राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने दावा किया कि भारतीय इतिहास लेखन पर अंग्रेजों के प्रभाव के कारण इसमें कई झूठे तथ्य दर्ज हैं, जिनमें जोधाबाई और मुगल बादशाह अकबर के विवाह की 'कहानी' भी शामिल है। बुधवार (29 मई) शाम को उदयपुर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बागड़े ने दावा किया कि 'अकबरनामा' में जोधा और अकबर के विवाह का कोई उल्लेख नहीं है।
भारमल ने दासी की बेटी से कराई थी अकबर की शादी
राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने दावा किया, 'कहा जाता है कि जोधा और अकबर का विवाह हुआ था...इस पर एक फिल्म भी बनी थी। इतिहास भी यही कह रहा है लेकिन यह भी झूठ है।' उन्होंने यह भी दावा किया कि भारमल नाम के राजा ने अपनी एक दासी की बेटी का विवाह अकबर से कराया था। राज्यपाल की टिप्पणी ने आमेर शासक भारमल की बेटी और अकबर के बीच 1569 में हुए विवाह के ऐतिहासिक विवरण पर बहस को फिर से हवा दे दी है। आमेर वर्तमान जयपुर के पास स्थित है और यह कई शताब्दियों तक कछवाहा राजपूत शासकों की राजधानी रहा। हालांकि, सवाई जयसिंह द्वितीय ने 1727 में राजधानी जयपुर स्थानांतरित कर दी।
भारतीय इतिहास लेखन पर ब्रिटिश प्रभाव
बाघड़े ने कहा, हमारे वीरों का इतिहास अंग्रेजों ने बदल दिया। उन्होंने अपना इतिहास ठीक से नहीं लिखा और इतिहास का उनका संस्करण शुरू में स्वीकार कर लिया गया। बाद में कुछ भारतीयों ने इतिहास लिखा, लेकिन वह भी अंग्रेजों से प्रभावित था। उन्होंने राजपूत शासक महाराणा प्रताप द्वारा अकबर को संधि पत्र लिखने के ऐतिहासिक दावे का भी विरोध किया और इसे पूरी तरह भ्रामक बताया।
महाराणा प्रताप के बारे में कम पढ़ाया जाता है
राज्यपाल ने कहा, महाराणा प्रताप ने कभी अपने स्वाभिमान से समझौता नहीं किया। इतिहास में अकबर के बारे में ज्यादा पढ़ाया जाता है और महाराणा प्रताप के बारे में कम। उन्होंने यह भी कहा, हालांकि, अब स्थिति धीरे-धीरे सुधर रही है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में अपनी संस्कृति और गौरवशाली इतिहास को संरक्षित करते हुए नई पीढ़ी को हर क्षेत्र में आगे बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। राज्यपाल ने कहा कि महाराणा प्रताप और शिवाजी महाराज देशभक्ति के प्रतीक थे। उन्होंने कहा, उनके जन्म में 90 साल का अंतर है। अगर वे समकालीन होते तो देश की तस्वीर कुछ और होती। दोनों को बहादुरी और देशभक्ति के मामले में एक ही नजर से देखा जाता है।
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