भारत-पाकिस्तान सीमा पर तनाव के बीच राजस्थान के सीमावर्ती जिलों में हालात धीरे-धीरे सामान्य होने लगे हैं। जहां एक ओर स्थानीय लोगों ने राहत की सांस ली है, वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान की ओर से की जा रही नई हरकतों ने एक बार फिर चिंता बढ़ा दी है। ताजा मामला जैसलमेर का है, जहां पाकिस्तान ने अपने मोबाइल टावरों की रेंज बढ़ाकर भारतीय क्षेत्र तक सिग्नल पहुंचाने की कोशिश की है।
जैसलमेर में पाकिस्तान की ‘डिजिटल घुसपैठ’13 मई को सामने आई एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान ने जैसलमेर बॉर्डर के करीब स्थित अपने इलाके में लगे मोबाइल टावरों की क्षमता में इजाफा किया है, जिससे उनके सिग्नल भारतीय सीमा में प्रवेश करने लगे हैं। यह कदम सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता का विषय बन गया है क्योंकि इससे डिजिटल निगरानी, जासूसी या साइबर सुरक्षा से जुड़े खतरे बढ़ सकते हैं।
सूत्रों के अनुसार, जैसलमेर के कई गांवों में लोगों के मोबाइल फोन पर पाकिस्तान की मोबाइल नेटवर्क कंपनियों के सिग्नल आने लगे हैं। सुरक्षा एजेंसियां इस तकनीकी घुसपैठ को गंभीरता से ले रही हैं और इसकी गहन जांच शुरू कर दी गई है।
श्रीगंगानगर के बाद जैसलमेर पर फोकसइससे पहले श्रीगंगानगर जिले में भी पाकिस्तान की संदिग्ध गतिविधियों को लेकर सुरक्षा एजेंसियों ने सतर्कता बढ़ाई थी। अब जैसलमेर में इस तरह की डिजिटल गतिविधियों ने स्पष्ट कर दिया है कि पाकिस्तान सीमा पर नई रणनीति के तहत साइबर और नेटवर्क आधारित साज़िशें रच रहा है।
बाड़मेर-जैसलमेर अब भी संवेदनशीलहालांकि राज्य के बाकी सीमावर्ती जिलों में धीरे-धीरे सामान्य स्थिति लौट रही है, लेकिन बाड़मेर और जैसलमेर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में अभी भी सुरक्षा बल पूरी तरह अलर्ट पर हैं। सेना और बीएसएफ द्वारा लगातार पेट्रोलिंग की जा रही है। स्थानीय नागरिकों से सतर्क रहने और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की जानकारी तुरंत प्रशासन को देने की अपील की गई है।
स्थानीय लोगों में चिंतामोबाइल नेटवर्क की यह हरकत सामने आने के बाद सीमावर्ती गांवों के लोगों में डिजिटल सुरक्षा को लेकर चिंता है। कई लोग सोशल मीडिया और व्हाट्सएप के जरिए इन नेटवर्क्स के आने की जानकारी साझा कर रहे हैं। इसके साथ ही यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या इन नेटवर्क्स के जरिए डेटा ट्रैकिंग या जासूसी की कोशिशें हो सकती हैं।
सरकार और एजेंसियां सतर्कराज्य सरकार और केंद्र की सुरक्षा एजेंसियां इस पूरे मामले पर नजर बनाए हुए हैं। जैसलमेर जिला प्रशासन ने टेलीकॉम विभाग और इंटेलिजेंस एजेंसियों के साथ मिलकर जांच शुरू कर दी है। तकनीकी टीमों को यह पता लगाने के लिए लगाया गया है कि सिग्नल की पहुंच किस हद तक भारतीय सीमा में हो रही है।
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