के समय, जो लोग महल के पास से गुजरते हैं, उन्हें अचानक ठंडक और अजीब सा भय महसूस होता है।
पर्यटक और इतिहास प्रेमियों के लिए यह महल हमेशा आकर्षण का केंद्र रहा है। दिन में यह महल अपने स्थापत्य और चित्रकला के लिए प्रसिद्ध है। परंतु जैसे ही सूरज ढलता है, महल की चुप्पी और वीरानपन में एक रहस्यमय माहौल समा जाता है। कुछ लोग तो इसे आध्यात्मिक अनुभव मानते हैं, तो कुछ इसे महल की पुरानी कहानियों का असर। स्थानीय लोग कहते हैं कि यदि कोई व्यक्ति रात के समय महल के मुख्य दरवाजे से अंदर जाए, तो उसे अजीब सा शोर सुनाई देगा और कभी-कभी किसी की छाया भी नजर आ सकती है।
महल के पास स्थित विजय स्तम्भ की ऊँचाई और उसकी शांति इस पूरे क्षेत्र में डर का वातावरण बनाए रखती है। स्तम्भ के आसपास का इलाका इतना सुनसान है कि कोई भी पक्षी वहां बैठकर नहीं गाता। इसका रहस्य आज भी अनसुलझा है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह प्राकृतिक कारणों से भी हो सकता है, लेकिन स्थानीय कथाएँ इसे अलौकिक शक्ति से जोड़ती हैं।
पर्यटकों के लिए यह जगह एक रोमांचक अनुभव प्रदान करती है। कई लोग दिन के समय महल का दौरा कर उसका इतिहास और कला देखना पसंद करते हैं, लेकिन शाम होते ही महल के बाहर खड़े होकर इसकी भूतिया कहानियों को सुनना और महसूस करना किसी रोमांचक अनुभव से कम नहीं है। स्थानीय गाइड्स अक्सर आगाह करते हैं कि रात के समय महल में अकेले प्रवेश करना सुरक्षित नहीं है।
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